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तहसील मुख्यालय से 5 किमी दूर स्थित ग्राम इटावा के कृषक कांतिलाल पिता छगनलाल पाटीदार ने उद्यानिकी विभाग के मार्गदर्शन में डिप एवं मलचिंग विधि से मिर्ची की खेती कर व्यवसाय में लाखों का मुनाफा कमा रहे हंै। पाटीदार ने 10वीं कक्षा तक पढ़ाई कर खेती कार्य को व्यवसाय बनाया है।
यह है डिप और मलचिंग पद्धति डिप पद्धति में खेतों में करीब 2-2 फीट की नालियां बनाई जाती है। नालियों के दोनों किनारों पर फसलों को रोपा जाता है। इससे फसलों की जड़ों में सीधे पानी पहुंचता है और सिंचाई की आवश्यकता भी नहीं होती है। साथ ही परंपरागत सिंचाई पद्धति की तुलना में 80 प्रतिशत पानी की बचत होती है। जबकि मलचिंग विधि में नालियों के नीचे प्लास्टिक के पाइप बिछाए जाने के साथ नालियों के ऊपर प्लास्टिक की परत बिछा कर इसमें छेद कर दिए जाते है जिससे पौधों की जड़ों में धूप पर्याप्त मात्रा में पहुंच सके। प्लास्टिक के कारण वायुमंडल का तापमान सामान्य तापमान से ढेड़गुना तक बढ़ जाता है। बढ़ा हुआ तापमान पौधों को खरपतवार और मौसमी कीड़ों से बचाते है। इस विधि से खेती करने पर योजनानुसार शासन 55 प्रतिशत की अनुदान राशि भी देती है। 55 दिन में उत्पादन
मलचिंग विधि से की गई खेती में पाटीदार ने एक बीघा खेत में मिर्ची के पौधे रोपे थे। इसमें 55 दिन के बाद से पौधों ने उत्पादन देना शुरू किया। कृषक ने अब तक 1 लाख 40 हजार की फसल को बेच चुके है। साथ ही 7 माह तक फसलों में और उत्पादन होगा। वातावरण में अनुकूलता रही तो 4 से 5 लाख रुपए की कमाई हो सकती है।
कृषक पाटीदार के अनुसार एक बीघा में उपरोक्त पद्धति अपनाकर से मिर्ची की फसल रोपी थी। इससे मुझे परंपरागत खेती की तुलना में 3 गुना अधिक उत्पादन मिला। कांतिलाल पाटीदार, कृषक
उन्नत कृषि के लिए किसान आगे आए इसमें शासन द्वारा 55 प्रतिशत राशि अनुदान दी जाती है। सुनील राठौर, उद्यान अधीक्षक
फसलों को देखता किसान पाटीदार।
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