सब्जियों में कदूवर्गीय सब्जियां महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। लौकी भी कहूवर्गीय सब्जियों में महत्वपूर्ण है। इसकी उपलब्धता वर्ष में लगभग 8-10 महीने तक रहती है। उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में इसकी खेती जायद एवं खरीफ, दोनों ही मौसम में की जाती है। सब्जियां बनाने के अलावा इससे रायता, हलवा, कोफ्ता आदि भी बनाया जाता है। यह पेट को साफ करने तथा खांसी एवं कब्ज को दूर करने में भी अत्यन्त लाभकारी है। लौकी की खेती वैज्ञानिक तरीके से करके अच्छा लाभ कमा सकते हैं।
लौकी की फसल लम्बे समय तक गर्म मौसम चाहती है। इसलिए लौकी की अच्छी पैदावार के लिए गर्म एवं आर्द्रता वाले भौगोलिक क्षेत्र अच्छे माने जाते हैं। बीज अंकुरण के लिए 30-35 डिग्री सेल्सियस और पौधों की बढ़वार के लिए 32-38 डिग्री सेल्सियस तापमान सर्वोच्च होता है। अधिक वर्षा एवं खराब मौसम, दोनों ही कीट एवं रोगों को बढ़ावा देते हैं।
बुवाई का समय
ग्रीष्मकालीन फसल की बुवाई फरवरी से मार्च तक व वर्षा ऋतु की फसल की बुवाई जून से जुलाई में करते है।
बीज मात्रा
एक हैक्टर में लौकी की बुआई के लिए 2-3 कि.ग्रा. बीज की आवश्यकता पड़ती है. लेकिन पॉलीथीन के थैलों में या प्रो-ट्रे में नर्सरी तैयार करने के लिए 1 कि.ग्रा. बीज की आवश्यकता पड़ती है।
लौकी की प्रजातियां
- पूसा नवीनः इस किस्म को दोनों मौसमों में उगा सकते है। इसके फल बेलनाकार, चिकने और लम्बे होते हैं। फल का औसत वजन लगभग 550 ग्राम होता है। इस प्रजाति की औसत उपज 350-400 क्विंटल प्रति हैक्टर है।
- पूसा मेघदूतः इसके फल लम्बे आकार और हल्के हरे रंग के होते हैं। इसकी उपज लगभग 250-300 क्विंटल प्रति हैक्टर है। बीज बुआई के 60-65 दिनों बाद तुड़ाई शुरू हो जाती है।
- अर्का बहारः फल सीधे और मध्यम आकार के लगभग 1 कि.ग्रा. वजन के होते हैं। औसत उपज 400-500 क्विंटल प्रति हैक्टर है।
- काशी बहार: इस प्रजाति के फल हल्के हरे, सीधे 30-32 सें.मी. लम्बे तथा 780-900 ग्राम वजन वाले होते हैं। इसकी औसत पैदावार 500 क्विंटल प्रति हैक्टर है। यह दोनों मौसम के लिए उपयुक्त किस्म है।
- काशी गंगाः इस किस्म के पौधे मध्यम बढ़वार वाले होते हैं तथा तने पर गांठें कम दूरी पर विकसित होती हैं। प्रत्येक फल का वजन 800-900 ग्राम तक होता है। गर्मी के मौसम में 50-55 दिनों बाद एवं बरसात में 60 दिनों बाद फलों की तुड़ाई शुरू हो जाती है। इस प्रजाति की औसत उपज 450 क्विंटल प्रति हैक्टर है।
- पूसा सन्देशः फल आकर्षक हरा, गोल, मध्यम आकार का तथा वजन 600 ग्राम होता है। पहली तुड़ाई 55-60 दिनों में (खरीफ) व 60-65 दिनों (ग्रीष्म ऋतु) में शुरू हो जाती है।