Chawla Phali/Lobia/Cowpea (चवला फली/कावेरी/लोबिया)

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Low

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pH value

6.5 - 8

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Temperature

22 - 35 °C

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Fertilization

NPK @ 7.5:22:# Kg/Acre 17 kg/acre urea, SSP 140kg/acre

Chawla Phali/Lobia/Cowpea (चवला फली/कावेरी/लोबिया)

Chawla Phali/Lobia/Cowpea (चवला फली/कावेरी/लोबिया)

Basic Info
लोबिया (चवला फली) मुख्यत: एक दलहनी फसल हैं। दलहनी खेती के तहत लोबिया की फसल आती है। यह प्रोटीन, शर्करा, वसा, विटामिन व खनिज से भरपूर होती है। लोबिया की खेती दाल, सब्जी, हरी खाद और चारे के लिए पुरे भारत में की जाती है| यह अफ्रीकी मूल की फसल है| लोबिया की खेती सूखे को सहन करने और जल्दी पकने वाली फसल है| यह मिट्टी में नमी बनाए रखने में मदद करती है| भारत में मुख्य रूप से मध्य प्रदेश,कर्नाटक, तमिलनाडु,  केरल, उत्तर प्रदेश और राजस्थान इसके मुख्य उत्पादक राज्य है|

Seed Specification

बुवाई का समय
खरीफ- मानसून आने पर (जून शुरूआत से जुलाई के अंत तक)
रबी- अक्टूबर से नवम्बर माह (दक्षिण भारत)|
ग्रीष्मकालीन- मार्च द्वितीय सप्ताह से मार्च अन्तिम सप्ताह में (दाने के लिये) व फरवरी माह में चारे के लिये पहाडी क्षेत्रों में इसको अप्रैल से मई में लगाते है और हरी खाद के लिये जून मध्य से जुलाई का प्रथम सप्ताह में लगाते है|
 
दुरी
बुवाई के समय लाईन से लाईन की दुरी 30 सैं.मी. और पौधे से पौधे का फासला 15 सैं.मी. रखें।
 
बीज की गहराई
बुवाई 3-5 सैं.मी गहराई में करनी चाहिए।

बुवाई का तरीका
लोबिया की बुवाई दाने और फलियों के लिए लाईन में बुवाई मशीन द्वारा और चारे के लिए छिड़कवा विधि द्वारा।

बीज की मात्रा
दाने के उत्पादन के लिए बीज कि मात्रा 20-25 कि.ग्रा./हेक्टेयर
हरी खाद व चारे के लिए बीज की मात्रा 30-35 कि.ग्रा./हेक्टेयर  

बीजों का उपचार
बुवाई से पहले बीजों को थिरम 2 ग्राम या कार्बेनडाज़िम 50 प्रतिशत डब्लयू.पी. 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज से उपचार करें।

Land Preparation & Soil Health

खाद एवं रासायनिक उर्वरक
लोबिया की खेती के लिए बुवाई से पूर्व खेत तैयार करते समय 15-20 टन/हेक्टेयर अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद मिट्टी में अच्छी तरह से मिला देना चाहिए। रासायनिक उर्वरक में नाइट्रोजन 10-15 किलो और फास्फोरस 20 किलो प्रति हेक्टेयर बुवाई से पूर्व देना चाहिए। ध्यान रहे आवश्यक पोषक तत्व मिट्टी परिक्षण के आधार पर ही प्रयोग करे।

Crop Spray & fertilizer Specification
लोबिया (चवला फली) मुख्यत: एक दलहनी फसल हैं। दलहनी खेती के तहत लोबिया की फसल आती है। यह प्रोटीन, शर्करा, वसा, विटामिन व खनिज से भरपूर होती है। लोबिया की खेती दाल, सब्जी, हरी खाद और चारे के लिए पुरे भारत में की जाती है| यह अफ्रीकी मूल की फसल है| लोबिया की खेती सूखे को सहन करने और जल्दी पकने वाली फसल है| यह मिट्टी में नमी बनाए रखने में मदद करती है| भारत में मुख्य रूप से मध्य प्रदेश,कर्नाटक, तमिलनाडु,  केरल, उत्तर प्रदेश और राजस्थान इसके मुख्य उत्पादक राज्य है|

Weeding & Irrigation

खरपतवार नियंत्रण
लोबिया की अच्छी पैदावार के लिए खरपतवार नियंत्रण बहुत आवश्यक है। खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए 2-3 बार निराई गुड़ाई करें। तथा बुवाई के 2 दिन के अंदर पेंडीमिथालीन 38.7% सी.एस. 700मिली./एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें।

सिंचाई
खरीफ की फसल में सिंचाई की अपेक्षा जल निकास आवश्यक होता है| लम्बे समय से सूखा पड़ने पर सिंचाई करनी चाहिए| लोबिया की अच्छी पैदावार के लिए फूल और फलीयों के भरने के समय सिंचाई करना चाहिए। गर्मी की फसल के लिये सिंचाई अति आवश्यक होती है| आमतौर पर 5 से 6 सिंचाई की आवश्यकता 10 से 15 दिनों के अन्तराल पर करना चाहिए|

Harvesting & Storage

कटाई एवं तुड़ाई
हरी फलियों के उपयोग के लिये उगाई फसल की तुडाई बुवाई के 45 से 90 दिन बाद किस्म के आधार पर कर सकते है। चारे वाली फसल की कटाई सामान्यतः बुवाई के 40 से 45 दिन बाद की जाती है| दाने की फसल के लिये कटाई, बुवाई के 90 से 125 दिन बाद जब फलियाँ पूर्णतः पक जाए, करना चाहिए| कटाई के बाद फसल को सुखा कर श्रेसिंग करना चाहिए|

भण्डारण
भण्डारण के पहले दानों को धुप में सुखाने के बाद ही भण्डारण करें|

उत्पादन
लोबिया की खेती से लगभग 12 से 17 क्विंटल दाना व 50 से 60 क्विंटल भूसा प्राप्त होता है| चारे वाली फसल से 250 से 400 क्विंटल तक हरा चारा प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त किया जा सकता है|

Crop Disease

Asochyta blight

Description:
{छोले का Ascochyta फफूंद रोगज़नक़ Ascochyta rabiei (पहले Phoma rabiei के रूप में जाना जाता है) के कारण होता है। यह बीमारी आमतौर पर सबसे पहले सर्दियों के अंत में देखी जाती है|}

Organic Solution:
कोई जैविक नियंत्रण विकसित नहीं की गई है।

Chemical solution:
कवकनाशी, मैन्कोज़ेब, क्लोरोथालोनिल, बेनामिल, कार्बेन्डाजिम और थायोसेंडेन्स सहित,

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Bacterial blight ( बैक्टीरियल ब्लाइट )

Description:
{बीमारी दूषित बीज द्वारा आ सकता है; फसल के मलबे में बैक्टीरिया; गर्म तापमान के अनुकूल रोग का उभरना; गीला मौसम की स्थिति के दौरान सबसे बड़ा है।}

Organic Solution:
इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए कॉपर फफूंदनाशकों की सिफारिश की जाती है|

Chemical solution:
बैक्टीरियल ब्लाइट के नियंत्रण के लिए कॉपर फफूंदनाशकों का उपयोग किया जा सकता है लेकिन इसे प्रभावी होने के लिए रोग चक्र में जल्दी लगाने की आवश्यकता होती है। हालांकि, कोर एकीकृत कीट प्रबंधन प्रथाओं का पालन करने की सिफारिश की जाती है क्योंकि कवकनाशी अक्सर इस रोगज़नक़ के खिलाफ प्रभावी नहीं होते हैं।

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Armyworms

Description:
{सामान्य आर्मीवॉर्म (armyworm) वसंत और शुरुआती गर्मियों में अधिक सामान्य कीट है। यह प्रजाति उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के गर्म क्षेत्रों में अपनी सर्दियों को बिताने के लिए दिखाई देती है।}

Organic Solution:
नीम के अर्क, बेसिलस थुरिंजेंसिस (Bacillus Thuringiensis) या बैकोलोवायरस स्पोडोप्टेरा (Baculovirus Spodoptera) के साथ-साथ स्पिनोसैड (Spinosad) या एज़ादिरैक्टिन (Azadirachtin) युक्त जैव कीटनाशकों का छिड़काव किया जा सकता है।

Chemical solution:
कीटनाशक में एसेफेनवलरेट(esfenvalerate), क्लोरपाइरीफोस (chlorpyrifos), मैलाथियान (malathion) पाउडर 8 से 10 किलोग्राम प्रति एकड़, लांबाडा ( lambda) और सायलोथ्रिन (cyhalothrin) शामिल हैं।

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Aphids (एफिड्स)

Description:
{पत्तियां रूखी और विकृत हो जाती हैं जो पत्तियों और अंकुरों के नीचे 0.5 से 2 मिमी तक के आकार के छोटे कीड़ों के कारण होती हैं। वे निविदा पौधों के ऊतकों को छेदने और तरल पदार्थों को चूसने के लिए अपने लंबे मुखपत्र का उपयोग करते हैं। कई प्रजातियां पौधों के वायरस ले जाती हैं जो अन्य बीमारियों के विकास को जन्म दे सकती हैं।}

Organic Solution:
हल्के जलसेक के लिए, एक कीटनाशक साबुन समाधान या संयंत्र तेलों पर आधारित समाधान, उदाहरण के लिए, नीम तेल (3 एमएल / एल) का उपयोग किया जा सकता है। प्रभावित पौधों पर पानी का एक स्प्रे भी उन्हें हटा सकता है।

Chemical solution:
बुवाई के बाद 30, 45, 60 दिनों में फ्लोनिकमिडियम और पानी (1:20) अनुपात के साथ स्टेम अनुप्रयोग की योजना बनाई जा सकती है। Fipronil 2 mL या thiamethoxam (0.2 g) या flonicamid (0.3 g) या acetamiprid (0.2 प्रति लीटर पानी) का भी उपयोग किया जा सकता है।

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Frequently Asked Question

लोबिया (चवला फली) की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु कौन सी है?

आप जानते है लोबिया की खेती के लिए गर्म व आर्द्र जलवायु उपयुक्त हे। तापमान 24-27 डिग्री से. के बीच ठीक रहता है । अधिक ठंडे मौसम में पौधों की बढ़वार रुक जाती है।

लोबिया (चवला फली) क्या है?

लोबिया एक पौधा है जिसकी फलियाँ पतली, लम्बी होती हैं। इनकी सब्ज़ी बनती है। इस पौधे को हरी खाद बनाने के लिये भी प्रयोग में लाया जाता है। लोबिया एक प्रकार का बोड़ा है। इसे 'चौला' या 'चौरा' भी कहते हैं।

लोबिया (चवला फली) की खेती में उर्वरक कितनी मात्रा में डालें?

लोबिया की खेती के लिए गोबर या खाद की 20-25 टन मात्रा बुवाई से 1 महीने पहले खेत में डाल दें। लोबिया एक दलहनी फसल है इसलिए नत्रजन की 20 कि.ग्रा. और पोटाश 50 कि.ग्रा. /हेक्टेयर खेत में अंतिम जुलाई के समय मिट्टी में मिला देना चाहिए और 20 कि.ग्रा. नत्रजन की मात्रा फसल में फूल आने पर प्रयोग करें।

क्या लोबिया के बीज से मानव स्वास्थ्य के फायदेमंद है?

लोबिया के बीज प्रोटीन और कैलोरी, साथ ही साथ खनिज और विटामिन का एक समृद्ध स्रोत प्रदान करते हैं। एक बीज में 25% प्रोटीन हो सकता है और इसमें वसा की मात्रा कम होती है। लोबिया स्टार्च अनाज से स्टार्च की तुलना में अधिक धीरे-धीरे पच जाता है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए अधिक फायदेमंद है। 

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