Medium
Manual
Machine & Manual
Medium
Medium
6.5 - 7.8
25 to 35 °C
18 kg Urea/ha, 101 kg SSP/ha, 27 kg MOP/ha
Basic Info
चना एक प्रमुख दलहनी फसल है। चने को दालों का राजा कहा जाता है। पोषक मान की दृष्टि से चने के 100 ग्राम दाने में औसतन 11 ग्राम पानी, 21.1 ग्राम प्रोटीन, 4.5 ग्रा. वसा, 61.5 ग्रा. कार्बोहाइड्रेट, 149 मिग्रा. कैल्सियम, 7.2 मिग्रा. लोहा, 0.14 मिग्रा. राइबोफ्लेविन तथा 2.3 मिग्रा. नियासिन पाया जाता है। चने की पैदावार वाले मुख्य देश भारत, पाकिस्तान, इथियोपिया, बर्मा और तुर्की आदि हैं। इसकी पैदावार पूरे विश्व में से भारत में सबसे ज्यादा हैं और इसके बाद पाकिस्तान है।भारत में मध्य प्रदेश, राज्यस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र और पंजाब आदि मुख्य चने उत्पादक राज्य हैं।
Seed Specification
Land Preparation & Soil Health
Crop Spray & fertilizer Specification
चना एक प्रमुख दलहनी फसल है। चने को दालों का राजा कहा जाता है। पोषक मान की दृष्टि से चने के 100 ग्राम दाने में औसतन 11 ग्राम पानी, 21.1 ग्राम प्रोटीन, 4.5 ग्रा. वसा, 61.5 ग्रा. कार्बोहाइड्रेट, 149 मिग्रा. कैल्सियम, 7.2 मिग्रा. लोहा, 0.14 मिग्रा. राइबोफ्लेविन तथा 2.3 मिग्रा. नियासिन पाया जाता है। चने की पैदावार वाले मुख्य देश भारत, पाकिस्तान, इथियोपिया, बर्मा और तुर्की आदि हैं। इसकी पैदावार पूरे विश्व में से भारत में सबसे ज्यादा हैं और इसके बाद पाकिस्तान है।भारत में मध्य प्रदेश, राज्यस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र और पंजाब आदि मुख्य चने उत्पादक राज्य हैं।
Weeding & Irrigation
Harvesting & Storage
Description:
यह चना की खेती का प्रमुख रोग है| उकठा रोग का प्रमुख कारक फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम प्रजाति साइसेरी नामक फफूद है| यह सामान्यतः मृदा तथा बीज जनित बीमारी है, जिसकी वजह से 10 से 12 प्रतिशत तक पैदावार में कमी आती है| यह एक दैहिक व्याधि होने के कारण पौधे के जीवनकाल में कभी भी ग्रसित कर सकती है|
Organic Solution:
1. चना की बुवाई उचित समय यानि अक्टूबर से नवम्बर के प्रथम सप्ताह तक करें|
2. गर्मियों मई से जून में गहरी जुताई करने से फ्यूजेरियम फफूंद का संवर्धन कम हो जाता है| मृदा का सौर उपचार करने से भी रोग में कमी आती है|
3. पाच टन प्रति हेक्टेयर की दर से कम्पोस्ट का प्रयोग करें
5 फफूंदनाशी द्वारा बीज शोधित करके बुवाई करें|
मिट्टी जनित और बीज जनित रोगों के नियंत्रण हेतु बायोपेस्टीसाइड (जैवकवकनाशी) टाइकोडर्मा विरिडी 1 प्रतिशत डब्लू पी या टाइकोडर्मा हरजिएनम 2 प्रतिशत डब्लू पी 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर मात्रा को 60 से 75 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद में मिलाकर हल्के पानी का छींटा देकर 7 से 10 दिन तक छाया में रखने के बाद बुवाई के पूर्व आखिरी जुताई पर भूमि में मिला देने से चना को मिट्टी बीज जनित रोगों से बचाया जा सकता है|
Chemical solution:
5. कार्बेन्डाजिम 0.5 प्रतिशत या बेनोमिल 0.5 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें|
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संयुक्त राज्य अमेरिका (15,000 एकड़) में ज़्यादातर छोले की तीली कैलिफोर्निया (8,000 एकड़) में है, लेकिन पूर्वी वाशिंगटन, इदाहो और मोंटाना के कुछ हिस्सों में अब इस फसल को सफलतापूर्वक उगाया जा रहा है।
देसी चना में छोटे, गहरे रंग के बीज और एक मोटा कोट होता है। वे ज्यादातर भारत में और भारतीय उपमहाद्वीप के अन्य हिस्सों में और साथ ही इथियोपिया, मैक्सिको और ईरान में उगाए जाते हैं। देसी का अर्थ है "देश" या "देशी" हिंदी-उर्दू में; इसके अन्य नामों में काला चना (हिंदी-उर्दू में "काला चिकपा") या छोला बूट शामिल हैं।
हालांकि, सबसे अनुकूल मिट्टी गहरे पीएच या 6.0 से 8.0 तक के पीएच के साथ सिल्ट मिट्टी के दोम हैं। एक उच्च पानी की मेज के साथ खारा मिट्टी और खेत चना के लिए उपयुक्त नहीं हैं। खेत की तैयारी: मृदा में खराब वातन के लिए चीकू के पौधे अत्यधिक संवेदनशील होते हैं।
चना को परिपक्व होने के लिए 90-100 दिनों की आवश्यकता होती है। अंतिम औसत ठंढ की तारीख से लगभग 4 सप्ताह पहले उन्हें घर के अंदर शुरू करें। इष्टतम मिट्टी का तापमान: 10 ° C (50 ° F)। स्थितियों के आधार पर 14-21 दिनों में बीज अंकुरित होते हैं।
चना की प्रति हेक्टेयर उपज आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक है, इसके बाद बिहार और गुजरात का स्थान है।
चना का सबसे ज्यादा उत्पादन भारत में होता है। और दूसरा सर्वाधिक उत्पादक देश ऑस्ट्रेलिया हैं।
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