Low
Manual
Machine & Manual
Medium
Low
6.5 - 8
15 - 25 °C
20 kg/acre nitrogen & 45g/acre urea
Basic Info
Seed Specification
Land Preparation & Soil Health
Crop Spray & fertilizer Specification
Weeding & Irrigation
Harvesting & Storage
सौंफ में फाइबर, पोटेशियम, फोलेट, विटामिन सी, विटामिन बी -6 और फाइटोन्यूट्रिएंट सामग्री, कोलेस्ट्रॉल की कमी के साथ मिलकर, सभी हृदय स्वास्थ्य का समर्थन करते हैं। सौंफ में महत्वपूर्ण मात्रा में फाइबर होता है। फाइबर हृदय रोग के जोखिम को कम करता है क्योंकि यह रक्त में कोलेस्ट्रॉल की कुल मात्रा को कम करने में मदद करता है।
बुवाई से लेकर कटाई योग्य आकार तक लगभग 65 दिन लगते हैं।
सौंफ की खेती बलुई मृदा को छोड़कर प्रायः सभी प्रकार की मृदा में की जा सकती है। इसकी अच्छी पैदावार के लिए जीवांशयुक्त बलुई दोमट मृदा उपयुक्त है। अच्छे जल निकास वाली चूनायुक्त मृदा में भी इसकी पैदावार अच्छी होती है। मिट्टी की पी एच 6.5 से 8 तक होनी चाहिए।
सौंफ की खेती खरीफ एवं रबी दोनों ही मौसम में की जा सकती है। लेकिन रबी का मौसम सौंफ की खेती करने से अधिक उत्पादन प्राप्त होता है। खरीफ में इसकी बुवाई जुलाई माह में तथा रबी के सीजन में इसकी बुवाई अक्टूबर के आखिरी सप्ताह से लेकर नवंबर के प्रथम सप्ताह तक की जा सकती है।
सौंफ के बीज 8-14 दिनों में अंकुरित हो जाएंगे। इसके लिए मिट्टी को नम रखें और इसे पूरी तरह से सूखने न दें।
सौंफ का उपयोग विभिन्न पाचन समस्याओं के लिए किया जाता है, जिसमें नाराज़गी, आंतों की गैस, सूजन, भूख न लगना और शिशुओं में पेट का दर्द शामिल है। इसका उपयोग ऊपरी श्वसन पथ के संक्रमण, खांसी, ब्रोंकाइटिस, हैजा, पीठ दर्द, बिस्तर गीला करना और दृश्य समस्याओं के लिए भी किया जाता है।
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