One District One Product- Pratapgarh

Pratapgarh



प्रतापगढ़ भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है। इसे को बेला, बेल्हा, परतापगढ़, या प्रताबगढ़ भी कहा जाता है। यह प्रतापगढ़ जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है।

यह जिला फैजाबाद मंडल का एक हिस्सा है एवं इसका नामकरण बेला प्रतापगढ़ के नाम पर हुआ, जो आमतौर पर प्रतापगढ़ के नाम से भी जाना जाता है। प्रताप सिंह, जो वर्ष 1628-1682 के बीच राजा रहे, उन्होंने रामपुर में पुरान अरोर नगर के समीप अपना मुख्यालय स्थापित किया। यहां पर उन्होंने गढ़ (किले) का निर्माण भी कराया तथा उसे अपने नाम के तर्ज पर प्रतापगढ़ नाम दिया। इस जिले की भूमि काफी उपजाऊ है जिसके कारण यहां पर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग प्रतिदिन बढ़ रहा है। वर्तमान में प्रतापगढ़ में कुल 6510 पंजीकृत उद्योग इकाइयां हैं। जिले की लगभग 569 हेक्टेयर भूमि वनीय है जो मुख्य रूप से जिले के केंद्र में है। वन में अधिकांश पेड़ सागोन, शीशम एवं जामुन के पाए जाते हैं।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण सूक्ष्म इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के इकाईयों को एकत्र कर उन्हें आर्थिक और विपणन की दृष्टि से मजबूत किया जाएगा। 

आंवला को किया गया चयनित
एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत जिले को खाद्य सामग्री में आंवला के लिए चयनित किया गया है। जिसकी यूनिट लगाने पर मार्केटिग, पैकेजिग, फाइनेंशियल मदद, ब्रांडिग की मदद इस योजना के अंतर्गत किसानों को मिलेगी।

खाद्य प्रसंस्करण (आंवला)
प्रतापगढ़ में आंवला का प्रमुख रूप से उत्पादन किया जाता है, जो इस जिले की पहचान है। इसके साथ ही जिले में बड़े पैमाने पर अमरूद एवं आम का भी उत्पादन किया जाता है। प्रतापगढ़ जिले में बहुत सी खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां हैं, जो विभिन्न प्रकार के उत्पादों जैसे मुरब्बा, अचार, जैली, लड्डू, पाउडर, जूस, आंवला पाउडर एवं अन्य का उत्पादन करती हैं। वर्तमान में क्षेत्र में बहुत सी लघु एवं मध्यम उद्योग इकाइयां भी चल रहीं हैं। जिले में इस उद्योग के माध्यम से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से अनेक रोजगार पैदा किये जा रहे हैं।

आंवला से प्रतापगढ़ की पहचान है। गुणों का खजाना होने के चलते अमृत फल का दर्जा प्राप्त आंवला वैसे तो कई स्थानों पर होता है पर जो विशेषता प्रतापगढ़ के आंवले में है वह और कहीं नहीं है। प्रतापगढ़ की मिट्टी की जो तासीर है वह आंवले के लिए सर्वाधिक अनुकूल है। इसके चलते यहां का आंवला देश के अन्य हिस्सों में होने वाले आंवले से आकार में बड़ा व गुणों में विशेष होता है।

जिले में बागों से लगभग 40 हजार मैट्रिक टन आंवले का उत्पादन होता है। उत्पादन का लगभग 10 से 15 प्रतिशत फल का उपयोग जिले के लोग मुरब्बा, अचार बनाकर करते हैं तथा इतनी ही मात्रा में आंवले का प्रसंस्करण करके बाहर जिलो को भेजा जाता है। इसके लिए जिले में कुल 35 इकाईयां लगाई गयी है जहाँ पर आंवले से मुरब्बा, आचार, कैंडी, बर्फी चॉकलेट एवं जूस निकालकर बेचा जाता है। शेष उत्पादन डाबर, बैद्यनाथ, पतंजलि, शांति कुन्ज आदि कम्पनियाें को बेचा जाता है।

आँवला एक फल देने वाला वृक्ष है। यह करीब 20 फीट से 25 फुट तक लंबा झारीय पौधा होता है। यह एशिया के अलावा यूरोप और अफ्रीका में भी पाया जाता है। हिमालयी क्षेत्र और प्राद्वीपीय भारत में आंवला के पौधे बहुतायत मिलते हैं। इसके फूल घंटे की तरह होते हैं। इसके फल सामान्यरूप से छोटे होते हैं, लेकिन प्रसंस्कृत पौधे में थोड़े बड़े फल लगते हैं। इसके फल हरे, चिकने और गुदेदार होते हैं। स्वाद में इनके फल कसाय होते हैं।

Smart farming and agriculture app for farmers is an innovative platform that connects farmers and rural communities across the country.

© All Copyright 2024 by Kisaan Helpline