2025 खरीफ सीजन में सोयाबीन की खेती: जानिए उन्नत किस्में और अधिक पैदावार के लिए जरूरी टिप्स

2025 खरीफ सीजन में सोयाबीन की खेती: जानिए उन्नत किस्में और अधिक पैदावार के लिए जरूरी टिप्स
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Kisaan Helpline

Crops Apr 25, 2025

खरीफ 2025 की तैयारियों में जुटे किसानों के लिए यह सीजन बेहद अहम साबित हो सकता है। इस बार मौसम विभाग ने मानसून के समय पर आने और सामान्य बारिश की संभावना जताई है, जिससे फसलों को लेकर उम्मीदें बढ़ गई हैं। खासकर सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों के लिए यह खबर राहत भरी है।

 

सोयाबीन की खेती क्यों है खास?

सोयाबीन न केवल तिलहनों में एक प्रमुख फसल है, बल्कि यह मिट्टी की उर्वरता को भी बनाए रखने में सहायक होती है। मध्य प्रदेश, जो देश में सबसे अधिक सोयाबीन उत्पादन करता है, के अलावा महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों में भी यह फसल बड़े पैमाने पर ली जाती है।

 

पिछले कुछ वर्षों में उत्पादन में आई कमी का मुख्य कारण मौसम में अस्थिरता और वैज्ञानिक पद्धतियों का अभाव रहा है। लेकिन यदि किसान इस बार उन्नत किस्मों और आधुनिक तकनीकों का सहारा लें, तो प्रति एकड़ 10 क्विंटल तक उत्पादन संभव है।

 

सोयाबीन की खेती के लिए जरूरी बातें

·         खेत ऐसा चुनें जिसमें पानी का जमाव न होता हो।

·         बुआई का आदर्श समय 20 से 30 जून के बीच माना जाता है।

·         बुआई से पहले कम से कम 100 मिमी (4 इंच) वर्षा होना जरूरी है।

·         ब्रॉड बेड फरों (BBF) या रिज एंड फरों (पूर्ण नाली पद्धति) से खेती करना ज्यादा फायदेमंद होता है।

·         गोबर की खाद (यदि उपलब्ध हो) को अंतिम जुताई के समय खेत में 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर डालें।

·         रासायनिक खाद के रूप में नाइट्रोजन – 25 किलो, फास्फोरस – 60 किलो, पोटाश – 40 किलो और सल्फर – 20 किलो प्रति हेक्टेयर जरूरी है।

·         साथ ही आप बेहतर बढ़वार और पैदावार के लिए आप टाटा स्टील काधुर्वी गोल्ड मिक्स मिक्रोनुट्रिएंट का प्रयोग 25-50 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से करें।

 

खरीफ 2025 के लिए सोयाबीन की उन्नत किस्में

 

सोयाबीन में तीन तरह के बीज होते हैं। 60 दिन में पकने वाली किस्म को साठिया कहते हैं। कुछ किस्मों को पकने में मध्यम समय लगता है, वहीं सोयाबीन की ये किस्में 2024 के खरीफ सीजन में अच्छा रिटर्न दे सकती हैं।

 

जेएस 9560, जेएस 335, जेएस 9305 जैसी अन्य किस्में बेहतर मानी जाती हैं। अगर किसान 2021, 2022, 2023 में नई किस्मों को अपनाते हैं, तो उन्हें 20 प्रतिशत तक अधिक उत्पादन मिल सकेगा।

 

सोयाबीन की किस्में पकने के समय के अनुसार तीन भागों में बांटी जाती हैं – जल्दी पकने वाली, मध्यम समय वाली और देर से पकने वाली किस्में। नीचे 2025 के लिए बेहतरीन किस्मों की सूची दी गई है:

 

जल्दी पकने वाली किस्में (85–90 दिन)

·         JS 2034

·         JS 9560

·         RBS 18

·         NRC 131

·         NRC 152

उत्पादन क्षमता: 18–20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर

 

मध्यम अवधि वाली किस्में (95–96 दिन)

·         RBS 2001/4

·         JS 2079

·         JS 20954

·         NRC 150

·         NRC 151

उत्पादन क्षमता: 20–22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर

 

देर से पकने वाली किस्में (100–110 दिन)

·         NRC 136

·         NRC 142

·         RBSM 2011/35

·         RBS 76

·         GSB 116

उत्पादन क्षमता: 21–22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर

 

तकनीक + किस्म = ज्यादा उत्पादन

कई बार किसान बीज तो अच्छा चुनते हैं लेकिन सही बुआई विधि या पोषण नहीं दे पाते, जिससे उत्पादन में कमी आती है। इस बार अगर वैज्ञानिक सलाह के अनुसार बुआई, सिंचाई और पोषण किया जाए, तो निश्चित ही उत्पादन में 15–20% की बढ़ोतरी हो सकती है।

 

किसानों के लिए सलाह

·         प्रमाणित बीज ही उपयोग करें।

·         खेत की मिट्टी की जांच अवश्य कराएं।

·         समय पर खरपतवार नियंत्रण और कीट नियंत्रण के उपाय करें।

·         मंडी भाव और बाजार की स्थिति पर नजर रखें ताकि फसल का सही मूल्य मिल सके।

 

इस खरीफ सीजन में यदि किसान उन्नत किस्मों और आधुनिक तकनीकों को अपनाएं, तो सोयाबीन से अच्छा लाभ लिया जा सकता है। मौसम की मेहरबानी और सही रणनीति मिलकर फसल को और भी बेहतर बना सकती है।

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