Maize (मक्का)

News Banner Image

Watering

Medium

News Banner Image

Cultivation

Manual

News Banner Image

Harvesting

Machine & Manual

News Banner Image

Labour

Low

News Banner Image

Sunlight

Medium

News Banner Image

pH value

5.6 - 7.5

News Banner Image

Temperature

18 - 27 °C

News Banner Image

Fertilization

N +K2O 90 - 100 kg/Acre

Maize (मक्का)

Basic Info

मक्का एक प्रमुख खाद्य फसल हैं, जो मोटे अनाजो की श्रेणी में आता है। यह एक मक्का या भुट्‌टा का ही स्वरूप है। भारत मे मक्का की खेती जिन राज्यो मे व्यापक रूप से की जाती है वे हैं- आन्ध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश इत्यादि। इनमे से राजस्थान मे मक्का का सर्वाधिक क्षेत्रफल है व आन्ध्रा मे सर्वाधिक उत्पादन होता है। परन्तु मक्का का महत्व जम्मू काश्मीर, हिमाचल, पूर्वोत्तर राज्यो, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, महाराष्ट्र, गुजरात व झारखण्ड मे भी काफी अधिक है। कुल मक्का उत्पादन का 80% से अधिक आंध्र प्रदेश (20.9%), कर्नाटक (16.5%), राजस्थान (9.9%), महाराष्ट्र (9.1%), बिहार (8.9%), उत्तरप्रदेश (6.1%), मध्यप्रदेश (5.7%), हिमाचल प्रदेश (4.4%) इत्यादी राज्यों में होता है। अब मक्का को कार्न, पॉप कार्न, स्वीट कॉर्न, बेबी कॉर्न आदि अनेको  रूप में पहचान मिल चुकी है। किसी अन्य फसल में इतनी विविधता कहां देखने को  मिलती है। विश्व के अनेक देशो में मक्का की खेती प्रचलित है जिनमें क्षेत्रफल एवं उत्पादन के हिसाब से संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, चीन और ब्राजील का विश्व में क्रमशः प्रथम, द्वितिय एवं तृतीय स्थान है।

Seed Specification

प्रसिद्ध किस्में :-
संकर जातियां - गंगा-1, गंगा-4, गंगा-11, डेक्कन-107, केएच-510, डीएचएम-103, डीएचएम-109, हिम-129, पूसा अर्ली हा-1 व 2, विवेक हा-4, डीएचएम-15 आदि।
कम्पोजिट जातियां - नर्मदा मोती, जवाहर मक्का-216, चन्दन मक्का-1, 2 व 3, चन्दन सफेद मक्का-2, पूसा कम्पोजिट-1, 2 व 3, माही कंचन, अरून, किरन, जवाहर मक्का- 8, 12 व 216, प्रभात, नवजोत आदि।


बीज की मात्रा :-
संकर जातियां :- 12 से 15 किलो/हे.
कम्पोजिट जातियां :- 15 से 20 किलो/हे.
हरे चारे के लिए :- 40 से 45 किलो/हे.
(छोटे या बड़े दानो के अनुसार भी बीज की मात्रा कम या अधिक होती है।)


मक्का बुवाई का समय :-
1. खरीफ: जून से जुलाई तक।
2. रबी: अक्टूबर से नवम्बर तक।
3. जायद: फरवरी से मार्च तक।


बीज उपचार :-
फफूंदीनाशक बीज उपचार- बुवाई पूर्व बीज को थायरम या कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें, इन्हें पानी में मिलाकर गीला पेस्ट बनाकर बीज पर लगाएं।
कीटनाशक बीज उपचार- बीज और नए पौधों को रस चूसक एवं मिट्टी में रहने वाले कीटों से बचाने के लिए कीटनाशक से बीज उपचार जरूरी है| बीज को थायोमेथोक्जाम या इमिडाक्लोप्रिड 1 से 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।
जैविक टीके से बीज उपचार- फफूंदीनाशक तथा कीटनाशक से उपचार के बाद बीज को एजोटोबेक्टर 5 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करके तुरंत बुवाई करें।

बुवाई का तरीका :-
बीज को  हाथों से गड्ढा खोदकर या आधुनिक तरीके से ट्रैक्टर और सीडड्रिल की सहायता से मेंड़ बनाकर की जा सकती है। बीजों को 3-4 सैं.मी. गहराई में बीजें। स्वीट कॉर्न की बिजाई 2.5 सैं.मी. गहराई में करें।

Land Preparation & Soil Health

खाद एवं रासायनिक :-
मक्का की खेती के लिए भूमि की तैयारी करते समय 5 से 8 टन अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद खेत मे मिलाना चाहिए तथा भूमि परीक्षण उपरांत जहां जस्ते की कमी हो वहां 25 कि.ग्रा./हे जिंक सल्फेट वर्षा से पूर्व डालना चाहिए। फास्फोरस 75-150 किलो, यूरिया 75-110 किलो और पोटाश 15-20 किलो प्रति एकड़ डालें। ध्यान रहे रासायनिक उर्वरक मिट्टी परिक्षण के आधार पर ही प्रयोग करें।

हानिकारक कीट और उनकी रोकथाम :-
तना छेदक -  इसकी रोकथाम के लिए कार्बोफ्यूरान 3जी 20 किग्रा अथवा फोरेट 10 प्रतिशत सीजी 20 किग्रा अथवा डाईमेथोएट  30 प्रतिशत ईसी 1.0 लीटर प्रति हेक्टेयर अथवा क्यूनालफास 25 प्रतिशत ईसी 1.50 लीटर।
गुलाबी छेदक - इसे रोकने के लिए कार्बोफ्यूरॉन 5 प्रतिशत डब्लयु/डब्लयु 2.5 ग्राम  से  प्रति किलो बीज का उपचार करें। इसके इलावा अंकुरन से 10 दिन बाद 4 किग्रा टराइकोकार्ड प्रति एकड़ डालने से भी नुकसान से बचा जा सकता है। रोशनी और फीरोमोन कार्ड भी पतंगे को पकड़ने के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
कॉर्न वार्म  -  रासायनिक नियंत्रण के लिए बुआई से एक सप्ताह पूर्व खेत में 10 किग्रा फोरेट 10 जी फैलाकर मिला दें।
शाख का कीट - इसे रोकने के लिए डाईमैथोएट 2 मि.ली. को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
दीमक - खड़ी फसल में प्रकोप होने पर सिंचाई के पानी के साथ क्लोरपाइरीफास 20 फीसदी ईसी 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें।
शाख की मक्खी -  बिजाई के समय मिट्टी में फोरेट 10 प्रतिशत सी जी 5 किलो प्रति एकड़ डालें। इसके इलावा डाईमैथोएट 30 प्रतिशत ई सी 300 मि.ली. या मिथाइल डेमेटान 25 प्रतिशत ई सी 450 मि.ली. को प्रति एकड़ में स्प्रे करें।

हानिकारक रोग और उनकी रोकथाम :-
तने का गलना - इसे रोकने के लिए पानी खड़ा ना होने दें और जल निकास की तरफ ध्यान दें। रोग दिखाई देने पर 15 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन अथवा 60 ग्राम एग्रीमाइसीन तथा 500 ग्राम कॉपर आक्सीक्लोराइड प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने से अधिक लाभ होता है। अथवा 150 ग्रा. केप्टान को 100 ली. पानी मे घोलकर जड़ों पर डालना चाहिये।
पत्ता झुलस रोग  - इसकी रोकथाम के लिए डाइथेन एम-45 या ज़िनेब 2.0-2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर 7-10 दिन के फासले पर 2-4 स्प्रे करने से इस बीमारी को शुरूआती समय में ही रोका जा सकता है।
पत्तों के नीचे भूरे रंग के धब्बे -  इसकी रोकथाम के लिए प्रभावित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दें और मैटालैक्सिल 1 ग्राम  या  मैटालैक्सिल+मैनकोज़ेब 2.5 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
 तुलासिता रोग -  इनकी रोकथाम के लिए जिंक मैगनीज कार्बमेट या जीरम 80 प्रतिशत, दो किलोग्राम अथवा 27 प्रतिशत के तीन लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव आवश्यक पानी की मात्रा में घोलकर करना चाहिए।

Crop Spray & fertilizer Specification

मक्का एक प्रमुख खाद्य फसल हैं, जो मोटे अनाजो की श्रेणी में आता है। यह एक मक्का या भुट्‌टा का ही स्वरूप है। भारत मे मक्का की खेती जिन राज्यो मे व्यापक रूप से की जाती है वे हैं- आन्ध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश इत्यादि। इनमे से राजस्थान मे मक्का का सर्वाधिक क्षेत्रफल है व आन्ध्रा मे सर्वाधिक उत्पादन होता है। परन्तु मक्का का महत्व जम्मू काश्मीर, हिमाचल, पूर्वोत्तर राज्यो, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, महाराष्ट्र, गुजरात व झारखण्ड मे भी काफी अधिक है। कुल मक्का उत्पादन का 80% से अधिक आंध्र प्रदेश (20.9%), कर्नाटक (16.5%), राजस्थान (9.9%), महाराष्ट्र (9.1%), बिहार (8.9%), उत्तरप्रदेश (6.1%), मध्यप्रदेश (5.7%), हिमाचल प्रदेश (4.4%) इत्यादी राज्यों में होता है। अब मक्का को कार्न, पॉप कार्न, स्वीट कॉर्न, बेबी कॉर्न आदि अनेको  रूप में पहचान मिल चुकी है। किसी अन्य फसल में इतनी विविधता कहां देखने को  मिलती है। विश्व के अनेक देशो में मक्का की खेती प्रचलित है जिनमें क्षेत्रफल एवं उत्पादन के हिसाब से संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, चीन और ब्राजील का विश्व में क्रमशः प्रथम, द्वितिय एवं तृतीय स्थान है।

Weeding & Irrigation

खरपतवार नियंत्रण :-
बुवाई के 15-20 दिन बाद डोरा चलाकर निंदाई-गुड़ाई करनी चाहिए या रासायनिक निंदानाशक मे एट्राजीन नामक निंदानाशक का प्रयोग करना चाहिए। एट्राजीन का उपयोग हेतु अंकुरण पूर्व 600-800 ग्रा./एकड़ की दर से छिड़काव करें। इसके उपरांत लगभग 25-30 दिन बाद मिट्टी चढावें।

सिंचाई :-
मक्का ज्यादातर उन क्षेत्रों में उगाया जाता है, जहां वार्षिक वर्षा 60 सेंटीमीटर से 110 सेंटीमीटर के बीच होती है। जायद की फसल को अधिक सिंचाई की जरूरत होती है| सही समय पर सिंचाई न करने से पैदावार में भारी कमी आ जाती है| पहली सिंचाई बुवाई के 15 से 20 दिन बाद करें| उसके बाद फसल घुटने तक होने पर, नर फूल निकलने पर, भुटा बनते वक्त व दाना भरते वक्त सिंचाई जरूर करें| फसल को 5-6 सिंचाई चाहिए|

Harvesting & Storage

कटाई एवं गहाई :-
जब भुट्टे को ढकने वाले पत्ते पीले या भूरे होने लगे एवं दानो की नमी 30 प्रतिशत से कम हो जाए तो फसल काट लेनी चाहिए भुट्टे काटने पर पौधा हरा रहता है, उसे पशु के चारे हेतु प्रयोग करें|
कटाई के बाद मक्का फसल में सबसे महत्वपूर्ण कार्य गहाई है इसमें दाने निकालने के लिये सेलर का उपयोग किया जाता है। सेलर नहीं होने की अवस्था में साधारण थ्रेशर में सुधार कर मक्का की गहाई की जा सकती है इसमें मक्के के भुट्टे के छिलके निकालने की आवश्यकता नहीं है। सीधे भुट्टे सुखे होने पर थ्रेशर में डालकर गहाई की जा सकती है साथ ही दाने का कटाव भी नहीं होता।

भंडारण :-
कटाई व गहाई के पश्चात प्राप्त दानों को धूप में अच्छी तरह सुखाकर भण्डारित करना चाहिए। यदि दानों का उपयोग बीज के लिये करना हो तो इन्हें इतना सुखा लें कि नमी करीब 12 प्रतिशत रहे। और साथ में नमी रहित स्थान पर भंडारित करें।  
उत्पादन क्षमता: प्रति एकड़ 10 से 20 क्विंटल उपज देती है। संकर के साथ हम प्रति एकड़ 40 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं। 

Crop Disease

BACTERIAL STALK ROT OF MAIZE

Description:
मक्के के जीवाणु स्टाल रोट, इरविनिया कैरोटोवोरा के कारण अपरिपक्व पत्तियों के सूखने और सूखने से पहले समय से पहले दिखाई दिया, जो जल्द ही निचली पत्तियों द्वारा पीछा किया गया था। सड़ांध को या तो आधार से ऊपर की ओर (बेसल रोट) से या ऊपर से नीचे (टॉप रोट) से बढ़ाया जाता है। मकई के जीवाणु डंठल सड़ांध उच्च हवा के तापमान और गीले मौसम या उच्च आर्द्रता की परिस्थितियों में इष्ट है। बैक्टीरियल डंठल सड़ांध आम नहीं है, लेकिन अक्सर मकई के ओवरहेड सिंचाई के साथ दिखाई देता है, खासकर जहां पानी का स्रोत एक झील, तालाब या धीमी गति से चलती धारा है। पत्ती या डंठल की चोट ओलों, कीड़ों या यांत्रिक चोटों से जीवाणु संक्रमण की सुविधा देती है। सिंचाई धुरी पहिया पटरियों के बगल में संक्रमण बदतर हो सकता है।

Organic Solution:
मकई के संकर(hybrids) बैक्टीरिया के डंठल सड़ने के लिए कुछ हद तक प्रतिरोधी प्रतीत होते हैं, हालांकि यह रोग इतना कम होता है कि इसे कम तापमान प्रबंधन विधि बना दिया जाता है। ब्लीचिंग पाउडर (100 पीपीएम की drenching) और एंटीबायोटिक दवाओं।

Chemical solution:
स्ट्रैप्टोसायक्लिन अकेले और + ब्लिटॉक्स -50 W (50% कॉपर ऑक्सीक्लोराइड)

image image

black bundle disease

Description:
पूरे इजरायल में मक्का के खेतों को गंभीर रूप से प्रभावित करने वाली एक बीमारी है, जो तासीर करने से पहले और परिपक्व होने के कुछ समय बाद तक मक्के के पौधों की अपेक्षाकृत तेजी से नष्ट होती है। रोग का कारक एजेंट कवक हैरफोरा मायाडिस, एक मिट्टी-जनित और बीज जनित रोगज़नक़ है, जिसे वर्तमान में कम संवेदनशीलता वाले मक्का की खेती का उपयोग करके नियंत्रित किया जाता है।

Organic Solution:
एकरमोनियम मेयडिस के कारण होने वाली मक्का की काली बंडल बीमारी का प्रबंधन करने के लिए तीन प्रजातियों की अर्बुसकुलर फफूंदीय कवक (ग्लोमस फासिकुलटम, ग्लोमस मोसाए और एकाउलिसपोरा लाविस) को जैव-एजेंट के रूप में इस्तेमाल किया गया था। परिणामों से पता चला है कि मेजबान की जड़ प्रणाली में arbuscular mycorrhizal कवक के उपनिवेशण ने बीमारी की घटनाओं का प्रतिशत काफी कम कर दिया|

Chemical solution:
अजॉक्सिस्ट्रोबिन, अत्यधिक प्रभावी हैI सीडेनकोनाज़ोल मिश्रण (एएस + डीसी), या फ़्लुजिनम या फ़्लुओपिरम और ट्राइफ़्लोक्सिस्ट्रोबिन मिश्रण, या प्रोथियोकैनाज़ोल और टेबुकोनाज़ोल मिश्रण को बीज कोटिंग के संयुक्त उपचार में और दो युग्मन पंक्तियों के साथ एक ड्रिप सिंचाई लाइन पर।

image

charcoal rot

Description:
चारकोल रोट फंगस मैक्रोफोमिना फेजोलिना के कारण होता है। प्रभावित पौधों के पिथ और रिन्ड कई छोटे काले माइक्रोलेरोटिया के कारण ग्रे दिखाई देते हैं जो विकसित होते हैं। दानेदार ऊतक विघटित हो जाता है, जिससे संवहनी ऊतक एक दानेदार, धूसर उपस्थिति के साथ निकल जाता है। कवक फसल अवशेषों और मिट्टी में स्क्लेरोटिया के रूप में उग आता है और जड़ों के माध्यम से पौधों को संक्रमित करता है। यह तब हो सकता है जब बढ़ती स्थिति गर्म और शुष्क होती है।

Organic Solution:
कम जुताई नमी को बचाने में मदद कर सकती है लेकिन संक्रमित पौधे के मलबे और फफूंद बीजाणु वाली मिट्टी को भी वितरित कर सकती है। गालिडिया और जिबरेल्ला डंठल सड़ांध के लिए प्रतिरोधी संकर का उपयोग करें, साथ ही साथ चारकोल डंठल के लिए आनुवंशिक प्रतिरोध( genetic resistance) की पेशकश करें।

Chemical solution:
कार्बेन्डाजिम, क्विनटोज़ीन और बेनामिल एन्हांसमेंट( इन्क्रेअसेस) प्लांट उद्भव(एमेर्गेंस) और रोग नियंत्रण|

image image

Brown Stripe Downy Mildew

Description:
यह भारत में एक आम और विनाशकारी बीमारी है, जिसमें 20 से 90% तक की हानि होती हैI वर्षा की गिरावट के रूप में यह 100 से 200 सेमी वर्षा वाले क्षेत्रों में सबसे अधिक गंभीर हो जाता हैI उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में 63% तक का नुकसान दर्ज किया गया है|

Organic Solution:
आज तक, डाउनी फफूंदी के लिए कोई भी जैविक नियंत्रण विधियां प्रभावी नहीं हैं।

Chemical solution:
रोपण के बाद 30 दिनों तक मक्का के 4 जी / किग्रा नियंत्रित भूरे रंग की धारी वाली फफूंदी (स्केलेरोफ्थोरा रेज़ियाए वेरि। ज़ी) पर धातुक्षय(metalaxyl) से उपचारित करें।

image

Common Rust of Corn

Description:
आम मकई की जंग, कवक पुकिनिया सोर्गी के कारण, मकई के दो प्राथमिक जंग रोगों में सबसे अधिक बार होता है आम जंग गंभीर रूप से प्रभावित हो जाती है जब मौसम की स्थिति जंग कवक के विकास और प्रसार का पक्ष लेती है। स्वीट कॉर्न आमतौर पर फील्ड कॉर्न की तुलना में अधिक अतिसंवेदनशील होते हैं। असाधारण रूप से शांत ग्रीष्मकाल के साथ और विशेष रूप से देर से रोपे गए खेतों या स्वीट कॉर्न पर, उपज में नुकसान तब हो सकता है जब दाने के पूरा होने से पहले कान के ऊपर और ऊपर के पत्ते गंभीर रूप से रोगग्रस्त हो जाते हैं।

Organic Solution:
फसलों पर धीमी गति से रिलीज, जैविक उर्वरक का उपयोग करें और अतिरिक्त नाइट्रोजन से बचें। नरम, पत्तेदार, नई वृद्धि सबसे अधिक अतिसंवेदनशील है।

Chemical solution:
जंग नियंत्रण के लिए कई कवक उपलब्ध हैं। इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए मैन्कोज़ेब, पाइरक्लोस्ट्रॉबिन, पाइरक्लोस्ट्रॉबिन + मेटकोनाज़ोल, पाइरक्लोस्ट्रॉबिन + फ्लक्सैरेप्रोडिन, एज़ोक्सिस्ट्रोबिन + प्रोपोसिज़न, ट्रायफ़्लोक्सीस्ट्रोबिन + प्रोथीकोनाज़ोल युक्त उत्पादों का उपयोग किया जा सकता है।

image image

Frequently Asked Question

किस मौसम में मक्का की फसल उगाई जाती है?

मक्का की खेती के तीन अलग-अलग मौसम हैं: मुख्य मौसम खरीफ है, जबकि प्रायद्वीपीय भारत और बिहार में रबी के दौरान और उत्तरी भारत में वसंत में इसकी खेती की जाती है। रबी और वसंत फसलों में अधिक पैदावार दर्ज की गई है।

क्या मक्का खरीफ की फसल है?

भारत में मक्का पूरे साल उगाया जाता है। यह मुख्य रूप से खरीफ की फसल है, जिसमें सीजन में 85 प्रतिशत क्षेत्र में खेती की जाती है। चावल और गेहूं के बाद मक्का भारत में तीसरी सबसे महत्वपूर्ण अनाज की फसल है। देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन का लगभग 10 प्रतिशत इसका हिस्सा है।

भारत में मक्का का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन सा है?

राजस्थान (13%) और मध्यप्रदेश (10%) के बाद मक्का की खेती के लिए कर्नाटक (15%) सबसे बड़ा राज्य है। चावल और गेहूं के बाद, मक्का भारत की तीसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल है।

मक्का को परिपक्व होने में कितना समय लगता है?

मक्का बहुत तेजी से परिपक्व होता है, बोने के 3 से 4 महीने के भीतर, फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है, इस पर निर्भर करता है कि आप किस फसल की कटाई करना चाहते हैं, लेकिन फिर मक्का की शुरुआती कटाई मई तक की जाती है और अक्टूबर के अंत में मक्का की कटाई की जाती है।

मक्का के लिए कौन सा उर्वरक सबसे अच्छा है?

नाइट्रोजन उर्वरकनाइट्रोजन: मक्का फसलों की वृद्धि, उपज और गुणवत्ता में सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व और भूमिका खिलाड़ी है। अच्छे पत्ते के विकास को बढ़ावा देने के लिए नाइट्रोजन उर्वरक आवश्यक है।

किस फसल को फसल की रानी कहा जाता है?

मकई या मक्का एक अनाज का अनाज है जो 'ग्रामिनी' परिवार से संबंधित है और इसके कई उपयोगों के कारण इसे 'अनाज की रानी' के रूप में जाना जाता है। मक्का का वैज्ञानिक नाम Zea Mays है। मक्का के प्रत्येक भाग का उपयोग विभिन्न प्रकार के खाद्य और गैर-खाद्य उत्पादों के उत्पादन के लिए किया जा सकता है।

क्या मक्का एक वार्षिक फसल है?

आलू, सब्जियां, चावल, मक्का ज्वार, मूंगफली या मूंगफली गिनने के लिए वार्षिक फसलें कई हैं, 360 दिनों के भीतर जीवन चक्र वाली कोई भी फसल एक वार्षिक फसल है।

Smart farming and agriculture app for farmers is an innovative platform that connects farmers and rural communities across the country.

© All Copyright 2024 by Kisaan Helpline