कभी 300 रुपए थी इनकी सैलरी, अब अमेरिका में करेंगी हिंदी को पॉपुलर

कभी 300 रुपए थी इनकी सैलरी, अब अमेरिका में करेंगी हिंदी को पॉपुलर
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Kisaan Helpline

Scheme Jun 18, 2015

भोपाल. अमेरिका में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए भोपाल की मशहूर कवयित्री डॉ. अनु सपन का चयन हुआ है। इस कार्यक्रम के लिए देशभर से सिर्फ तीन लोगों का चयन हुआ है। इससे पहले भी डॉ. अनु इंडोनेशिया, मलेशिया, दुबई, शारजहां और लंदन समेत कई देशों की कला यात्राएं कर चुकी हैं। उन्होंने बताया कि आर्य समाज की ओर से आयोजित इस साहित्यिक यात्रा में अमेरिका और कनाडा के अलग-अलग शहरों में हिंदी कवि सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा। इसके अंतर्गत हिंदी के प्रचार-प्रसार से संबंधित परिचर्चाएं भी होंगी।
 
गौरतलब है कि हिंदी से एमए, हिंदी गजल और दुष्यंत कुमार पर पीएचडी करने वालीं डॉ. अनु सपन लगभग 20 सालों से हिंदी गीत और कविता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। उन्हें राजीव गांधी युवा कवि नेशनल अवार्ड, अभिनव कला परिषद की शब्द शिल्पी मानद उपाधि, विनायक पुरस्कार, उज्जैन टेपा सम्मान समेत कई कई पुरुस्कारों से नवाजा जा चुका है। इस कार्यक्रम में उनके साथ कानपुर से डॉ. सुरेश अवस्थी और नई दिल्ली से कवि मंजीत सिंह भी हिस्सा लेंगे।
 
हिंदी साहित्य ने दिलाई नई पहचान
डॉ. अनु ने बताया कि उन्होंने टीचिंग से अपना करियर शुरू किया था। जिसमें 300 रुपए सैलरी मिलती थी। इसके बाद हिंदी साहित्य, कविता और गीत-गजलों ने उन्हें नई पहचान दी। कॉलेज में फर्स्ट ईयर की पढ़ाई के दौरान ही मंच पर कविता पाठ शुरू कर दिया था। 25 सालों के इस सफर में देश के जाने-माने कवियों और शायरों के साथ मंच साझा किया। उनकी गजल संग्रह ‘अहसास जो मोती हुए’ प्रकाशित हो चुकी है। साथ ही ‘अधर-अधर टेसू खिले’ गीत-गजल संग्रह की सीडी भी लॉन्च हुई है।
 
कविताओं के जरिए मन को टटोलेंगे
डॉ. अनु सपन ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले क्षण हमेशा ही उत्साहित करने वाले होते हैं। हिंदी कविताओं और गीतों के जरिए हिंदी भाषा को सरल और सहज रूप में विदेशों में रहने वाले जनमानस तक पहुंचाना सुखद अनुभव होता है। इस बार भी हम एक महीने से ज्यादा वक्त अमेरिका और कनाडा में रहकर हिंदी का प्रचार करेंगे। कविताओं के जरिए उनके मन को टटोलेंगे।

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