Indian Barbery (इंडियन बेरी)

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Cultivation

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Harvesting

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Sunlight

Low

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pH value

4.4 - 5.5

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Temperature

8 - 20°C

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Fertilization

nitrogen such as urea, sulfur-coated urea, ammonium sulfate, or cottonseed meal

Indian Barbery (इंडियन बेरी)

Indian Barbery (इंडियन बेरी)

Basic Info

दारुहरिद्रा (Indian Barbery) एक बारहमासी झाड़ीनुमा पौधा होता है। इस पौधे की लंबाई लगभग 3.5 मीटर होती है। इस पौधे की छाल का रंग हल्‍का पीला होता है। इसकी पत्तियां 5-8 के समूह में होती हैं। इनकी पत्तियों का रंग हरा होता है जो उपरी सतह पर गहरा और निचली सतह पर हल्‍का हरा रंग लिए होती हैं। इस पौधे के फूल उभयलिंगी होतें जो कि पीले रंग के होते हैं। इसके फूल अप्रैल-मई के महिने में दिखाई देते हैं। इस पौधे के फल में विटामिन सी की उच्‍च मात्रा होती है। इसके फल रसदार होते हैं जो कई प्रकार के पोषक तत्‍वों से भरपूर होते हैं। इनमें पर्याप्‍त मात्रा में चीनी होती है। इस फल में बीजों की संख्‍या 2-5 होती है। 

दारुहरिद्रा (Indian Barbery) (वानस्पतिक नाम Berberis aristata) एक औषधीय जड़ी बूटी है। दारुहरिद्रा के फायदे जानकर आप हैरान हो जाएगें। इसे दारू हल्दी के नाम से भी जाना जाता हैं । यह मधुमेह की चिकित्सा में बहुत उपयोगी है। यह ऐसी जड़ी बूटी है जो कई अस्वास्थ्यकर स्वास्थ्य समस्याएं को प्रभावी रूप से दूर कर सकती है। दारू हल्दी का पौधा भारत और नेपाल के पर्वतीय हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह श्रीलंका के कुछ स्थानों में भी पाया जाता है। दारुहरिद्रा के फायदे होने के साथ ही कुछ सामान्‍य नुकसान भी होते हैं। दारुहरिद्रा को इंडियन बारबेरी (Indian barberry) या ट्री हल्‍दी (tree turmeric) के नाम से भी जाना जाता है। यह बार्बरीदासी परिवार से संबंधित जड़ी बूटी है। इस जड़ी बूटी को प्राचीन समय से ही आयुर्वेदिक चिकित्‍सा प्रणाली में उपयोग किया जा रहा है।

दारुहरिद्रा के फायदे लीवर सिरोसिस, सूजन कम करने, पीलिया, दस्‍त का इलाज करने, मधुमेह को नियंत्रित करने, कैंसर को रोकने, बवासीर का इलाज करने, मासिक धर्म की समस्‍याओं को रोकने आदि में होते हैं।

Seed Specification

Land Preparation & Soil Health

Crop Spray & fertilizer Specification

दारुहरिद्रा (Indian Barbery) एक बारहमासी झाड़ीनुमा पौधा होता है। इस पौधे की लंबाई लगभग 3.5 मीटर होती है। इस पौधे की छाल का रंग हल्‍का पीला होता है। इसकी पत्तियां 5-8 के समूह में होती हैं। इनकी पत्तियों का रंग हरा होता है जो उपरी सतह पर गहरा और निचली सतह पर हल्‍का हरा रंग लिए होती हैं। इस पौधे के फूल उभयलिंगी होतें जो कि पीले रंग के होते हैं। इसके फूल अप्रैल-मई के महिने में दिखाई देते हैं। इस पौधे के फल में विटामिन सी की उच्‍च मात्रा होती है। इसके फल रसदार होते हैं जो कई प्रकार के पोषक तत्‍वों से भरपूर होते हैं। इनमें पर्याप्‍त मात्रा में चीनी होती है। इस फल में बीजों की संख्‍या 2-5 होती है। 

दारुहरिद्रा (Indian Barbery) (वानस्पतिक नाम Berberis aristata) एक औषधीय जड़ी बूटी है। दारुहरिद्रा के फायदे जानकर आप हैरान हो जाएगें। इसे दारू हल्दी के नाम से भी जाना जाता हैं । यह मधुमेह की चिकित्सा में बहुत उपयोगी है। यह ऐसी जड़ी बूटी है जो कई अस्वास्थ्यकर स्वास्थ्य समस्याएं को प्रभावी रूप से दूर कर सकती है। दारू हल्दी का पौधा भारत और नेपाल के पर्वतीय हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह श्रीलंका के कुछ स्थानों में भी पाया जाता है। दारुहरिद्रा के फायदे होने के साथ ही कुछ सामान्‍य नुकसान भी होते हैं। दारुहरिद्रा को इंडियन बारबेरी (Indian barberry) या ट्री हल्‍दी (tree turmeric) के नाम से भी जाना जाता है। यह बार्बरीदासी परिवार से संबंधित जड़ी बूटी है। इस जड़ी बूटी को प्राचीन समय से ही आयुर्वेदिक चिकित्‍सा प्रणाली में उपयोग किया जा रहा है।

दारुहरिद्रा के फायदे लीवर सिरोसिस, सूजन कम करने, पीलिया, दस्‍त का इलाज करने, मधुमेह को नियंत्रित करने, कैंसर को रोकने, बवासीर का इलाज करने, मासिक धर्म की समस्‍याओं को रोकने आदि में होते हैं।

Weeding & Irrigation

Harvesting & Storage

Crop Disease

Sooty Mould

Description:
संक्रमण की गंभीरता स्केल कीड़ों द्वारा शहद के ओस के स्राव पर निर्भर करती है जो कवक के विकास के लिए आवश्यक माध्यम प्रदान करते हैं। संचरण वायु-जनित एस्कोस्पोर्स द्वारा होता है। अनुकूल परिस्थितियाँ: उच्च आर्द्रता और नम स्थिति रोग के विकास के पक्ष में है।

Organic Solution:
सफेद मक्खियों, एफिड्स, स्केल्स, चींटियों और मीली बग को दूर करने के लिए नीम के तेल के फॉर्मूलेशन का उपयोग करें, जो एक कार्बनिक व्यापक स्पेक्ट्रम यौगिक है। नीम का तेल फंगस के विकास को भी कम करता है। प्रभावित पौधों पर कीटनाशक साबुन या डिश सोप (जैसे प्रति 5 लीटर पानी में एक बड़ा चम्मच) का छिड़काव किया जा सकता है।

Chemical solution:
यदि उपलब्ध हो तो हमेशा जैविक उपचार के साथ निवारक उपायों के साथ एक एकीकृत दृष्टिकोण पर विचार करें। मैलाथियान जैसे ऑर्गनोफॉस्फेट परिवार के सिंथेटिक कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है।

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Powdery Mildew

Description:
ख़स्ता फफूंदी सुप्त कलियों में सर्दियों में आ जाती है। जब वसंत ऋतु में कवक के विकास के लिए परिस्थितियां अनुकूल होती हैं, तो बीजाणु उत्पन्न होते हैं, मुक्त होते हैं और नए संक्रमण का कारण बनते हैं। यदि इन नए संक्रमणों में बीजाणु उत्पन्न होते हैं तो रोग का द्वितीयक प्रसार हो सकता है अनुकूल स्थिति: ख़स्ता फफूंदी का विकास सापेक्षिक आर्द्रता लगभग 80-85% और तापमान 24-26 डिग्री सेल्सियस के अनुकूल होता है।

Organic Solution:
पूर्ण खिलने पर छिड़काव से बचना चाहिए। एल्केथीन बैंड को नियमित अंतराल पर साफ करना चाहिए पारिस्थितिक इंजीनियरिंग के माध्यम से प्राकृतिक दुश्मनों का संरक्षण करें प्राकृतिक शत्रुओं की वृद्धिशील रिहाई

Chemical solution:
कार्बेन्डाजिम ५०% WP @ १० ग्राम का छिड़काव १० लीटर पानी में प्रति वृक्ष

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