Gooseberry (आंवला)

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Watering

Low

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Cultivation

Transplant

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Harvesting

Manual

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Labour

Low

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Sunlight

Medium

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pH value

6.5 - 9.5

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Temperature

46 - 48°C

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Fertilization

10 kg FYM and mix well with soil. Apply fertilizer dose of N:P:K in the form of nitrogen @100 gm/pl

Gooseberry (आंवला)

Basic Info

आंवला भारतीय मूल का एक महत्वपूर्ण फल है। औषधीय गुण व पोषक तत्वों से भरपूर आंवले के फल प्रकृति की एक अभूतपूर्व देन है। इसका वानस्पतिक नाम एम्बलिका ओफीसीनेलिस है। आंवला के फलो में विटामिन ‘सी’ (500 से 700 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम) तथा कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेश्यिम व शर्करा प्रचुर मात्रा में पायी जाती है। साधारणतया आंवला को विटामिन ‘सी’ की अधिकता के लिए जाना जाता है। इसके फल विभिन्न दवाइयां तैयार करने के लिए प्रयोग किये जाते हैं। आंवला से बनी दवाइयों से अनीमिया, डायरिया, दांतों में दर्द, बुखार और जख्मों का इलाज किया जाता है। विभिन्न प्रकार के शैंपू, बालों में लगाने वाला तेल, डाई, दांतो का पाउडर, और मुंह पर लगाने वाली क्रीमें आंवला से तैयार की जाती है। भारत में उत्तर प्रदेश मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश आंवला के मुख्य उत्पादक राज्य हैं।

Seed Specification

बुवाई का समय
आंवला के पौधों को खेतों में लगाने का सबसे उपयुक्त समय जून माह के बाद सितम्बर माह तक का होता हैं।

फासला
मई-जून के महीने में कलम वाले पौधों को 4.5x4.5 मी के फासले पर लगाएं।

बीज की गहराई
1 मीटर गहरा वर्गाकार गड्डे खोदें और सूर्य के प्रकाश में 15-20 दिनों के लिए खुला छोड़ दें।

बुवाई का तरीका 
आंवला के पौधे बीज और कलम दोनों माध्यम से लगाए जाते हैं, लेकिन कलम के माध्यम से लगाना सबसे उपयुक्त होता है।

बीज की मात्रा
अच्छी पैदावार के लिए 200 ग्राम बीजों को प्रति एकड़ में प्रयोग करें।

बीज का उपचार
फसल को मिट्टी से पैदा होने वाली बीमारियों और कीटों से बचाने के लिए और अच्छे अंकुरन के लिए, बीजों को जिबरैलिक एसिड 200-500 पी पी एम से उपचार करें। रासायनिक उपचार के बाद बीजों को हवा में सुखाएं।

Land Preparation & Soil Health

खाद एवं रासायनिक उर्वरक
आंवला के अच्छे उत्पादन के लिए 10 किलो प्रति पौधे की दर से अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद मिट्टी में अच्छी तरह मिलाये। खेत में नाइट्रोजन 100 ग्राम, फास्फोरस 50 ग्राम और पोटाश 100 ग्राम प्रति पौधा डालें। यह खाद एक वर्ष के पौधे को डालें और 10 साल तक खाद की मात्रा बढ़ाते रहें। फास्फोरस की पूरी और पोटाश और नाइट्रोजन आधी मात्रा को जनवरी-फरवरी में शुरूआती खुराक के तौर पर डालें। बाकी की मात्रा अगस्त के महीने में डालें। बोरॉन और ज़िंक सल्फेट 100-150 ग्राम, सोडियम की ज्यादा मात्रा वाली मिटटी में पौधे की आयु और सेहत के अनुसार डालें।

Crop Spray & fertilizer Specification

आंवला भारतीय मूल का एक महत्वपूर्ण फल है। औषधीय गुण व पोषक तत्वों से भरपूर आंवले के फल प्रकृति की एक अभूतपूर्व देन है। इसका वानस्पतिक नाम एम्बलिका ओफीसीनेलिस है। आंवला के फलो में विटामिन ‘सी’ (500 से 700 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम) तथा कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेश्यिम व शर्करा प्रचुर मात्रा में पायी जाती है। साधारणतया आंवला को विटामिन ‘सी’ की अधिकता के लिए जाना जाता है। इसके फल विभिन्न दवाइयां तैयार करने के लिए प्रयोग किये जाते हैं। आंवला से बनी दवाइयों से अनीमिया, डायरिया, दांतों में दर्द, बुखार और जख्मों का इलाज किया जाता है। विभिन्न प्रकार के शैंपू, बालों में लगाने वाला तेल, डाई, दांतो का पाउडर, और मुंह पर लगाने वाली क्रीमें आंवला से तैयार की जाती है। भारत में उत्तर प्रदेश मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश आंवला के मुख्य उत्पादक राज्य हैं।

Weeding & Irrigation

खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करना चाहिए।

सिंचाई
पौधरोपण के तुरंत बाद सिंचाई की आवश्यकता होती है। गर्मियों में सिंचाई 15 दिनों के फासले पर करें और सर्दियों में अक्तूबर दिसंबर के महीने में हर रोज़ चपला सिंचाई द्वारा 25-30 लीटर प्रति वृक्ष डालें। बरसात के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। फूल निकलने के समय सिंचाई ना करें।

Harvesting & Storage

फलों की तुड़ाई और छटाई
आँवले के पौधे खेत में लगाने के लगभग तीन से चार साल बाद पैदावार देना शुरू करते हैं। इसके फल, फूल लगने के लगभग 5 से 6 महीने बाद पककर तैयार हो जाते हैं। इसके फल शुरुआत में हरे दिखाई देते हैं। लेकिन पकने के बाद इनका रंग हल्का पीला दिखाई देने लगता है। इस दौरान इसके फलों की तुड़ाई कर लेनी चाहिए। इसके फलों की तुड़ाई करने के बाद उन्हें ठंडे पानी से धोकर छायादार जगहों में सुखा देना चाहिए। फलों के सुखाने के बाद उनकी छटाई कर बाज़ार में बेचने के लिए भेज देना चाहिए।

उत्पादन
आँवला के पूर्ण रूप से तैयार एक वृक्ष से 100 से 120 किलो तक फल प्राप्त हो जाते है। जबकि एक एकड़ में इसके लगभग 150 से 180 पौधे लगाए जा सकते हैं।

Crop Disease

Rust (जंग)

Description:
रेवेनेलिया एम्ब्लिके के टेलीस्पोर्स फल और पत्ती के संक्रमण का कारण बनते हैं| सितंबर में मानसून के बाद अनुकूल स्थिति है|

Organic Solution:
सहिष्णु और प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग | फसल चक्रण का पालन किया जाना चाहिए। पिछली फसल अवशेष नष्ट हो जाना चाहिए। • फसल अवशेषों को निकालना।

Chemical solution:
2 किलो / हेक्टेयर पर मैनकोजेब का छिड़काव करें।

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soft rot (नरम सड़ांध)

Description:
रोग गर्म और गीले मौसम के इष्ट है। कवक वृद्धि के लिए इष्टतम तापमान 29 डिग्री सेल्सियस है और यह 32 डिग्री सेल्सियस तक अच्छी तरह से बढ़ता है।

Organic Solution:
फसल के घूमने का अभ्यास इस बीमारी का सबसे अच्छा नियंत्रण हो सकता है। खरपतवार नियंत्रण उचित होना चाहिए क्योंकि वे रोग पैदा करने वाले रोगजनकों को लाने का मुख्य कारण हैं।

Chemical solution:
हालांकि मैथेलेक्सिल या फॉस्फोरस एसिड के नियमित अनुप्रयोगों से नरम सड़ांध को नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन इसमें शामिल लागतें अदरक की खेती को असम्बद्ध बनाने की संभावना है, और इसकी सिफारिश नहीं की जा सकती है।

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Cane Borer

Description:
नुकसान वयस्क भूरी बीटल के लार्वा के कारण होता है जो फली के बाहर परिपक्व वयस्क बीटल द्वारा रखी जाती हैं। अंडे सेने के बाद, युवा लार्वा अंडे से फली की दीवार के माध्यम से सीधे खुदाई करता है।

Organic Solution:
बोनाइड® साइट्रस, फल और अखरोट के बाग स्प्रे बर्लेप के साथ रगड़ें।

Chemical solution:
4 घंटे के लिए 32 ग्राम / वर्ग मीटर के साथ मिथाइल ब्रोमाइड के साथ धूमन। क्लोरपायरीफोस बीज उपचार @ 3 जी / किग्रा, स्प्रे मैलाथियान 50EC @ 5 मि.ली. / ली। के साथ 2 से 3 बार गोदामों की दीवारों पर, साथ ही थैलियों पर भी फॉलो करें।

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