गेहूं की कटाई के बाद खेतों में करें ये 6 जरूरी काम, मिट्टी की उर्वरता होगी दोगुनी

गेहूं की कटाई के बाद खेतों में करें ये 6 जरूरी काम, मिट्टी की उर्वरता होगी दोगुनी
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Kisaan Helpline

Agriculture Feb 25, 2025

अगर गेहूं की फसल की कटाई के बाद खेतों की सही तरीके से देखभाल की जाए तो मिट्टी की उर्वरता लंबे समय तक बनी रह सकती है। इससे न सिर्फ अगले सीजन में बेहतर उत्पादन मिलेगा बल्कि किसानों का खर्च भी कम होगा। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, कटाई के बाद खेतों में कुछ जरूरी काम करना बहुत फायदेमंद होता है। आइए जानते हैं वो 6 जरूरी काम जो कटाई के बाद जरूर करने चाहिए।


1. गहरी जुताई करें


गेहूं की कटाई के बाद खेत में गहरी जुताई करना बहुत जरूरी है। इससे मिट्टी में हवा का संचार बेहतर होता है और जमीन में मौजूद हानिकारक कीट और खरपतवार नष्ट हो जाते हैं। गहरी जुताई से मिट्टी की संरचना में सुधार होता है और पानी धारण करने की क्षमता भी बढ़ती है।


2. फसल अवशेषों का प्रबंधन करें


गेहूं की कटाई के बाद खेतों में बचे फसल अवशेषों को जलाने की बजाय खेत में ही नष्ट कर दें। इससे मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा बढ़ेगी और रासायनिक खादों पर निर्भरता कम होगी। साथ ही इससे वायु प्रदूषण भी नहीं होगा और पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी।


3. मिट्टी की जांच कराएं


फसल की कटाई के बाद खेतों की मिट्टी की जांच कराना बहुत जरूरी है। इससे किसानों को पता चल जाएगा कि उनकी मिट्टी में कौन से पोषक तत्वों की कमी है। मिट्टी की जांच रिपोर्ट के आधार पर उचित उर्वरक और जैविक खाद का इस्तेमाल करें, ताकि मिट्टी की उर्वरता बरकरार रहे।


4. हरी खाद की बुवाई करें


किसान मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए हरी खाद की बुवाई कर सकते हैं। गेहूं की फसल की कटाई के बाद ढैंचा, मूंग या उड़द जैसी फसलें बोएं। हरी खाद मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाने में मदद करती है, जिससे अगली फसल का उत्पादन बेहतर होता है।


5. फसल चक्र अपनाएं


लगातार एक ही फसल बोने से मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है। इसलिए किसानों को फसल चक्र अपनाना चाहिए। दलहन, तिलहन और अन्य तरह की फसलों को बारी-बारी से बोने से मिट्टी के पोषक तत्वों का संतुलन बना रहता है और उत्पादकता बढ़ती है।


6. गोबर और वर्मीकम्पोस्ट का इस्तेमाल करें


मिट्टी की सेहत बनाए रखने के लिए जैविक खाद का इस्तेमाल करें। गाय का गोबर या वर्मीकम्पोस्ट मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में सहायक है। हर 6 महीने में खेतों में जैविक खाद डालने से मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है और फसल की पैदावार बढ़ती है।

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