One District One Product- Balod

Balod



बालोद जिला भारत के छत्तीसगढ़ के 27 जिलों में एक है। बालोद रायपुर मण्डल का जिला है और इसका मुख्यालय बालोद है।

राज्य में उद्यानिकी फसलों के प्रोत्साहन के लिए उद्यानिकी विभाग द्वारा एक जिला-एक उत्पाद कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत राज्य के 14 जिलों में 9 प्रकार की उद्यानिकी फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। चिन्हित फसलों की खेती करने वाले किसानों को उद्यानिकी विभाग द्वारा आवश्यक मार्गदर्शन एवं मदद दी जाएगी।

उद्यानिकी विभाग द्वारा एक जिला-एक उत्पाद कार्यक्रम के तहत अदरक, पपीता, आम, सीताफल, चाय, काजू, टमाटर, हल्दी एवं लीची को चिन्हित किया गया है। उद्यानिकी संचालक  माथेश्वरन वी. ने बताया कि बलोद जिले का चयन अदरक की खेती के लिए किया गया है, जबकि सूरजपुर जिले में हल्दी की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। रायपुर एवं बेमेतरा जिले के लिए पपीता, दंतेवाड़ा जिले में आम, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही एवं कांकेर में सीताफल की खेती, जशपुर में चाय उत्पादन, कोण्डागांव जिले में काजू, कोरिया, मुंगेली, रायगढ़ एवं दुर्ग जिले में टमाटर तथा सरगुजा जिले में लीची की खेती को प्रोत्साहन दिया जाएगा।

अफसरों के अनुसार जिलों में इनकी खेती छोटे पैमाने पर हो रही है। अब सरकार इन्हें बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करेगी। उद्यानिकी संचालक माथेश्वरन वी. ने बताया कि विभाग द्वारा एक जिला-एक उत्पाद कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। योजना के तहत चिन्हित फसलों की खेती करने वाले किसानों को विभाग की तरफ से आवश्यक मार्गदर्शन के साथ तकनीकी समेत व अन्य सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। अफसरों ने बताया कि इन उत्पादों के लिए सरकार द्वारा सी-मार्ट समेत अन्य योजना के तहत बाजार भी उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण सूक्ष्म इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के इकाईयों को एकत्र कर उन्हें आर्थिक और विपणन की दृष्टि से मजबूत किया जाएगा। 

अदरक को किया गया चयनित
एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत जिले को खाद्य सामग्री में अदरक के लिए चयनित किया गया है। जिसकी यूनिट लगाने पर मार्केटिग, पैकेजिग, फाइनेंशियल मदद, ब्रांडिग की मदद इस योजना के अंतर्गत किसानों को मिलेगी।

भारत में अदरक की खेती का क्षेत्रफल 136 हजार हेक्टर है जो उत्पादित अन्य मसालों में प्रमुख हैं । भारत को विदेशी मुद्रा प्राप्त का एक प्रमुख स्त्रोत हैं । भरत विश्व में उत्पादित अदरक का आधा भाग पूरा करता हैं । भारत में हल्की अदरक की खेती मुख्यत: केरल, उडीसा, आसाम, उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, आंध्रप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश तथा उत्तराँचल प्रदेशों में मुख्य व्यवसायिक फसल के रूप में की जाती है । केरल देश में अदरक उत्पादन में प्रथम स्थान पर हैं।

उपयोगिता
अदरक का प्रयोग मसाले, औषधिया तथा सौन्र्दय सामग्री के रूप में हमारे दैनिक जीवन में वैदिक काल से चला आ रहा हैं । खुशबू पैदा करने के लिये आचारो, चाय के अलावा कई व्यजंनो में अदरक का प्रयोग किया जाता हैं । सर्दियों में खाँसी जुकाम आदि में किया जाता हैं । अदरक का सोंठ कें रूप में इस्तमाल किया जाता हैं । अदरक का टेल, चूर्ण तथा एग्लिओरजिन भी औषधियो में उपयोग किया जाता हैं
औषधियों के रूप में- सर्दी-जुकाम, खाँसी ,खून की कमी, पथरी, लीवर वृद्धि, पीलिया, पेट के रोग, वाबासीर, अमाशय तथा वायु रोगीयों के लिये दवाओ के बनाने में प्रयोग की जाती हैं।
मसाले के रूप में- चटनी, जैली, सब्जियो, शर्बत, लडडू, चाट आदि में कच्ची तथा सूखी अदरक का उपयोग किया जाता हैं।
सौंदर्य प्रसाधन में- अदरक का तेल, पेस्ट, पाउडर तथा क्रीम को बनाने में किया जाता हैं।

जिले की आधुनिक कृषि के क्षेत्र में विशेष पहचान
कृषि प्रधान जिला बालोद आधुनिक कृषि के क्षेत्र में विशेष पहचान बना रहा है। जिले में काला एवं लाल चावल की सफल खेती के बाद कृषि विभाग हरे चावल की खेती करने की तैयारी शुरू कर दी है। गर्मी फसल के बाद बारिश में हरे चावल की खेती करने की योजना बना ली है। यह खेती किस ब्लॉक में शुरू होगी, इसके लिए जगह का चयन नहीं हो पाया है। सम्भवत: कृषि विभाग गुरुर ब्लॉक से ही हरे चावल की खेती करा सकता है। प्रदेश में हरे चावल की खेती पहली बार दुर्ग जिले में हुई, तब इस जिले के एक किसान ने इसकी खेती की थी। जिसके बाद पूरे प्रदेशभर में सुर्खियों पर आए थे।

जिले में जिंक, काला व लाल रंग के चावल की हो रही खेती
जिले में वर्तमान समय में लाल व काला रंग के चावल की खेती हो रही है। इस चावल की मांग आस्ट्रेलिया तक हो रही है। इस जैविक खेती से उत्पादित चावल को बेचकर किसान आत्मनिर्भर हो रहे हैं।

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