Rabi Onion (रबी प्याज)

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pH value

6 - 7

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Temperature

21 - 26 °C

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Fertilization

NPK @ 40:20:20 Kg/Acre 90kg/acre urea, SSP 125kg/acre

Rabi Onion (रबी प्याज)

Rabi Onion (रबी प्याज)

Basic Info

रबी प्याज उत्पादन तकनीक 
 
सामान्यतः रबी (Rabi) मौसम में बुवाई अक्टूबर-नवम्बर माह में तथा रोपाई दिसंबर से जनवरी के पहले सप्ताह तक की जाती है। यह मौसम प्याज की खेती के लिए सर्वोत्तम है। यह प्याज अधिकतर ग्रीष्मकाल में आने के कारण इसे ग्रीष्मकालीन प्याज भी कहते हैं। प्याज के अंतर्गत क्षेत्रफल का 60 प्रतिशत इसी मौसम में लगाया जाता है। महाराष्ट्र के कोकन का तटीय भाग, चंद्रपूर तथा भंडारा के क्षेत्र को छोड़कर संपूर्ण राज्य में रबी मौसम में प्याज की खेती होती है।
उत्तर भारत के सभी राज्यों में इसी मौसम में प्याज की खेती की जाती है। नवम्बर माह के अंत में लगायी फसल मार्च-अप्रैल में निकाली जाती है। इस समय पत्तियाँ अच्छी तरह सूखती है तथा अच्छी तरह सूखा हुआ प्याज अधिक समय भण्डारित होता है। रबी प्याज की रोपाई में जितनी देर होती है, उतनी ही उपज घटती है तथा प्याज का आकार छोटा रह जाता है। रबी प्याज लगाने में अधिक देरी होने से यह जून में तैयार होता है और उस समय वर्षा होने से प्याज को नुकसान होता है तथा यह अच्छी तरह सूख नहीं पाता है फलस्वरुप भण्डारण में अधिक सड़ने लगता है। रबी प्याज को अप्रैल से जून तक निकाला जाता है। इस दौरान अधिक उत्पादन होने से अगस्त माह तक बाजार भाव अच्छे नहीं मिलते हैं। इस दौरान अधिक उत्पादन होने से अगस्त माह तक बाजार भाव अच्छे नहीं मिलते है। इन परिस्थितियों में प्याज का भण्डारण करना लाभदायक रहता है। भण्डारण के लिए नवम्बर माह के अंत से दिसम्बर माह के मध्य तक की गयी रोपाई सर्वोत्तम होती है।

Seed Specification

बीज की मात्रा
एक एकड़ खेत के लिए नर्सरी तैयार करने में 4-5 किलो बीजों की जरूरत होती है|

बीज का उपचार
बीज को रोगो से मुक्त रखने के लिए रासायनिक फफूंदनाशक थीरम 2 ग्राम+बेनोमाइल 50 डब्लयू पी 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ प्रति किलो बीजों का उपचार करें| रासायनिक उपचार के बाद बायो-एजेंट ट्राईकोडरमा विराइड 2 ग्राम के साथ प्रति किलो बीजों का उपचार करने की सिफारिश की जाती है| ऐसा करने से नए पौधे मिट्टी से पैदा होने वाली और अन्य बीमारीयों से बच जाते हैं|

बुवाई की विधि 
उपचारित बीजों को 5-10 सेमी. के अंतर पर बनाई गई कतारों 1 सेमी. की गहराई पर बोएं।

नर्सरी में पौध तैयार करना
रबी प्याज की उन्नत किस्म के बीज को 3 मीटर लम्बी, 1 मीटर चौड़ी व 20-25 से.मी. ऊंची उठी हुई क्यारियां बनाकर बोनी करें। 500 मीटर वर्गक्षेत्र में तैयार की गई नर्सरी की पौध एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए पर्याप्त होती है। प्रत्येक क्यारी में 40 ग्राम डी.ए.पी., 25 ग्राम यूरिया, 30 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश व 10-15 ग्राम फ्यूराडान डालकर अच्छी तरह मिट्टी में मिला दें। सितम्बर अक्टूबर माह में क्यारीयों को तैयार कर क्लोरोपाईरीफॉस (2 मिली./ लीटर पानी) कार्बेन्डाजिम (1 ग्राम/लीटर पानी) को धोलकर क्यारी की मिट्टी को तर कर 250 गेज मोटी सफेद पॉलिथिन बिछाकर 25-30 दिनों तक मिटटी का उपचार कर लें। इस विधि से मिटटी को उपचारित करने को मृर्दा शौर्यीकरण कहतें है। ऐसा करने पर मिटटी का तापमान बढऩे से भूमि जनित कीटाणु एंव रोगाणु नष्ट हो जाते है।

अंकुरण के पश्चात 
अंकुरण के पश्चात पौध को जडग़लन बीमारी से बचाने के लिए 2 ग्राम थायरम 1 ग्राम बाविस्टीन दवा को 1 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। बुआई के लगभग 7-8 सप्ताह बाद पौध खेत में रोपण के लिए तैयार हो जाती है।

Land Preparation & Soil Health

खाद एवं उर्वरक
गोबर की खाद या कम्पोस्ट 200 क्विंटल प्रति हेक्टर तथा नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश एवं सल्फर क्रमशः 100, 50, 100, 25 किलो प्रति हेक्टर आवश्यक है। गोबर की खाद या कम्पोस्ट, फास्फोरस तथा पोटाश भूमि के तैयारी के समय तथा नाइट्रोजन तीन भागों में बांटकर क्रमशः पौध रोपण के 15 तथा 45 दिन बाद देना चाहिए। अन्य सामान्य नियम खाद तथा उर्वरक देने के पालन किए जाने चाहिए। ध्यान रहे आवश्यक पोषक तत्व मिट्टी परिक्षण के आधार पर ही प्रयोग करना चाहिए।

Crop Spray & fertilizer Specification

रबी प्याज उत्पादन तकनीक 
 
सामान्यतः रबी (Rabi) मौसम में बुवाई अक्टूबर-नवम्बर माह में तथा रोपाई दिसंबर से जनवरी के पहले सप्ताह तक की जाती है। यह मौसम प्याज की खेती के लिए सर्वोत्तम है। यह प्याज अधिकतर ग्रीष्मकाल में आने के कारण इसे ग्रीष्मकालीन प्याज भी कहते हैं। प्याज के अंतर्गत क्षेत्रफल का 60 प्रतिशत इसी मौसम में लगाया जाता है। महाराष्ट्र के कोकन का तटीय भाग, चंद्रपूर तथा भंडारा के क्षेत्र को छोड़कर संपूर्ण राज्य में रबी मौसम में प्याज की खेती होती है।
उत्तर भारत के सभी राज्यों में इसी मौसम में प्याज की खेती की जाती है। नवम्बर माह के अंत में लगायी फसल मार्च-अप्रैल में निकाली जाती है। इस समय पत्तियाँ अच्छी तरह सूखती है तथा अच्छी तरह सूखा हुआ प्याज अधिक समय भण्डारित होता है। रबी प्याज की रोपाई में जितनी देर होती है, उतनी ही उपज घटती है तथा प्याज का आकार छोटा रह जाता है। रबी प्याज लगाने में अधिक देरी होने से यह जून में तैयार होता है और उस समय वर्षा होने से प्याज को नुकसान होता है तथा यह अच्छी तरह सूख नहीं पाता है फलस्वरुप भण्डारण में अधिक सड़ने लगता है। रबी प्याज को अप्रैल से जून तक निकाला जाता है। इस दौरान अधिक उत्पादन होने से अगस्त माह तक बाजार भाव अच्छे नहीं मिलते हैं। इस दौरान अधिक उत्पादन होने से अगस्त माह तक बाजार भाव अच्छे नहीं मिलते है। इन परिस्थितियों में प्याज का भण्डारण करना लाभदायक रहता है। भण्डारण के लिए नवम्बर माह के अंत से दिसम्बर माह के मध्य तक की गयी रोपाई सर्वोत्तम होती है।

Weeding & Irrigation

खरपतवार नियंत्रण
फसल पर उगने वाले खरपतवार – सत्यानाशी (कटेली), चौलाई, दूब, मोथा, मकड़ा, खरतुवा। प्याज की फसल से खरपतवारों को निराई - गुड़ाई कर निकाल दें । रासायनिक खरपतवारनाशक के रूप में Propaquizafop 5% + Oxyflurofen 12% w/w EC का प्रयोग कर सकते हैं। पेंडीमेथिलीन 3.5 लीटर प्रति हेक्टर रोपाई के तीन दिन बाद तक 800 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से खरपतवारों का अंकुरण नही होता हैं। 

सिंचाई
प्याज की खेती में मिट्टी की किस्म और जलवायु के आधार पर सिंचाई की मात्रा और आवर्ती का फैसला करें| पहली सिंचाई बिजाई के तुरंत बाद करें और फिर आवश्यकता अनुसार 12-18 दिनों के फासले पर सिंचाई करें|

Harvesting & Storage

खुदाई
प्याज की फसल खुदाई सही समय पर करना बहुत जरूरी है| खुदाई का सही समय, ऋतु, मंडी रेट आदि पर निर्भर करते है| पौधों के ऊपरी हिस्से का 50% नीचे गिरना दर्शाता है कि अब फसल खुदाई के लिए तैयार है| फसल की खुदाई हाथों से प्याज़ को उखाड़ कर की जाती है| खुदाई के बाद प्याज़ों को 2-3 दिन के लिए अनावश्यक नमी को निकालने के लिए खेत को छोड़ दें|

भण्डारण
आमतौर पर खरीफ की तुलना में रबी प्याज में भण्डारित करने की आवश्यकता ज्यादा होती क्योंकि यह बाजार में तुरंत कम बिकता है। प्याज को भण्डारित करते समय निम्न सावधानियां रखना चाहिए।
1. भण्डारण से पहले कंदों को अच्छी तरह सुखा लें, अच्छी तरह से पके हुए स्वस्थ (4-6 सेमी आकार) चमकदार व ठोस कंदों का ही भण्डारण करें। 
2. भण्डारण नमी रहित हवादार गृहों में करें। भण्डारण में प्याज के परत की मोटाई 15 सेमी. से अधिक न हों।
3. भण्डारण के समय सड़े गले कंद समय-समय पर निकालते रहना चाहिए।

Crop Disease

Botrytis Leaf Blight (बोट्ट्रिस लीफ ब्लाइट)

Description:
बोट्ट्रिस लीफ ब्लाइट, जिसे अक्सर "ब्लास्ट" कहा जाता है, प्याज से बढ़ने वाली एक आम बीमारी है | पूर्वी और मध्य पश्चिमी राज्यों में क्षेत्र। रोग पत्ती खोलना और टिप का कारण बनता है डाइबैक, और बल्बों की परिपक्वता और गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

Organic Solution:
इस बीमारी के इलाज के लिए फिलहाल कोई भी जैविक उपचार उपलब्ध नहीं है।

Chemical solution:
खेतों की निगरानी करें और पत्ती खोलना के पहले सबूत पर एक कवकनाशी लागू करें, जब पौधों में कम से कम पांच सच्चे पत्ते हों। चूंकि बोट्राइटिस-विशिष्ट कवकनाशी प्रतिरोध विकास के लिए अत्यधिक प्रवण हैं, इसलिए कार्रवाई के विभिन्न तरीकों के साथ कवकनाशी को घुमाना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। एक सहायक के आवेदन के साथ कवकनाशी प्रभावकारिता में भी सुधार किया जा सकता है। प्याज के पत्तों की मोमी सतह फसल को चोट से बचाने में मदद करती है।

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Downy Mildew (कोमल फफूंदी)

Description:
अक्सर बारिश होने और गर्म तापमान (15-23 डिग्री सेल्सियस) के साथ छायांकित क्षेत्रों में यह बीमारी सबसे आम है। संक्रमित पौधे के मलबे या फफूंद में कवक मिट्टी में या वैकल्पिक मेजबानों पर हावी हो जाता है। अनुकूल परिस्थितियों में हवा और बारिश बीजाणुओं को फैलाती है।

Organic Solution:
कार्बनिक पूर्व-संक्रमण कवकनाशक संदूषण से बचने में मदद कर सकते हैं जिसमें कॉपर-आधारित कवकनाशी शामिल हैं, जैसे बोर्डो मिश्रण।

Chemical solution:
Dithiocarbamates के परिवार के कवकनाशी का उपयोग किया जा सकता है। फोसिटाइल-एल्यूमीनियम, एजोक्सिस्ट्रोबिन, और फेनिलएमाइड्स (मेटलैक्सिल-एम) संक्रमण के बाद के कवक हैं जिनका उपयोग किया जा सकता है।

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Purple Blotch (बैंगनी धब्बा)

Description:
बैंगनी धब्बा फंगस अल्टरनेरिया पोरी के कारण होता है, जो संक्रमित फसल के मलबे या मिट्टी की सतह पर सर्दियों में जीवित रहता है और वसंत में होने वाली गर्म और गीली परिस्थितियों में बीजाणुओं के उत्पादन के साथ अपने जीवन-चक्र को फिर से शुरू करता है। 21-30 डिग्री सेल्सियस और 80-90% सापेक्ष आर्द्रता के बीच तापमान बीमारी का पक्षधर है।

Organic Solution:
रोगरोधी कवक क्लैडोसपोरियम हर्बेरम का उपयोग रोगज़नक़ को बाधित करने के लिए किया जा सकता है, जिससे संक्रमण 66.6% कम हो जाता है।

Chemical solution:
बोसालिड, क्लोरोथालोनिल, फेनमिडोन, और मेनकोजेब (सभी @ 0.20-0.25%) पर आधारित समाधान का छिड़काव किया जा सकता है। बैंगनी फफूंद के नियंत्रण के लिए कॉपर फंगिसाइड का उपयोग किया जाता है, लेकिन अत्यधिक प्रभावी नहीं।

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Onion Yellow Dwarf (प्याज पीला बौना)

Description:
प्याज पीला बौना वायरस (ओएवीडीवी) वायरस है जो प्याज के पौधों में लक्षण पैदा करता है। यह लंबे समय तक खेत में मलबे में जीवित रह सकता है। वायरस संक्रमित पौधे भागों जैसे बल्ब, सेट और क्षेत्र में स्वयंसेवक पौधों द्वारा प्रेषित होता है।

Organic Solution:
ऐसा कोई जैविक उपचार उपलब्ध नहीं है। नीम के तेल के साथ 2% पर उपचार और 5% पर नीम के बीज की गिरी निकालने में मदद मिल सकती है।

Chemical solution:
इमामेक्टिन बेंजोएट, इंडोक्साकार्ब का उपयोग करने वाले उपचार उपयोगी हो सकते हैं।

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Frequently Asked Question

किस मौसम में प्याज उगाया जाता है?

भारत में प्याज की फसल के लिए तीन बुवाई के मौसम हैं - खरीफ (जुलाई-अगस्त के बीच लगाया जाता है और अक्टूबर-दिसंबर में काटा जाता है); देर से खरीफ (अक्टूबर-नवंबर के बीच लगाया और जनवरी-मार्च में काटा) और रबी (दिसंबर-जनवरी के बीच लगाया और मार्च-मई में काटा)

प्याज बढ़ने में कितने दिन लगते हैं?

90 दिन, प्याज ठंड की मौसम की फसलें हैं जिनकी परिपक्वता तक पहुँचने के लिए 90 दिन या उससे अधिक की आवश्यकता होती है। लंबे समय से बढ़ती मौसम की आवश्यकता और कूलर के मौसम के लिए उनकी पसंद के कारण, वसंत में सीधे बगीचे में प्याज के बीज लगाने से गर्म तापमान आने से पहले बल्बों का एक अच्छा आकार तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है।

प्याज के लिए कौन सा शहर प्रसिद्ध है?

लासलगांव में एक प्रमुख प्याज बाजार है। लासलगांव मार्केट से प्याज भारत में कई जगहों पर ले जाया जाता है और दुनिया के कई देशों में निर्यात किया जाता है। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) प्याज को लंबे समय तक ताजा रखने के लिए संसाधित करता है।

प्याज का सबसे बड़ा उत्पादक कौन है?

भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक और निर्यातक है।

प्याज उत्पादन में कौन सा राज्य प्रथम स्थान पर है?

महाराष्ट्रप्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों में महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गुजरात, बिहार, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और तेलंगाना शामिल हैं। महाराष्ट्र प्याज उत्पादन में 28.32% की हिस्सेदारी के साथ पहले स्थान पर है।

भारत में प्याज कहाँ से आता है?

चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा प्याज उत्पादक देश है। भारत में उत्पादित प्याज का पैंतालीस प्रतिशत महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों से आता है।

क्या लाल प्याज सफेद प्याज से बेहतर है?

- एंटीऑक्सीडेंट गुण। कुल मिलाकर, लाल प्याज में अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट यौगिक होते हैं। इनमें सफेद प्याज की तुलना में कुल फ्लेवोनोइड्स अधिक होते हैं और पीले प्याज को बीच में माना जाता है। लाल प्याज में सबसे फायदेमंद यौगिकों में से एक क्वेरसेटिन है, जो एक पॉलीफेनोल यौगिक है।

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