One District One Product- Mirzapur

Mirzapur



मिर्ज़ापुर (Mirzapur) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मिर्ज़ापुर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। मिर्जापुर उत्तर प्रदेश के दक्षिणी जिले में से एक है जो मिर्ज़ापुर मंडल का एक भाग है। मिर्ज़ापुर नगर इसका जिला मुख्यालय है। यह जिला उत्तर में संत रविदास नगर व वाराणसी जिले से, पूर्व में चंदौली जिले से, दक्षिण में सोनभद्र जिले से तथा उत्तर-पूर्व में इलाहाबाद जिले से घिरा हुआ है। यह जिला विंध्याचल में स्थित विंध्यवासिनी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।

एक जिला एक उत्पाद योजना (ओडीओपी) के तहत जनपद मिर्ज़ापुर के टमाटर को शामिल करने से किसानों के चेहरे खिल उठे। टमाटर का उत्पादन करने वाले राजगढ़ और सीखड़ सहित अन्य क्षेत्र के किसानों को उचित मूल्य मिल सकेगा। साथ ही टमाटर से बनने वाले उत्पाद संबंधी कुटीर उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। ओडीओपी योजना से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की किसानों की आय दोगुनी करने की योजना भी मूर्तरूप ले सकेगी।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण सूक्ष्म इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के इकाईयों को एकत्र कर उन्हें आर्थिक और विपणन की दृष्टि से मजबूत किया जाएगा। 

टमाटर को किया गया चयनित
एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत जिले को खाद्य सामग्री में टमाटर के लिए चयनित किया गया है। जिसकी यूनिट लगाने पर मार्केटिग, पैकेजिग, फाइनेंशियल मदद, ब्रांडिग की मदद इस योजना के अंतर्गत किसानों को मिलेगी।

जिले के राजगढ़ व सीखड़ विकास खंड के टमाटरों का स्वाद बेहतरीन है। पहले तो इस सूची में राजगढ़ के पास का क्षेत्र कर्मा भी शामिल था लेकिन अब यह जगह सोनभद्र में आती है।

जिले में टमाटर की खेती करने का तरीका 
जिले में टमाटर का रकबा लगभग सात हजार एकड़ है। टमाटर के लिए पहले खेत की तैयारी की जाती है। मई- जून में खेत का प्लाऊ किया जाता है। इसके बाद उसमें किसान गोबर व कम्पोस्ट खाद डालना शुरू कर देते हैं। इस खाद को मिट्टी में मिलाने के लिए एक- दो बार खेत की जोताई कराई जाती है। इसके बाद टमाटर की नर्सरी पंद्रह से बीस जुलाई के बीच डाली जाती है। एक बीघा टमाटर की खेती करने के लिए पांच ग्राम बीज की जरूरत पड़ती है। इस दौरान बरसात का मौसम होने के कारण नर्सरी बचाने के लिए प्रबंध करना पड़ता है। नर्सरी के ऊपर किसान चारो किनारे लकड़ी खड़ा कर बरसाती या प्लास्टिक की पन्नी लगा देते हैं, जिससे बरसात का पानी सीधे नर्सरी पर न पड़े। बरसात का सीधे पानी पड़ने पर नर्सरी गलकर खराब हो जाती है।यह नर्सरी बीस से पचीस दिन में तैयार हो जाती है। इसके बाद खेत में रोपाई शुरू होती है। टमाटर के खेत का चयन करते समय इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि वह ढालू भूमि हो ताकि बरसात का पूरा पानी निकल जाए। टमाटर के एक से दूसरे पौधे व लाइन की दूरी तीन से चार फीट होती है। यह दूरी रखने से पौधों के बढ़ने फैलने व मिट्टी चढ़ाने में सुविधा होती है।

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