Apple (सेब)

News Banner Image

Watering

Medium

News Banner Image

Cultivation

Manual

News Banner Image

Harvesting

Manual

News Banner Image

Labour

Low

News Banner Image

Sunlight

Medium

News Banner Image

pH value

6.5

News Banner Image

Temperature

21-24 °C

News Banner Image

Fertilization

FYM 25 Kg, N 500 g and each one Kg of P and K per bearing tree

Apple (सेब)

Basic Info

आप जानते है, विश्व में भारत का सेब की खेती में नौवां स्थान है। भारत में सेब के प्रमुख उत्पादक राज्य जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल तथा अरूणाचल प्रदेश है। यह शीतोष्ण फलों में से एक है। सेब के बारे में कहा जाता है कि “An apple a day keeps the doctor away” मतलब रोज एक सेब खाने से आपको डॉक्टर की आवश्यकता नही पड़ती । यह फल विटामिन बी,विटामिन सी व खनिज लवणों से भरपूर है । यह फल हृदय,मस्तिष्क व जिगर के रोगियों के लिए अच्छा माना जाता है । हमारे देश में सेव को फल के रूप में खाने के अलावा चटनी, मुरब्बा, जैम, जेली, अचार आदि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। सेब अपने विशिष्ट स्वाद, सुगन्ध, रंग व अच्छी भण्डारण क्षमता के कारण प्रमुख स्थान रखता है। सेब कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन खनिज तत्वों के साथ-साथ अनेक विटामिन्स से भरपूर होता है।

Seed Specification

पौधे लगाने का समय
सेब की बुवाई का उचित समय जनवरी से मार्च का महीना होता है।

प्रति एकड़ पौधो की मात्रा 
प्रति एकड़ में सेब के तकरीबन 180 पौधे लगाए जाते हैं।

दुरी 
पौधे से पौधे के बीच की दूरी सामान्यतः 5*5 मीटर होती है, रोपण से एक माह पहले गड्डों की खुदाई की जाती है। अच्छी तथा उपजाऊ मिट्टी में गडढे का माप 2.5*2.5*2.5 फिट तथा कठोर व कम पोषक मिट्टी में 1.0*1.0*1.0 मीटर होनी चाहिए।

बुवाई का तरीका 
सेब की खेती के लिए प्रसारण बीज वाले पौधे बडिंग या रोपण विधि द्वारा किया जाता है। बडिंग जून और ग्राफ्टिंग दिसम्बर से जनवरी में करना उचित होता है।

शोधन प्रक्रिया 
रोपने से पहले पौधों की जड़ों को डाइथेन एम- 45 से उपचारित करें।

Land Preparation & Soil Health

खाद एवं रासायनिक उर्वरक 
सेब के पौधरोपण के समय 10 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद 1 किलोग्राम नीम की खली, 70 ग्राम नाईट्रोजन 35 ग्राम फास्फोरस और 70 ग्राम पोटेशियम प्रति पेड़ प्रति वर्ष की आयु की दर से 10 वर्ष तक देते रहना चाहिए। खाद और उर्वरकों की मात्रा मृदा के परीक्षण तथा किस्म के आधार पर निर्धारित की जाती है।

Crop Spray & fertilizer Specification

आप जानते है, विश्व में भारत का सेब की खेती में नौवां स्थान है। भारत में सेब के प्रमुख उत्पादक राज्य जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल तथा अरूणाचल प्रदेश है। यह शीतोष्ण फलों में से एक है। सेब के बारे में कहा जाता है कि “An apple a day keeps the doctor away” मतलब रोज एक सेब खाने से आपको डॉक्टर की आवश्यकता नही पड़ती । यह फल विटामिन बी,विटामिन सी व खनिज लवणों से भरपूर है । यह फल हृदय,मस्तिष्क व जिगर के रोगियों के लिए अच्छा माना जाता है । हमारे देश में सेव को फल के रूप में खाने के अलावा चटनी, मुरब्बा, जैम, जेली, अचार आदि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। सेब अपने विशिष्ट स्वाद, सुगन्ध, रंग व अच्छी भण्डारण क्षमता के कारण प्रमुख स्थान रखता है। सेब कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन खनिज तत्वों के साथ-साथ अनेक विटामिन्स से भरपूर होता है।

Weeding & Irrigation

खरपतवार नियंत्रण
सेब के पौधे सीधे रहे इसके लिए आरम्भ में भी लकड़ी के सहारे स्टेपनी से बांध दें। किसान भाई थालों में उगी घास खरपतवारों को नियमित रूप से निराई गुड़ाई कर निकाल दें।

सिंचाई 
रोपाई के साथ पहली सिंचाई तथा पिछली सिंचाई से 7 से 8 दिन बाद दूसरी सिंचाई आवश्यक है। यह एक बहुवर्षीय पौधा है अतः सेब को अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है, पौधे के जरूरत के हिसाब से सिंचाई करते रहें।

Harvesting & Storage

पौधों की कटाई - छटाई
सेब की खेती में सामान्यतः सेब के पौधों को आकार कटाई-छटाई के माध्यम से प्रदान किया जाता है, जिससे सूर्य की रौशनी आसानी से हर जगह पहुँच सके। इसके अनुसार मुख्य तने को हर वर्ष रूपान्तरित करके 3 से 4 मीटर तक बढने दिया जाता है तथा बाद में सहशाखा को काट दिया जाता है, इस विधि में ओलावृष्टि और बर्फ से बचाव के सभी गुण होते है।

फल-फूल के समय देखभाल
सेब में पुष्पन फरवरी-मार्च में होता है। साथ ही विभिन्न किस्मों के अनुसार अगस्त से अक्टूबर तक सेब के फल पकने लगते हैं। सेब के फल समय से पहले न गिरे इसके लिए थालों में पर्याप्त नमी रखना चाहिये । साथ ही बोरान व मैग्नीशियम की समुचित मात्रा देनी चाहिए।

फलों की तुड़ाई
जैसे ही फल पूर्ण विकसित, सुड़ौल व परिपक्व हो जाये। बिना देरी किये फलों को डंठल सहित तोड़ लेना चाहिए। साथ ही ध्यान रखें कि फल तोड़ते समय चोटिल न हों।

पैदावार
सेब की पैदावार जलवायु, भूमि की उर्वरा शक्ति तथा किस्म पर निर्भर करती है। वैज्ञानिक तकनीक से बागवानी करने पर एक पेड़ से औसत 100 से 180 किलोग्राम फल प्राप्त हो सकता है।

Crop Disease

Powdery mild dew

Description:
पाउडर फफूंद रोगजनक एरीसिफे नेक्टर के कारण होता है। यह सर्दियों में कलियों के रूप में निष्क्रिय कलियों या छाल दरारों में जीवित रहता है। विभिन्न पौधों के हिस्सों पर फफूंदी विकसित होने के बाद, यह नए बीजाणुओं का उत्पादन शुरू कर देता है जो हवा द्वारा और अधिक फैल जाते हैं।

Organic Solution:
सल्फर, नीम तेल, काओलिन या एस्कॉर्बिक एसिड पर आधारित पर्ण स्प्रे से गंभीर संक्रमण को रोका जा सकता है।

Chemical solution:
प्रारंभिक संक्रमण को कम करने के लिए सल्फर, तेल, बाइकार्बोनेट (bicarbonates) या फैटी एसिड के आधार पर सुरक्षा कवच का उपयोग किया जा सकता है। एक बार फफूंदी लगने के बाद स्ट्रोबिल्यूरिन ( strobilurins) और एजोफैथेलेन (azonaphthalenes) पर आधारित उत्पादों का छिड़काव किया जा सकता है।

image image

Fruit rot

Description:
फलों की सड़न की संभावना बढ़ जाती है| परिपक्वता के अंतिम चरणों के दौरान, आमतौर पर फसल के 2 से 3 सप्ताह पहले। प्रारंभ में, त्वचा पर टैन-ब्राउन, परिपत्र धब्बे दिखाई देते हैं।

Organic Solution:
फल-संरक्षण विधि जिसे हाइड्रो-कूलिंग के रूप में जाना जाता है, जिससे ताजे कटे हुए फलों और सब्जियों से गर्मी को हटा दिया जाता है बर्फ के पानी में उन्हें स्नान करने से भंडारण या परिवहन के दौरान फंगल विकास को रोका जा सकता है।

Chemical solution:
समय पर और दोहराया डाइकारबॉक्सिमाइड्स, बेन्ज़िमिडाज़ोल्स, ट्राइफोराइन, क्लोरोथालोनिल, माइकोबुटानिल, फेनब्यूकोनाज़ोल पर आधारित फफूंदनाशकों का उपयोग रोग के इलाज के लिए प्रोपोकोनाज़ोल, फेनहेक्सिडाम और एनलिनोपाइरीमिडीन प्रभावी हैं।

image image

Brown Rot

Description:
फाइटोफ्थोरा प्रजातियां ज्यादातर खट्टे पेड़ों में मौजूद हैं। वे मिट्टी में लगातार बीजाणुओं के रूप में प्रतिकूल परिस्थितियों से बच सकते हैं। Zoospores संक्रामक एजेंट हैं जो सिंचाई या बारिश के पानी में जड़ों तक ले जाते हैं। 

Organic Solution:
पक्षियों को नियंत्रित किया जा सकता है| ततैया के घोंसले को बाहर निकालकर नष्ट कर देना चाहिए। फलों की पैकिंग और भंडारण में विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है क्योंकि फलों के बीच कवक फैल सकता है।

Chemical solution:
Difenoconazole और fenhexamid के आधार पर कवकनाशी के दो अनुप्रयोगों में से एक हो सकता है प्रभावी है।

image

Related Varieties

Frequently Asked Question

Smart farming and agriculture app for farmers is an innovative platform that connects farmers and rural communities across the country.

© All Copyright 2024 by Kisaan Helpline