Land Preparation & Soil Health
खाद एवं रासायनिक उर्वरक
गड्ढे तैयार करते समय अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट अच्छी तरह मिट्टी में मिला देना चाहिए जिससे कि पौधों का विकास अच्छा होता है। और रासायनिक उर्वरक मिट्टी की जांच के आधार पर प्रयोग में लाएं।
Crop Spray & fertilizer Specification
आप जानते है अखरोट (Walnut) पतझड़ करने वाले बहुत सुन्दर और सुगन्धित पेड़ होते हैं। अखरोट का फल एक प्रकार का सूखा मेवा है जो खाने के लिये उपयोग में लाया जाता है। अखरोट का बाह्य आवरण एकदम कठोर होता है और अंदर मानव मस्तिष्क के जैसे आकार वाली गिरी होती है। अखरोट की खेती या बागवानी भारत देश में मुख्य रूप से पहाड़ी क्षेत्रो में की जाती है। इसका अधिकतम उपयोग मिष्ठान उद्योग में किया जाता है। भारत में इसकी खेती हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, कश्मीर के कुपवाड़ा, उड़ी, द्रास और पूंछ बर्फीली घाटियों में और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में की जाती है।
Weeding & Irrigation
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार समय-समय पर पौधों के आसपास निराई गुड़ाई करना चाहिए।
सिंचाई
पौधरोपण के तुरंत बाद सिंचाई करना चाहिए और इसके लिए शुरूआत में पौधों को गर्मियों में सप्ताह में एक बार पानी जरूर देना चाहिए जबकि सर्दियों के मौसम में पौधों को 20 से 30 दिन के अंतराल में पानी देना चाहिए और सर्दियों में अधिक पाला पढ़ने के समय पौधों को जल्दी जल्दी हल्का पानी देने से पौधों पर पाले का प्रभाव कम दिखाई देता है। फलन और फूल के समय सिंचाई की आवश्यकता होती हैं।
Harvesting & Storage
अंतर फसलें
अखरोट के पौधे खेत में लगाने के चार साल बाद पैदावार देना शुरू करते हैं। इस दौरान किसान भाई पेड़ो के बीच खाली पड़ी जमीन में कम समय की बागवानी फसल (पपीता), सब्जी, औषधी और मसाला फसलों को आसानी से उगा सकता हैं, जिससे किसान भाइयों को उनकी खेत से लगातार पैदावार भी मिलती रहती है।
फसल की कटाई
अखरोट के फलो की तुड़ाई जब अखरोट के फलों की ऊपरी छाल फटने लगे तब करनी चाहिये। अखरोट के फल पकने के बाद खुद टूटकर गिरने लगते हैं। जब पौधे से लगभग 20 प्रतिशत फल गिर जाएँ तब एक लंबा बाँस लेकर पौधे से इसके फल गिरा लेने चाहिए। अखरोट के नीचे गिरे हुए फलों को एकत्रित कर उन्हें पौधे की पत्तियों से ढक देना चाहिए। ताकि फलों की छाल आसानी से हटाई जा सके। इसके फलों में अधिक चमक बनाने के लिए इन्हें एक विशेष प्रकार के घोल में डुबोकर रखा जाता है। उसके बाद इसके फलों को धूप में सुखाया जाता है।
उत्पादन
अखरोट के पौधे सामान्य रूप से 20 से 25 साल बाद पैदावार देना शुरू करते हैं। लेकिन वर्तमान में तैयार की गई विभिन्न किस्मों के पौधे रोपाई के तीन से चार साल बाद ही पैदावार देना शुरू कर देते हैं। जो 20 से 25 साल बाद सालाना औसतन 40 किलो प्रति पौधे की दर से पैदावार देते हैं।