प्रदेश में लघु और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने और स्वरोजगार को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एक जिला एक उत्पाद योजना का शुभारंभ किया गया है।
आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के तहत हर जिले में से उत्पाद का चयन किया गया हैं। शिवपुरी में टमाटर की फसल अच्छी होती है। इसलिए शिवपुरी जिले का चयन किया गया है।
शिवपुरी सहित कोलारस, पोहरी, बैराड तथा बदरवास में सबसे ज्यादा टमाटर की खेती होती है। यहां के टमाटर की शहर सहित आसपास के राज्यों में काफी डिमांड है।
टमाटर शिवपुरी जिले में प्रमुख सब्जी वर्गीय फसल में स्थान रखती है।
मिट्टी एवं जलवायु- बलुई एवं दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है तथा बीज के अंकुरण के लिये 20-25 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की आवश्यकता होती है तथा फसल की अच्छी वृद्धि के लिये 25-30 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान अच्छा माना जाता है।
उन्नत किस्मे:- पूसा अर्ली डवार्फ, पूसा रबी, अर्का सोरभ एवं अर्का विकास उन्नत किस्मों के साथ अन्य प्रमुख शंकर किस्मे भी स्थान रखती है ।
बीज दर: 200-250 ग्राम / हेक्टेयर
पौध लगाने का समय खरीफ जुलाई, रबी नवम्बर।
पौध तैयार एवं रोपाई:- टमाटर की पौध 25-30 दिन में तैयार हो जाती है जिसको जड़ उपचार करके 60.75x60 से.मी. की दूरी पर खेत तैयार करके रोपाई करते हैं।
पौध तैयार एवं रोपाई :- टमाटर की पौध 25-30 दिन में तैयार हो जाती है जिसको जड़ उपचार करके 60.75x60 से.मी. की दूरी पर खेत तैयार करके रोपाई करते हैं।
खाद एवं उर्वरक:- 4-5 ट्राली पकी गोबर खाद एवं नत्रजन 100 कि.ग्रा. फास्फोरस 50 कि.ग्रा. तथा पोटाश 50 कि.ग्रा. प्रति हैक्टेयर के हिसाब से डालते हैं।
स्टेकिंग, मल्चिंग सह ड्रिप पद्धति :- टमाटर में सहारा देना (स्टेकिंग) करने से टमाटर के फल सडते नहीं है एवं मल्चिंग विधि से खरपतवार नहीं उगते ताप ड्रिप पद्धति से खेती करने से पानी की बचत होती है, साथ ही फलों की गुणवत्त अच्छी रहती है तथा उत्पादन लंबी अवधि तक मिलता है।
फल की तुडाई:- जब फल पूर्ण रूप से विकसित हो जायें जब उन्हें तोड़ ले। आमतौर पर फूल लगने के लगभग 8-10 दिन बाद फल तोड़ने योग्य हो जाते हैं।
उपज:- औसत उपज 250-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।
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