शिवसागर भारत के राज्य असम के शिवसागर जिले का एक शहर और जिले का मुख्यालय है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण सूक्ष्म इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के इकाईयों को एकत्र कर उन्हें आर्थिक और विपणन की दृष्टि से मजबूत किया जाएगा।
चावल (लाल चावल) आधारित उत्पाद (पिठा, फूला हुआ चावल, फ्लेक्ड चावल) को किया गया चयनित
एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत जिले को खाद्य सामग्री में चावल (लाल चावल) आधारित उत्पाद (पिठा, फूला हुआ चावल, फ्लेक्ड चावल) के लिए चयनित किया गया है। जिसकी यूनिट लगाने पर मार्केटिग, पैकेजिग, फाइनेंशियल मदद, ब्रांडिग की मदद इस योजना के अंतर्गत किसानों को मिलेगी।
लाल चावल चावल की कई किस्मों में से कोई भी हो सकता है जो एंथोसायनिन में उच्च होता है, एक एंटीऑक्सीडेंट वर्णक जो चावल के दाने की भूसी को लाल रंग में रंग देता है।
असम के लाल चावल के बारे में
- लोहे से भरपूर 'लाल चावल' असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में बिना किसी रासायनिक खाद के उगाए जाते हैं।
- इस किस्म को असम में 'बाओ-धान' कहा जाता है।
- बाओ-धान एक गहरे पानी का चावल है, इसकी खेती कम, दलदली भूमि और बाढ़ प्रवण क्षेत्रों में की जाती है।
- चावल में आयरन, प्रोटीन, विटामिन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, सेलेनियम, थायमिन, नियासिन, मैंगनीज की उच्च मात्रा होती है और यह फाइबर से भरपूर होता है।
- असम में बाओ चावल की कई किस्में हैं जैसे नेघारी-बाओ, दाल-बाओ, पानिंद्र और मगुरी-बाओ, पद्मताई, पनीकेकोआ, पद्मनाथ, सबिता, रंगी-बाओ, बादल, आदि।
- बाओ चावल उगाने वाले क्षेत्र धेमाजी, लखीमपुर, शिवसागर जिले और माजुली आदि हैं।
आयरन से भरपूर ‘लाल चावल’ असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में बिना किसी रासायनिक खाद के उगाया जाता है। यानी यह आर्गेनिक होता है। चावल की इस किस्म को ‘बाओ-धान’ कहा जाता है, जो कि असमिया भोजन का एक अभिन्न अंग है। भारत में चावल की करीब 60 हजार प्रजातियां हैं। जिनमें से बासमती (Basmati) की महक पूरी दुनिया में बिखरी हुई है।
शिवसागर जिला में चाय, चावल, रेशम, सरसों व लकड़ी का उत्पादन होता है। शिवसागर असम के सबसे साफ सुथरा व विचित्र शहर हैं। यहाँ की जैव विविधता, रंग घर पुरातत्व चबूतरा, अहोम राजा का पैलेस, पाणि दीहिंग वन्यजीव अभयारण्य आदि घूमने की जगह है।
जिले के शिवसागर प्रखंड के चमराहा गांव के किसान प्रकाश कुमार ब्लैक राइस की खेती कर रहे हैं। यह खेती पूरे गांव में आश्चर्य का विषय बनी हुई है. यह राइस शुगर फ्री है। इसको करने में प्रकाश केवल जैविक खाद का ही उपयोग करते हैं।
ब्लैक राइस बना चर्चा का विषय
जिले को वैसे तो धान का कटोरा के नाम से जाना जाता है। लेकिन यहां के शिवसागर प्रखंड के चमराहा गांव के किसान प्रकाश कुमार ने ऐसे धान की खेती की है जो पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। प्रकाश कुमार जैविक खेती के माध्यम से ब्लैक राइस पैदा कर रहे हैं।
काले चावल में कोलेस्ट्रोल की मात्रा नहीं
वैसे तो इस चावल की कीमत आम चावलों से कई गुना ज्यादा है। लेकिन ब्लैक राइस की अपनी एक अलग ही पहचान है। इस काले चावल में कैलेस्ट्रोल की मात्रा बिल्कुल ना के बराबर होता है. वहीं यह चावल शुगर फ्री भी है। शुगर के मरीज चावल को बिना किसी परेशानी के खा सकते हैं।
राज्य का लगभग 63% कार्य बल कृषि और संबंधित गतिविधियों में संलग्न है। कुल फसल क्षेत्र के 79% से अधिक क्षेत्र का उपयोग खाद्य फसलों के उत्पादन के लिए किया जाता है। चावल यहाँ की प्रमुख खाद्य फसल है। जूट,चाय, कपास, तिलहन, गन्ना, आलू और फल यहाँ की प्रमुख व्यावसायिक फसलें हैं। राज्य के कुल क्षेत्र का 22.41% वन भूमि है। असम के चाय के बागानों में देश के आधे से ज्यादा चाय का उत्पादन होता है और यह विश्व के संपूर्ण चाय उत्पादन का लगभग छठा हिस्सा है। खनिज तेल के उत्पादन के संबंध में असम की अद्वितीय स्थिति है। कोयला, चूना पत्थर, दुर्दम्य मिट्टी, डोलोमाइट और प्राकृतिक गैस ऐसे अन्य खनिज हैं जो इस राज्य में पाए जाते हैं। 19वीं सदी में यहाँ बड़े पैमाने पर तेल के भंडार पाए गए और दिगबोई एशिया का प्रथम तेल रिफाइनरी स्थल बन गया।