सब्जी की खेती करने वालों के लिए खास एडवाइजरी, 15 मार्च से पहले करें गर्मी की सब्जियों की बुवाई

सब्जी की खेती करने वालों के लिए खास एडवाइजरी, 15 मार्च से पहले करें गर्मी की सब्जियों की बुवाई
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Kisaan Helpline

Crops Feb 20, 2025

कृषि विशेषज्ञों ने किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण एडवाइजरी जारी की है, जिसमें उन्हें 15 मार्च तक ग्रीष्मकालीन सब्जियों की बुवाई पूरी करने की सलाह दी गई है। इस पहल का उद्देश्य समय पर बुवाई करके किसानों को अधिकतम उपज प्राप्त करने में मदद करना है।


उपयुक्त फसलें और बीज दर:

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इस अवधि में लौकी, कद्दू, करेला, तुरई, खीरा, टिंडा, तरबूज, खरबूजा और भिंडी जैसी सब्जियों की बुवाई उपयुक्त है। प्रत्येक फसल के लिए अनुशंसित बीज दर इस प्रकार है:

खीरा: 2 से 2.5 किग्रा/हेक्टेयर

लौकी: 4 से 5 किग्रा/हेक्टेयर

करेला: 5 से 6 किग्रा/हेक्टेयर

तुरई: 4.5 से 5 किग्रा/हेक्टेयर

कद्दू: 3 से 4 किग्रा/हेक्टेयर

टिंडा: 5 से 6 किग्रा/हेक्टेयर

तरबूज: 4 से 4.5 किग्रा/हेक्टेयर

खरबूजा: 2.5 किग्रा/हेक्टेयर

भिंडी: 20 से 22 किग्रा/हेक्टेयर


मिट्टी और खेत की तैयारी:

6 से 7.5 के बीच पीएच मान वाली रेतीली दोमट मिट्टी ग्रीष्मकालीन सब्जियों के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई करें और प्रति हेक्टेयर 15 से 20 टन सड़ी हुई गोबर की खाद डालें। इसके अलावा नाइट्रोजन 80 किग्रा, फास्फोरस 50 किग्रा और पोटाश 50 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से उर्वरकों का प्रयोग करें।


बीज उपचार एवं बुआईः

बुवाई से पहले बीजों को फफूंदनाशक जैसे कार्बेन्डाजिम + मैन्कोजेब 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें, ताकि फसलों को रोगों से बचाया जा सके। भिंडी की बुआई के लिए परभणी क्रांति, अर्का अभय, वीआरओ-5, वीआरओ-6 और अर्का अनामिका जैसी उन्नत किस्मों का चयन करें। बुआई के समय पंक्तियों के बीच की दूरी 25-30 सेमी और पौधों के बीच की दूरी 15-20 सेमी रखें।


सिंचाई एवं कीट प्रबंधनः

ग्रीष्मकालीन सब्जियों की सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग पानी की बचत और पौधों को आवश्यक नमी प्रदान करने के लिए फायदेमंद है। कीटों और बीमारियों से बचाव के लिए जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें और फसलों की नियमित निगरानी करें।

कृषि विभाग की इस सलाह का पालन करके किसान ग्रीष्मकालीन सब्जियों की बेहतर उपज प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उनकी आय बढ़ेगी और बाजार में ताजी सब्जियों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।


स्रोत: कृषि विभाग की एडवाइजरी

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