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Kanpur Nagar



कानपुर नगर ज़िला (Kanpur Nagar)भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है। इसका मुख्यालय कानपुर है। यह ज़िला कानपुर मंडल का हिस्सा है। 1977 में इस जिले से कानपुर देहात जिला अलग हो गया।
कानपुर उत्तर प्रदेश का एक औद्योगिक शहर है। इसे उत्तर प्रदेश का औद्योगिक की राजधानी भी कहा जाता है। लेदर सिटी के नाम से मशहूर यह जिला चमड़ा और टेक्सटाइल उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। इसे भारत का मैनचेस्टर भी कहा जाता है।

एक औद्योगिक शहर होने के बावजूद कानपुर नगर जिले की ग्रामीण अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है. जिले में उगाए जाने वाले प्रमुख फसल हैं: मक्का, धान , बाजरा, दलहन (चना, उड़द और अरहर), गन्ना, आलू प्याज और अन्य सब्जियां।
ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन जिले के लोगों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण जरिया है. जिले के प्रमुख पशु धन हैं: गाय, भैंस, सूअर, बकरी और पोल्ट्री।
कानपुर नगर एक औद्योगिक जिला है. जिले में भारी पैमाने पर लघु, मझोले और बड़े औद्योगिक इकाइयां कार्यरत हैं. जिले में स्थित प्रमुख उद्योग हैं: टेक्सटाइल उद्योग, लेदर उद्योग, प्लास्टिक उद्योग, केमिकल उद्योग, फार्मास्यूटिकल उद्योग, उर्वरक उद्योग, फूड प्रोसेसिंग यूनिट, मोटर उद्योग, गन फैक्ट्री और कृषि आधारित उद्योग, तेल मिल इत्यादि।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने प्रधानमंत्री फार्मुलेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग इंटरपेन्योर के तहत कानपुर के बेकरी उद्योग को ओडीओपी योजना में शामिल किया है। इसके तहत बेकरी उत्पादों से जुड़ीं इकाइयों की स्थापना करने वालों को सरकार दस लाख रुपये तक की वित्तीय मदद देगी। साथ ही पहले से जो इकाइयां चल रहीं हैं, उनके विस्तार के लिए भी वित्तीय मदद दी जाएगी। अब बेकरी उद्योग से जुड़ीं अधिक से अधिक इकाइयों की स्थापना के लिए खाद्य प्रसंस्करण विभाग लोगों को जागरूक करेगा।

जिले में बेकरी उत्पादों से जुड़ी 3422 इकाइयां हैं। इनमें से 255 इकाइयों को केंद्रीय लाइसेंस प्राप्त है, जबकि 1440 इकाइयों को राज्य स्तर से लाइसेंस दिया गया है। ज्यादा से ज्यादा इकाइयां लगें व रोजगार का सृजन हो, इसलिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की ओर से विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में अब चिप्स, नमकीन, टोस्ट, पाव आदि बेकरी उत्पादों से जुड़ी इकाइयों की स्थापना के लिए लोगों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही इकाई की स्थापना पर इकाई की कुल लागत पर अधिकतम 10 लाख रुपये तक की वित्तीय मदद सरकार देगी। अगर कोई निवेशक इकाई स्थापना के लिए बैंक से ऋण लेता है तो उसे ब्याज उपादान योजना के तहत सब्सिडी भी मिलेगी।

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