अगर आप गेहूं की देरी से बुवाई करते हैं तो इन कम अवधि वाली किस्मों को अपनाएं, भरपूर उत्पादन होगा

अगर आप गेहूं की देरी से बुवाई करते हैं तो इन कम अवधि वाली किस्मों को अपनाएं, भरपूर उत्पादन होगा
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Kisaan Helpline

Crops Jan 02, 2025

Wheat Farming: अगर किसान धान की कटाई में देरी या अन्य कारणों से गेहूं की देरी से बुवाई कर रहे हैं तो उनके लिए कम अवधि और अधिक तापमान सहन करने वाली किस्में बेहतर विकल्प हो सकती हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) का सुझाव है कि किसान अपनी जमीन और मौसम के हिसाब से ऐसी किस्मों का चुनाव करें, जो देरी के बावजूद अच्छा उत्पादन दे सकें।


देर से बुवाई में बीज की मात्रा

किसानों को ध्यान रखना चाहिए कि अगर नवंबर के अंत तक बुवाई की जाती है तो सामान्य तौर पर प्रति हेक्टेयर 100 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है। लेकिन अगर इससे बाद में बुवाई की जा रही है तो बीज की मात्रा बढ़ाकर 125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर कर दें। साथ ही, 120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर डालने से फसल को जरूरी पोषण मिलेगा।

कम लागत और बेहतर उत्पादन के लिए जीरो टिलेज अपनाएं

गेहूं की बुवाई में जीरो टिलेज तकनीक अपनाकर किसान कम लागत में अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इस तकनीक से न केवल मिट्टी का स्वास्थ्य बेहतर होता है बल्कि पर्यावरण का संतुलन भी बना रहता है। 

कुछ कम अवधि वाली गेहूं की किस्में और उत्पादन क्षमता

पीडीडब्लू 373: 110-115 दिन, 35-40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर

एचडी 2985: 105-110 दिन, 40-42 क्विंटल प्रति हेक्टेयर

डीबीडब्लू 14: 110-115 दिन, 30-35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर

एनडब्लू 1014: 110-115 दिन, 35-40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर

एचडी 2643: 105-110 दिन, 35-40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर

एचपी 1633: 105-110 दिन, 35-40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर


सिंचाई का सही समय

पहली सिंचाई: बुवाई के 20-25 दिन बाद

दूसरी सिंचाई: अंकुर फूटने के समय, 40-45 दिन बाद

तीसरी सिंचाई: 60-65 दिन बाद

चौथी सिंचाई: फूल आने की अवस्था में, 85-90 दिन बाद

पांचवीं सिंचाई: दूधिया अवस्था में, 100-115 दिन बाद

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