Land Preparation & Soil Health
खाद एवं रासायनिक उर्वरक
पौधों के अच्छे विकास और पैदावार के लिए पोषण की आवश्यकता होती हैं। प्रत्येक पौधों को अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद 20-25 किलो तथा यूरिया 1-1.5 किलो, फास्फोरस 1-1.5 किलो और पोटाश 0.5-1 किलो प्रति वर्ष देना चाहिए। फलदार पौधे को ज़िंक सल्फेट 200 ग्राम और बोरान 100 ग्राम प्रति पौधे की दर से देना चाहिए।
Crop Spray & fertilizer Specification
चकोतरा (Grapefruit) एक निम्बूवर्गीय फल है, जो नींबूवर्गीय की सबसे बड़ी जातियों में से एक है। इसके कच्चे फल का रंग हरा, और पके हुए का हल्का हरा या फिर पीला होता है। इसके स्वाद में खटास और कुछ मीठापन तो होता है, लेकिन कड़वाहट नहीं। चकोतरा की व्यवसायिक खेती झारखंड में की जा सकती है। चकोतरा मूलतः भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिणपूर्वी एशिया क्षेत्र की जन्मी हुई जाति है।
Weeding & Irrigation
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार समय समय पर निराई गुड़ाई करना चाहिए।
सिंचाई
चकोतरा के पौधों की उचित बढ़वार के लिए भूमि में नमी की आवश्यकता होती हैं। पौधरोपण के तुरंत बाद सिंचाई करें। फूल-फल के समय भूमि में नमी पर्याप्त मात्रा में होना चाहिए।
Harvesting & Storage
अंतर फसली
लोबिया, सब्जियों, फ्रैंच बीन्स के साथ अंतर फसली शुरूआती दो से तीन वर्ष में किया जा सकता है।
कटाई-छटाई
पौधों की अच्छे विकास और अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए पौधों की देखभाल अतिआवश्यक होती हैं। समय-समय पर पौधों की कटाई-छटाई करते रहना चाहिए, थालों को खरपतवार मुक्त रखना चाहिए।
फसल की कटाई
फलों की तुड़ाई तब की जाती है, जब वे पूर्ण आकार प्राप्त करते हैं। जब फलों का रंग पीला और आकर्षक दिखाई दें। तब उन्हें डंठल सहित काटकर अलग करना चाहिए। जिससे फल ज्यादा वक्त तक ताज़ा रहता है। फलों की तुड़ाई गीले मौसम में या बारिश के दौरान नहीं करनी चाहिए।
भंडारण
फल की तुडाई करने के बाद साफ गिले कपड़े से पूंछ लें और छायादार स्थान पर सूखा दें। इसके बाद फलों को किसी हवादार बॉक्स में सूखी घास के साथ भर देते हैं। अब बॉक्स को बंद कर बाज़ार में भेज सकते है।
उत्पादन
चकोतरा के एक पौधे से लगभग 2000-3000 फल प्रति वर्ष उपज प्राप्त होती है।