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6.5 - 7.8
25 to 35 °C
NPK @ 8:16:16 Kg/Acre
Basic Info
Seed Specification
Land Preparation & Soil Health
Crop Spray & fertilizer Specification
Weeding & Irrigation
Harvesting & Storage
Description:
Organic Solution:
राज्य कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा संस्तुत रोग प्रतिरोधी प्रजातियाँ उगानी चाहिए जैसे-
Narendra Urd1, IPU 94-1 (Uttara), PS1, Pant U.19, Pant U.30, UG 218, WBU108, KU92 1(Spring season), KU300 (Spring Season)
रोग ग्रसित पौधों को शुरू मे ही उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिए।
खेत में जगह-जगह पर सफेद मक्खियों को पकड़ने के लिए पीला चिपचिपा ट्रैप लगाएँ।
वर्टिसिलियम लिकानी (Verticillium lecani @1x108 cfu) का छिड़काव करने से सफेद मक्खी का प्रकोप कम हो जाता है।
Chemical solution:
बुआई के समय कीटनाशी डाईसल्फोटॉन 1 कि.ग्रा. सक्रिय पदार्थ प्रति हेक्टेयर की दर से भूमि में प्रयोग करना चाहिए।
सफ़ेद मक्खी के अत्यधिक प्रकोप की रोकथाम हेतु ट्राइजोफॉस (Triazophphos) 40 EC @ 2 मिली. प्रति ली. या मेलाथियान (Malathion) 50 EC @ 2 मिली. प्रति ली या ओक्सीडिमेटान मिथाईल y (Oxydemeton
methyl) 25 EC @ 2 मिली. प्रति ली. का 10-15 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करना चाहिए।
Description:
Organic Solution:
क्षेत्रीय कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा संस्तुत रोग प्रतिरोधी प्रजातियाँ उगानी चाहिएः- उड़द: HUP-27, 102,164, 315
रोग रहित स्वस्थ पौधों से प्राप्त बीज ही बुआई के लिए प्रयोग करना चाहिए।
रोगवाहक कीट कम करने के लिए बाजरा या मक्का या ज्वार के साथ अंतः फसल लेना चाहिए।
रोगी पौधों को शुरू में ही उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए।
Chemical solution:
बुवाई से पहले बीज को इमिडाक्लोपरिड़ (Imidacloprid) 70 WS @ 5 ग्रा प्रति किग्रा की दर से उपचारित करना चाहिए।
कीटनाशक डाईमेथोएट (Dimethoate) 30 EC @ 1.7 मिली. प्रति ली. की दर से छिड़काव करना चाहिए।
Description:
Organic Solution:
Chemical solution:
बुवाई से पहले बीज का कैप्टान (Captan) या थिरम (Thiram) कवकनाशी / 2.5 ग्रा.प्रति किलो बीज से उपचार करना चाहिए।
फसल पर रोग के लक्षण दिखते ही कार्बेन्डाज़िम (Carbendazim) 50 WP @ 1 ग्रा. प्रति ली. या मेन्कोजेब (Mancozeb) 45 WP @ 2 ग्रा. प्रति ली. कवकनाशी के घोल का छिड़काव करना चाहिए। इसके पश्चात आवश्यकतानुसार 1 या 2 छिड़काव 10 से 15 दिन के अंतराल पर करना चाहिए।
कॉपर आक्सीक्लोराइड (Copper oxychloride) @ 3&4 ग्रा. प्रति ली. पानी में मिलाकर आवश्यकतानुसार छिड़काव करें।
Description:
Organic Solution:
58°C गर्म पानी में 15 मिनट तक बीज उपचारित करने पर बीज जनित रोगों के नियंत्रण के लिए प्रभावी रहता है तथा साथ ही बीज अंकुरण में भी वृद्धि हो जाती है।
Chemical solution:
बुवाई से पहले बीज का कैप्टान (Captan) 75 WP @ 2.5 ग्रा. प्रति ली. या थिरम (Thiram) 80 WP @ 2 ग्रा. प्रति लीकी दर से उपचार करना चाहिए।
3. फसल पर जिनेब (Zineb) 80 WP @ 2 ग्रा. प्रति ली. या जिरम (Ziram) 80 WP @ 2 ग्रा. प्रति ली. पानी में घोल बनाकर रोग के लक्षण दिखते ही छिड़काव करना चाहिए तथा आवश्कतानुसार 15 दिन के अंतराल पर दोहराना चाहिए।
Description:
Organic Solution:
रोग के दिखने पर नीम आधारित कीटनाशी (NSKE) @ 50 ग्रा./ली. या नीम तेल 3000 ppm @ 20 मि.ली./ली., 10 दिन के अन्तराल पर दो बार छिड़काव करना चाहिए।
रोग ग्रसित पौधो पर वैसिलस सबटिलिस (Bacillus subtilis) का छिड़काव करना चाहिए।
Chemical solution:
फसल पर घुलनशील गंधक (Sulphur) 80 WP @ 4 ग्रा./ली. या कार्बेन्डाजिम (Carbendazim) 50 WP @ 1 ग्रा./ली. या बेनलेट(Benlate) 0.05% या टोपसिन-एम(Topsin-M) 0.15% का छिड़काव करना चाहिए।
Description:
Organic Solution:
खेत में पौधों के अवशेषाों को निकाल कर नष्ट कर देना चाहिए जिससे रोग के बीज़ाणु नष्ट हो जाए।
बुवाई से पहले भूमि में जिंक सल्फेट (Zinc Sulphate) @ 25 कि.ग्रा./हे. या नीम की खली (Neem cake) @ 150 किग्रा/हे. या P. fluorescens (1 x
1010 cfu/g) या ट्राईकोडर्मा विरिडी (T.viride) 2.5 किग्रा/हे. + 50 किग्रा गोबर खाद (FYM) का उपयोग करने से इस रोग को रोका जा सकता है।
रोग ग्रसित भूमि में ट्राईकोडर्मा (Trichoderma) 5 – 10 ग्रा./किग्रा बीज या कैप्टान (Captan) 75 WP @ 2.5 ग्रा./ली. या थीरम (Thiram) 80% WP @ 2 ग्रा./ली. से उपचारित बीजों को उपयोग करना चाहिए।
रोग ग्रसित पौधों के मलवे को जला देना चाहिए तथा फसल में उपस्थित रोग ग्रसित पौधों को जड़ से उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिए।
Chemical solution:
फसल में रोग के लक्षण दिखते ही कार्बेन्डाजिम (Carbendazim) 50 WP @ 1 ग्रा./ली. का छिड़काव करना चाहिए तथा आवश्यकतानुसार 2 छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर करना चाहिए।
Description:
Organic Solution:
खेत मे जगह-जगह पर पीला चिपचिपा ट्रैप लगाना चाहिए।
इरेटमोसिरस, मसई, इरेप्मोसिरस, एनकारसिया तथा क्राईसोपरला आदि मित्र कीटों का संरक्षण कर कीट को नियंत्रित किया जा सकता है।
वर्टि सिलियम लिकानी (Verticillium lecani) अथवा पैसिलोमाईसिस फैरनौसस (Paecilomyces fairnosus) के प्रयोग से वयस्क सफ़ेद मक्खी को नियंत्रित किया जा सकता है।
Chemical solution:
एसिफेट (Acephate) 75 SP @ 1 ग्रा./ली. तथा नीम तेल (Neem oil 3000 ppm) @ 20 मिली/ली. के छिड़काव से श्वेत मक्खी तथा MYMV के प्रकोप को कम किया जा सकता है।
डाइमेथोएट (Dimethoate) 30 EC @ 5 मिली.ध्कि.ग्रा. के साथ बीजोपचार तथा ट्राईएजोफॉस (Triazophos) 40 EC @ 0.4 मि.ली./ली. के छिड़काव से कीट का अच्छा नियंत्र्ाण होता है।
इमिडाक्लोप्रिड़ (Imidacloprid) 70 WS 5 ग्रा./कि.ग्रा. के साथ बीज उपचार तथा 15 दिन के अन्तराल के बाद इमिडाक्लोप्रिड़ (Imidacloprid)
17.8 SL @ 0.2 मिली/ली के छिड़काव से सफ़ेद मक्खी तथा MYMVका अच्छा नियंत्रण होता हैे।
Description:
Organic Solution:
रात के समय पीला प्रकाश प्रपंज (Yellow light trap) लगाकर कीट को नियंत्रित किया जा सकता है।
लेड़ी बर्ड बीटल (Coccinellid) तथा हरी लेसविंग (Chrysoperla) का संरक्षण कर इस कीट को नियंत्रित किया जा सकता है।
5% नीम चूर्ण या 2% नीम तेल 3000 PPM का छिड़काव करें।
Chemical solution:
र्डाइमेथाएट (Dimethoate) 30 EC @1 मिली या इमिडाक्लोप्रिड़ (Imidacloprid) 17.8 SL @ 2 मिली छिड़काव करें।
Description:
Organic Solution:
फसल में गिरे हुए फूलों का निरीक्षण करना चाहिए तथा आवश्यकतानुसार कीटनाशकों को उपयोग करना चाहिए।
नीम आधारित कीटनाशक (NSKE) 5% @ 50 ग्रा/ली. तथा नीम तेल 3000 PPM @ 20 मिली/ली. का छिड़काव करना चाहिए।
Chemical solution:
थ्रीप्स प्रभावित क्षेत्रों में कीट के प्रकोप से बचने के लिए थायोमेथोक्जम (Thiomethoxam) 70 WS @ 2 मिली/कि.ग्रा. के साथ बीज उपचार तथा थायोमेथोक्जम (Thiomethoxam) 25 WG @ 2 मिली/ली. का छिड़काव करने से थ्रीप्स का अच्छा नियंत्रण होता है।
ट्राईजोफॉस (Triazophos) 40 EC @ 2 मिली/ली. या इथियोन (Ethion)
50 EC @ 2 मिली./ली. का छिड़काव आवश्यकतानुसार करना चाहिए।
Description:
Organic Solution:
मित्र कीटों का संरक्षण कर हानिकारक कीटों को नियंत्रण किया जा सकता है।
Chemical solution:
कीट प्रभावित सम्भावित क्षेत्र मे बुवाई से पहले बीज को इमिडाक्लोप्रिड (Imidacloprid) 17.8 SL @ 5 मिली/कि.ग्रा. बीज को 100 मिली पानी के साथ उपचारित करना चाहिए।
इमिडाक्लोप्रिड (Imidacloprid) 17.8 SL @ 0.2 मिली/ली. या थायोमेथोक्जम (Thiomethoxam) 25 WG @ 0.3 ग्रा/ली. का छिड़काव आवश्यकतानुसार करना चाहिए।
Description:
Organic Solution:
Chemical solution:
मोनोक्रोटोफ़ॉस (Monocrotophos) 40 EC @ 10 मिली/किग्रा या डाईसलफोटॉन (Disulfoton) 5 G @ 40 ग्रा./कि.ग्रा बीज के साथ बीजोपचार इस कीट के प्रति बहुत प्रभावशाली हैं।
फोरेट (Phorate) 10 G @ 10 कि.ग्रा./हे. तथा डाईसलफोटॉन (Disulfoton)
5 G @ 20 कि.ग्रा./हे. इस कीट के नियंत्रण के लिए प्रभावी है।
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Description:
Organic Solution:
मित्र कीटों जैसे अपेनटेलिस प्रजाति, (Apanteles spp.), मेटीयोरस (Metiorus spp.), ट्राईकोग्रामा (Trichograma spp.) आदि कीटों का संरक्षण कर फसल को हानि से बचाया जा सकता है।
नीम आधारित (Azadirachtin) कीटनाशक 5% @ 50 ग्राम/ली. के छिड़काव से सूंडी का अच्छा नियंत्रण होता है।
Chemical solution:
प्रोफेनोफॉस (Profenophos) 50 EC @ 2 मिली/ली. या क्यूनोलफॉस (Quinalphos) 20 EC @ 2.5 मिली/ली. या डाईक्लोरवॉस (Dichlorvos)
10 EC @ 1 मिली/ली. या फेनवेलरेट (Fenvalrate) 20 EC @ 1 मिली/ली. का छिड़काव करना चाहिए।
Description:
Organic Solution:
नीम आधारित कीटनाशकों का छिड़काव करने से कीट की संख्या नियंत्रित की जा सकती है।
Chemical solution:
क्यूनोलफॅास (Quinolphos) 20 EC @ 2.5 मिली/ली. या डाईक्लोरवॉस (Dichlorvos) 10 EC @ 1 मिली/ली. का छिड़काव करके इस कीट का नियन्त्रण किया जा सकता है।
Description:
Organic Solution:
SlNPV [500 LE/है. @ 1 मिली/ली., या बेसिलस थ्रूनजैंसिस(Bacillus thuringiensis) के फॉर्मुलेशन का छिड़काव सूंडी की प्रारम्भिक अवस्था में करना चाहिए।
Chemical solution:
लूफेनूरोन (Lufenuron) 5 EC @ 0.04 मिली/ली. या मेलाथायॉन (Malathion) 50 EC @ 2 मिली/ली. का छिड़काव करना चाहिए।
तम्बाकू की सूंडी के अंडो के काईटिन संश्लेषण अवरोधक, नोवलुरॉन (Novaluraon) 10 EC @ 0.75 मिली/ली. से छिड़काव करना चाहिए।
Description:
Organic Solution:
4-5 व्यस्क पंतगे प्रति ट्रेप/दिन आने पर निम्न कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए:
5% नीम आधारित कीटनाशक या नीम तेल 3000 PPM या HaNPV (एच.एन.पी.वी.) 1.0 मिली/ली. कीट की प्रारम्भिक अवस्था में
Chemical solution:
इमामेंक्टिन बेन्जोएट (Emamectin Benzoate) 5 SG@ 0.2 ग्रा./ली. या राइनेक्सीपायर (Rynaxypyr) 20 SC @ 0.15 मिली./ली. या प्रोफेनोफोस (Profenophos) 50 EC @ 2 मिली./ली.
Description:
Organic Solution:
बेसिलस थूरिनजेन्सिस (Bacillus thuringiensis) 5 WG @ 1 ग्रा./लीका छिड़काव करना चाहिए।
Chemical solution:
इमिडाक्लोप्रिड (Imidacloprid) 17.8 SL @ 3 मिली/किग्रा बीज की दर से बीजोपचार + प्रोफेनोफॉस (Profenophos) 50 EC @ 2 मिली/लीका छिड़काव करना चाहिए।
डाईक्लोरवास (Dichlorvos) 76 EC @ 0.5 मिली/ली या प्रोफेनोफॉस (Profenophos) 50 EC @ 2 मिली/ली.+ DDVP @ 0.5 मिली/लीका छिड़काव इस कीट के लिए प्रभावशाली होता है।
लेम्डासायहेलोथ्रीन (Lambdacyhalothrin) 10 EC @ 0.5 मिली/ली.़ नीम आधारित (NSKE) 5% @ 50 ग्रा/ली. का छिड़काव इस कीट के लिए प्रभावशाली होता है।
स्पाइनोसेड (Spinosad) 45 SC @ 0.2 मिली/ली. का छिड़काव इस कीट के लिए प्रभावशाली होता है।
क्लोरपाइरिफॉस (Chlorpyriphos) 20 EC @ 2.5 मिली/ली. तथा लेम्डासायहेलोथ्रीन (lambdacyhalothrin) 10 EC @ 0.5 मिली/ली. का छिड़काव करना चाहिए।
Description:
Organic Solution:
Chemical solution:
यदि कीटों की संख्या आर्थिक हानि के स्तर तक पहुंचने लगे तो निम्न कीटनाशकों का इस्तेमाल करना चाहिए।
एसिफेट (Acephate) 75 SP @ 1 ग्राम/ली. या क्यूनोलफॉस (Quinolphos) 25 EC @ 2 मिली./ली. या क्लोरपाइरिफॉस (Chlorpyriphos) 20 EC @ 2.5 मिली./ली. का छिड़काव फूल तथा फली बनते समय करना चाहिए।
Description:
Organic Solution:
Chemical solution:
यदि कीटों की संख्या आर्थिक हानि स्तर तक पहुंचने लगे तो निम्न कीटनाशकों का इस्तेमाल करना चाहिए।
एसिफेट (Acephate) 75 SP @ 1 ग्राम/ली. या क्यूनोलफॉस (Quinolphos) 25 EC @ 2 मिली./ली. या क्लोरपाइरिफॉस (Chlorpyriphos) 20 EC @ 2.5 मिली./ली. या मोनोक्रोटोफॉस (Monocrotofos) 36 SL @ 1 मिली./ली. का छिड़काव फूल तथा फली बनते समय करना चाहिए।
Description:
Organic Solution:
Chemical solution:
जिन क्षेत्रों में इस कीट का प्रायः आक्रमण अधिक होता है, वहाँ अंकुरण से पूर्व डाईमेथोएट (Dimethoate) 30 EC या डेल्टामेथरिन (Deltamethrin) का छिड़काव करना चाहिए।
डाईमेथोएट (Dimethoate) 30 EC@5 मिली/ किग्रा. या डेल्टामेथ्रिन (Deltamethrin) के साथ बुवाई से पहले बीजोपचार करना चाहिए।
फसल में कीट का प्रकोप दिखने पर डाईकोफॉल (Dicofol) 18.5 EC @ 5 मिली/ली. या डाईमेथोएट (Dimethoate) 30 EC @ 1.7 मिली/ली. या बाईफेनथ्रिन (Bifenthrin) 10 EC @ 1.6 मिली/ली. या लेम्बडासायहेलोथ्रिन (Lambdacyhelothrin ) 5% EC @ 0.5&1 मिली/ली. या डेल्टामेथ्रिन (Deltamethrin) 2.8 EC @ 1 मिली/ली. का छिड़काव करना चाहिए।
Description:
Organic Solution:
Chemical solution:
इस कीट के प्रकोप के अधिक होने पर निम्न कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए: नीम आधारित चूर्ण (NSKE) 5% @ 50 ग्रा./ली. या नीम तेल (Azadiractin) 0-03% 5 मिली/ली. या प्रोफेनोफॉस (Profenofos) 50 EC @ 2 मिली/ली. या डाईमेथोएट(Dimethoate) 30 EC @ 1.7 मिली/ली. या स्पइनोसेड (Spinosad) 45 SC @ 0.2 मिली/ली. या डाईक्लोरवॉस (Dichlorvos) 76 EC @ 2 मिली/ली.
1. यह आमतौर पर खरीफ / बरसात और गर्मियों के मौसम में उगाया जाता है।2. यह 25 से 35oC के बीच आदर्श तापमान रेंज के साथ गर्म और नम स्थितियों में सबसे अच्छा बढ़ता है।
आंध्रप्रदेश देश के उत्पादन में लगभग 19 प्रतिशत का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है, इसके बाद महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश क्रमशः 20 प्रतिशत और 13 प्रतिशत हैं। भारत में काले चने का प्रमुख व्यापार केंद्र मुंबई, जलगाँव, दिल्ली, गुंटूर, चेन्नई, अकोला, गुलबर्गा और लातूर हैं।
खरीफ के दौरान पूरे देश में इसकी खेती की जाती है। यह भारत के दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी हिस्सों में रबी के दौरान चावल की फलियों के लिए सबसे उपयुक्त है। ग्रीनग्राम की तुलना में ब्लैकग्राम को अपेक्षाकृत भारी मिट्टी की आवश्यकता होती है।
काला चना, जिसे उड़द बीन, मैश और ब्लैक मैश के रूप में भी जाना जाता है, एक छोटी अवधि की दलहनी फसल है जो भारत के कई हिस्सों में उगाई जाती है। भारत काले चने का सबसे बड़ा उत्पादक होने के साथ-साथ उपभोक्ता भी है। भारत के कुल दाल उत्पादन में काले चने की हिस्सेदारी करीब 10 फीसदी है।
अधिकांश फलियों की तुलना में काले चने या उड़द की दाल में उच्च प्रोटीन मूल्य होता है। यह आहार फाइबर, आइसोफ्लेवोन्स, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, लोहा, तांबा, कैल्शियम, मैग्नीशियम, जस्ता, पोटेशियम, फास्फोरस का भी एक उत्कृष्ट स्रोत है जो स्वास्थ्य लाभ के असंख्य प्रदान करता है।
इसे क्षारीय और लवणीय मिट्टी को छोड़कर, रेतीली दोमट से लेकर भारी मिट्टी तक सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है।
भारत में प्रमुख उड़द की दाल के उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश हैं।
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