Marigold (गेंदा)

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pH value

7.0 - 7.5

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Temperature

15°C - 29°C.

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Fertilization

FYM @50-60q/acre and mix well in soil. Apply inorganic fertilizer dose of N:P:K @24:16:16kg/acre in

Marigold  (गेंदा)

Basic Info

बाजार में फूलों की मांग गेंदा की खेती के लिए काफी फायदे का सौदा है। गेंदा की कुछ प्रजातियाँ जैसे- हज़ारा तथा पाँवर प्रजातियाँ पूरे वर्ष भर फूल दे पाने में सक्षम है। यह प्रजातियाँ व्यापारीक खेती की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसकी खेती में कम लागत तथा अधिक मुनाफ़ा है। ढाई महीनें में तैयार होने वाली इस फसल से महीनें में दो फसल ली जाती है। एक बीघा में एक हजार से डेढ़ हजार रुपये की लागत लगती है। जबकी पैदावार 3 क्विंटल तक लिया जा सकता है। बाज़ार में इसकी क़ीमत ₹70 से ₹100 प्रति क्विंटल है।
गेंदा फूल बाजार में 70 से 80 रुपये प्रति किलो तक बिक जाता है, त्योहारों और वैवाहिक कार्यक्रमों में जब इसकी मांग बढ़ जाती है तो दाम 100 रुपये प्रति किलो तक के हिसाब से मिल जाते हैं।

Seed Specification

बुवाई का समय 
जलवायु की भिन्नता के अनुसार भारत में इसकी बुआई अलग-अलग समय पर होती है। उत्तर भारत में इसे दो समय पर बीज बोया जाता है पहली बार मार्च से जून तक और दूसरी बार अगस्त से सितम्बर।

बीज की मात्रा 
गेंदे की बीज की मात्रा चयनित किस्मों के आधार पर लगाई जाती है। संकर किस्मों का बीज 700 से 800 ग्राम प्रति हेक्टेयर तथा सामान्य किस्मों का बीज 1.25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त है।

गेंदा की खेती के लिए पौधशाला (नर्सरी) की तैयारी
गेंदे के बीज को पहले पौधशाला में उगाया जाता है। पौधशाला में सड़ी हुई गोबर की खाद डालकर जुताई करें।
मिट्टी को भुरभुरा बनाकर उसमें रेत भी मिलाएं, क्यारियाँ बनाकर उसमें गेंदें की बीज डालें। गोबर की खाद छानकर बीज को ऊपर से ढक दें।
जब बीज जमना प्रारंभ हो जाए तो सिंचाई कर दें। 8-10 सेंटीमीटर के हो जाने के बाद पौधों को पौधशाला से उखाड़कर तैयार खेत में लगायें।

रोपाई का तरीका
इसकी रोपाई समतल क्यारियो में की जाती है। पौधों के मध्य की दूरी किस्मों पर निर्भर करती है।

दुरी 
अफ्रीकन किस्मों की रोपाई में 60 सेंटीमीटर लाइन से लाइन तथा 45 सेंटीमीटर पौधे से पौधे की दूरी रख कर करते है।
वहीं अन्य किस्मों की रोपाई में 40 सेंटीमीटर पौधे से पौधे तथा इतनी ही लाइन से लाइन की दूरी रखते है।

प्रसिद्ध किस्में
अफ्रीकन गेंदा – क्लाइमेक्स, कोलेरेट, क्राउन आफ गोल्ड, क्यूपीट येलो, फर्स्ट लेडी, फुल्की फ्रू फर्स्ट, जॉइंट सनसेट, इंडियन चीफ ग्लाइटर्स, जुबली, मन इन द मून, मैमोथ मम, रिवर साइड ब्यूटी, येलो सुप्रीम, स्पन गोल्ड आदि, ये व्यापारिक खेती के लिए उपयोगी है।
मैक्सन गेंदा – टेगेट्स ल्यूसीडा, टेगेट्स लेमोनी, टेगेट्स मैन्यूटा आदि प्रमुख है।
फ्रेंच गेंदा – बोलेरो गोल्डी, गोल्डी स्ट्रिप्ट, गोल्डन ऑरेंज, गोल्डन जेम, रेड कोट, डेनटी मैरिएटा, रेड हेड, गोल्डन बाल आदि है। इन प्रजातियों का पौधा फ़ैलाने वाला झड़ी नुमा होता है, पौधे छोटे होते है देखने में अच्छे लगते है।
संकर किस्म – नगेटरेटा, सौफरेड, पूसा नारंगी गेंदा, पूसा बसन्ती गेंदा आदि।

Land Preparation & Soil Health

खाद एवं रासायनिक उर्वरक 
गेंदा की खेती में अच्छी पैदावार के लिए  250 से 300 कुंतल प्रति हेक्टेयर सड़ी गोबर की खाद खेत की तैयारी करते समय इसके साथ 120 किलोग्राम नत्रजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस तथा 80 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में प्रति हेक्टेयर उपयुक्त है।
विधि – फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा तथा नत्रजन की आधी मात्रा खेत की तैयारी करते समय, बची हुई नत्रजन की आधी मात्रा दो बार में बराबर मात्रा में, पहली बार रोपाई के एक माह बाद तथा शेष रोपाई के दो माह बाद देना चाहिए।

Crop Spray & fertilizer Specification

बाजार में फूलों की मांग गेंदा की खेती के लिए काफी फायदे का सौदा है। गेंदा की कुछ प्रजातियाँ जैसे- हज़ारा तथा पाँवर प्रजातियाँ पूरे वर्ष भर फूल दे पाने में सक्षम है। यह प्रजातियाँ व्यापारीक खेती की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसकी खेती में कम लागत तथा अधिक मुनाफ़ा है। ढाई महीनें में तैयार होने वाली इस फसल से महीनें में दो फसल ली जाती है। एक बीघा में एक हजार से डेढ़ हजार रुपये की लागत लगती है। जबकी पैदावार 3 क्विंटल तक लिया जा सकता है। बाज़ार में इसकी क़ीमत ₹70 से ₹100 प्रति क्विंटल है।
गेंदा फूल बाजार में 70 से 80 रुपये प्रति किलो तक बिक जाता है, त्योहारों और वैवाहिक कार्यक्रमों में जब इसकी मांग बढ़ जाती है तो दाम 100 रुपये प्रति किलो तक के हिसाब से मिल जाते हैं।

Weeding & Irrigation

खरपतवार नियंत्रण 
गेंदा के खेत को खरपतवारो से साफ़ सुथरा रखना अनिवार्य है। खरपतवार की रोकथाम के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहें तथा पौधों पर 10 से 12 सेंटीमीटर ऊंची मिट्टी चढ़ा दे। जिससे कि पौधे फूल आने पर न गिरे।

सिंचाई
गेंदे की खेती में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। वैसे तो इसकी खेती में सिंचाई की भी अधिक जरूरत नहीं होती, मात्र दो से तीन सिंचाई करने से ही खेती लहलहाने लगती है, जबकि पैदावार ढाई से तीन कुंटल तक प्रति बीघा तक हो जाती है।

Harvesting & Storage

तुड़ाई और कटाई
फूलो को हमेशा प्रातः काल ही तुड़ाई करना चाहिए। तेज धूप पड़ने से फूल ख़राब हो जाते हैं। फूलों को तेज चाकू से तिरछा साफ़ पात्र या बर्तन में रखें।

भंडारण
कटाई करने के बाद फूलों को छायादार स्थान पर फैलाकर रखें। कटाई पूर्ण रूप से फूलों को खिलने के बाद ही कर।
कटे फूलो को अधिक समय तक रखने हेतु 8 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान पर तथा 80 प्रतिशत आद्रता रखें।

उत्पादन 
गेंदे की उपज भूमि की उर्वरा शक्ति एवं फसल की उचित देखभाल पर करें। आमतौर पर उपज के रूप में 125 से 150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होते है।
कुछ उन्नतशील किस्मों से पुष्प उत्पादन 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त होते है। जिसकी बाज़ार में क़ीमत ₹70 से ₹100 प्रति किलो है।

Crop Disease

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