किसान का बेटा एआर रहमान के बैंड में पहुंचा, हेमाजी बोल था- अनबिलिवेबल

किसान का बेटा एआर रहमान के बैंड में पहुंचा, हेमाजी बोल था- अनबिलिवेबल
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Kisaan Helpline

Scheme Jun 08, 2015

बिड़वाल (धार). धार जिले के बिड़वाल के मध्यमवर्गीय किसान का बेटा रामेश्वर मशहूर संगीतकार एआर रहमान का पियानोनिस्ट बन गया है। ग्रेंड पियानो जैसे कठिन वाद्य यंत्र पर रहमान के पुत्र आमिन अंगुलियां नहीं जमा पाए लेकिन रामेश्वर पारंगत हो गया है। अब तक अनिल कपूर, हेमा मालिनी, मुकेश अंबानी जैसी सेलिब्रिटी के सामने प्रस्तुति दे चुके हैं।
मालवा के छोटे से गांव से मुंबई तक प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले रामेश्वर ने अपनी मेहनत व लगन से संगीत की दुनिया में धमाकेदार एंट्री की है। 10-12 घंटे पियानो के की-बोर्ड पर प्रेक्टिस करने वाले रामेश्वर ने जिंदगी को सूर-ताल में बदलने की ठान ली है। उनका प्रिय वाद्य ग्रेंड पियानो है। वे बताते हैं संगीत में सबसे कठिन विधा पियानो बजाना ही है।
क्लास में शुरू के दिनों में 40 स्टूडेंट ग्रेंड पियानो की बैंच में थे। साल पूरा होते-होते 5-6 बचे। रामेश्वर एआर रहमान के चहेते पियानोनिस्ट बन गए हैं। जब कोई सेलिब्रिटी आती है रहमान ग्रेंड पियानो क्लास में जरूर आती है, रामेश्वर की प्रस्तुति को सराहने से खुद को नहीं रोक पाते।
हेमाजी बोल पड़ीं - अनबिलिवेबल
रामेश्वर के हुनर से प्रिंसीपल एआर रहमान व गुरु सुरोजित चटर्जी प्रभावित हैं। इन्हीं गुणों के चलते 40 से 50 लाख की कीमत वाला ग्रेंड पियानो सहज ही उपलब्ध कराया जाता है। केएम म्यूजिक कन्सर्वओवेट्री कॉलेज में रशियन पियानो स्टूडियो से तीन साल बाद रामेश्वर एक माह के लिए अपने घर आया है। मुलाकात में रामेश्वर ने बताया वेस्टर्न आर्केस्ट्रा में कांसेप्ट पियानोनिस्ट बनना लक्ष्य है।
गांव से प्रारंभिक शिक्षा के बाद इंदौर की मैकेनिकल इंजीनियरिंग भी उन्हें रास नहीं आई। एक साल बाद ही रामेश्वर जस्ट डायल सर्विस के माध्यम से केएम म्यूजिक कॉलेज चेन्नई में अब मालवा के सुपरकिंग बने हुए हैं। अभ्यास के बारे में रामेश्वर ने बताया एक सप्ताह भी पियानो से दूर रहे तो सीखा-सिखाया सब गड़बड़ हो जाता है। सतत अभ्यास के चलते विश्व विख्यात कंपोजर फेडरिक शोपेन के “रेनड्राप” तथा एटीट्यूट को सहजता से बजा लेते हैं।
क्या है ग्रेंड पियानो
ग्रेंड पियानो जर्मनी व जापान में बनते हैं। इसके लिए 100 साल पुरानी लकड़ी चाहिए। पियानो में दो स्टाइल प्रसिद्ध है एक अमेरिकन व दूसरी रशियन। वहां कम्युनिस्ट के समय में पियानो बजाना सिखाया जाता था। तेज आवाज व मैलोडी सहित हारमोनी का समावेश लोकप्रिय रहा है। रामेश्वर के गुरु सुरोजित चटर्जी ने 10 साल तक रूस में रहकर ग्रेंड पियानो सीखा। 20 साल अमेरिका में रशियन टेक्नोलॉजी से पढ़ाया।
छह वर्ष पूर्व सुरोजित चटर्जी को रहमान चेन्नई लाए और म्यूजिक कॉलेज की स्थापना की गई। आज ग्रेंड पियानो में यह भारत का एक मात्र म्यूजिक कॉलेज है। रामेश्वर ने बताया कॉलेज में मप्र से वे एक मात्र स्टूडेंट हैं। फिलिपींस, जापान, मलेशिया, वेस्टइंडीज, स्कॉटलैंड तथा दुबई के स्टूडेंट पियानो, वायलिन, ड्रम में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

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