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रबी फसलों की कटाई के बाद किसान अक्सर अपने खेत खाली छोड़ देते हैं, लेकिन थोड़ी सी समझदारी और सही फसल चक्र अपनाकर वे कम समय में अच्छी कमाई कर सकते हैं। कृषि विशेषज्ञों की मानें तो गेहूं और दलहन की कटाई के तुरंत बाद मूंग, तिल, चीना और ढैंचा जैसी फसलों की खेती किसानों को दोगुना लाभ दे सकती है।
यह फसलें 40 से 90 दिनों में तैयार हो जाती हैं और खरीफ सीजन से पहले इनकी कटाई संभव है। खासतौर पर ढैंचा की खेती हरी खाद के रूप में फायदेमंद होती है, जो मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में मदद करती है। वहीं, मूंग की खेती किसानों के लिए न केवल लाभकारी होती है बल्कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी बढ़ाती है।
अगर बाजार की मांग की बात करें तो चीना मोटे अनाजों में शामिल है और इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। दो महीने में तैयार होने वाली इस फसल की उपज लगभग 10 क्विंटल प्रति एकड़ तक होती है और मौजूदा समय में इसका बाजार भाव 4800 से 5000 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है।
वहीं, तिल की खेती भी किसानों के लिए सुरक्षित मानी जाती है, क्योंकि इसे नीलगाय और अन्य जानवर नुकसान नहीं पहुंचाते। यह फसल 85-90 दिनों में तैयार हो जाती है और इसकी प्रति हेक्टेयर उपज 6-7 क्विंटल तक हो सकती है। मौजूदा समय में बाजार में तिल के दाम 10,000 से 15,000 रुपये प्रति क्विंटल हैं, जो इसे किसानों के लिए बेहद फायदेमंद बनाते हैं।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि रबी कटाई के बाद अगर किसान इन फसलों की खेती समय पर कर लें तो उन्हें न केवल अतिरिक्त मुनाफा मिलेगा, बल्कि खरीफ की मुख्य फसल लगाने में भी कोई देरी नहीं होगी। इससे खेतों की उत्पादकता भी बनी रहेगी और किसान आर्थिक रूप से अधिक सशक्त हो सकेंगे।
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