Land Preparation & Soil Health
खाद एवं रासायनिक उर्वरक
खेत की तैयारी के समय, वर्मी कम्पोस्ट या अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद 20 टन, फास्फोरस 40 किलो, पोटाश 40 किलो प्रति एकड़ मिट्टी में मिलाएं। लोहे की कमी वाली ज़मीन में, फेरस सल्फेट 10 ग्राम प्रति वर्ग मीटर डालें। बुवाई के 4-5 हफ्ते बाद, नाइट्रोजन 40 किलो प्रति एकड़ 30 दिनों के अंतराल पर डालें।
Crop Spray & fertilizer Specification
जरबेरा बहुवर्षीय, तना रहित पौधा है। जरबेरा एक प्रकार का सजावटी फूल है, जो पूरी दुनिया में उगाया जाता है। इसे ‘अफ्रीकन डेजी’ या ‘ट्रांसवाल डेजी’ के नाम से भी जाना जाता है। जरबेरा की खेती विश्व में नीदरलैण्ड, इटली, पोलैण्ड, इजरायल और कोलम्बिया में की जा रही हैं। भारत में जरबेरा कट फ्लावर महाराष्ट्र, उत्तरांचल, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, कर्नाटक और गुजरात आदि उगाने वाले मुख्य क्षेत्र है।
Weeding & Irrigation
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार समय समय पर निराई-गुड़ाई करना चाहिए।
सिंचाई
जरबेरा की खेती में पौधों की बढ़वार के लिए सिंचाई का विशेष महत्व है। मिट्टी की पौध रोपण से पहले हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए तथा पौध रोपण के उपरान्त भी सिंचाई करनी चाहिए। सर्दियों में 10-12 दिनों के अंतराल पर तथा गर्मियों में 6-7 दिनों के अंतराल पर हल्की सिंचाई करते रहनी चाहिए। हरित घर में लगे पौधे की सिंचाई टपकन विधि (ड्रीप सिंचाई पद्धति) से आवश्यकता अनुसार करते रहनी चाहिए।
Harvesting & Storage
फसल की कटाई
जरबेरा पौधा लगाने के तीन महीना बाद फूल खिलना शुरू हो जाता है। फूलों को सुबह या शाम के समय काटना चाहिए।
भंडारण
कटाई के बाद, इनको अलग-अलग श्रेणी में रखा जाता है| फिर इन फूलो को गत्तों के बक्सों में पैक करके लम्बे समय की दूरी पर भेजा जाता है।
उत्पादन
हरित घर में प्रति वर्ग मीटर में प्रति वर्ष 200-250 फूल का उत्पादन होता है। खुली जगहों पर 120-150 फूल/वर्ग मीटर/ वर्ष खिलते हैं।