आणंद (गुजरात)। दुग्ध क्रांति के केन्द्र आणंद से अब सौर ऊर्जा विद्युत क्रांति का सूत्रपात हुआ है। जिले के थामणा गांव के रमण परमार देश के पहले ऐसे किसान बन गए हैं जिन्होंने सोलर पैनल के माध्यम से प्राप्त की बिजली को बेचने में सफलता प्राप्त की है। चार महीने में ही उन्होंने 7500 रुपए की बिजली बेची है। वे अपने खेतों की सिंचाई सोलर पैनल से प्राप्त ऊर्जा से करते हैं। मतलब सरकारी विद्युत आपूर्ति पर अब रमणभाई की निर्भरता खत्म हो गई है। वे खुद के लिए बिजली पैदा भी करते हैं और बेच कर कमाई भी। यहां शुक्रवार को उन्हें इस बिक्री के भुगतान की किश्त मिलने वाली है।
पायलट प्रोजेक्ट के तहत:
दरअसल, कृषि शोध संगठन इंटरनेशनल वॉटर मैनेजमेन्ट इन्स्टीट्यूट (आईडब्ल्यूएमआई) एवं टाटा प्रोग्राम के संयुक्त प्रोजेक्ट के तहत रमणभाई परमार को भारत का ‘सोलर फार्मर’ चुना गया है। वे चार महीने से पायलट प्रोजेक्ट के सौर ऊर्जा एकत्रित कर उसका उपयोग कर रहे हैं। बचने वाली बिजली बेच रहे हैं। आईडब्ल्यूएमआई की सलाहकार नेहा दुर्गा ने बताया कि- ‘हमारे पहले सोलर फॉर्मर प्रोजेक्ट के लंबे सर्वेक्षण एवं शोधकार्य के बाद आणंद के थामणा गांव के रमणभाई को चुना है।’
कुछ ऐसा है प्रोजेक्ट:
चार महीने पहले रमण परमार के खेत में 8.50 किलोवॉट की सोलर पैनल लगवाई गई ताकि उनका 7.4 एचपी पंप चलाया जा सके। सोलर फॉर्मर सैटअप के लिए 60 वर्गमीटर जगह की जरूरत होती है। इससे साल में किसान 50 से 60 हजार की बिजली प्राप्त कर सकता है। आधी का उपयोग खुद कर ले तो भी 25 से 30 हजार का अतिरिक्त मुनाफा कहीं नहीं गया।