Tinda/Squash melon (टिंडा)

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Watering

Low

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Cultivation

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Harvesting

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Labour

Medium

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Sunlight

Low

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pH value

6 -7

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Temperature

10 - 28 °C

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Fertilization

NPK @ 40:20:20 Kg/Acre 90 kg/acre urea, SSP 125 kg/acre, muriate of potash 35 kg/acre

Tinda/Squash melon (टिंडा)

Tinda/Squash melon (टिंडा)

Basic Info

टिंडा कुकरबिटेसी (Cucurbitaceae) कुल परिवार की यह सब्ज़ी बहुत ही गुणकारी है। टिंडे को round melon, round gourd, Indian squash भी कहा जाता है| यह उत्तरी भारत की सबसे महत्तवपूर्ण गर्मियों की सब्जी है। टिंडे का मूल स्थान भारत है। इसके कच्चे फल सब्जी बनाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। इसके फल की औषधीय विशेषताएं भी हैं, सूखी खांसी और रक्त संचार सुधारने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। टिंडे की खेती उत्तरी भारत में, विशेषकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और आन्ध्रप्रदेश में की जाती है।

Seed Specification

बुवाई का समय
टिंडे की बुवाई का समय फरवरी-मार्च जायद के लिए और खरीफ की फसल के लिए जून-जुलाई में भी बोया जा सकता है।

दुरी
बीजों को क्यारियों के दोनों तरफ बोयें और 45 से.मी. दुरी का प्रयोग करें।

बीज की गहराई
बीजों को 2-3 से.मी. की गहराई में बोयें।

बुवाई का तरीका
बीजों को सीधे या समतल क्यारियों (मेड़) पर बोया जा सकता है।

बीज की मात्रा 
टिंडे की एक हेक्टेयर फसल की बुवाई के लिए 5 से 6 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है

बीज उपचार
रोग नियंत्रण के लिए बीजों को बोने से पूर्व बाविस्टीन या मैंकोजेब 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करके बोना चाहिए।

Land Preparation & Soil Health

खाद एवं रासायनिक उर्वरक
खेत तैयारी के समय कार्बनिक खाद  के रूप में गोबर की खाद 20-25 टन प्रति हेक्टेयर व 100 किलो ग्राम नाइट्रोजन, 50 किलो ग्राम फ़ोस्फोरस व 50 किलो ग्राम पोटाश की मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें। सम्पूर्ण गोबर की खाद, फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की 1/3 मात्रा को अंतिम जुताई के समय खेत में मिला देना चाहिए तथा शेष 2/3 नाइट्रोजन की मात्रा को दो बराबर भागों में बांटकर टापड्रेसिंग के रूप में प्रथम बार बुवाई के 25 से 30 दिन बाद तथा 40 से 45 दिन पर फूल आने के समय देना चाहिए।

Crop Spray & fertilizer Specification

टिंडा कुकरबिटेसी (Cucurbitaceae) कुल परिवार की यह सब्ज़ी बहुत ही गुणकारी है। टिंडे को round melon, round gourd, Indian squash भी कहा जाता है| यह उत्तरी भारत की सबसे महत्तवपूर्ण गर्मियों की सब्जी है। टिंडे का मूल स्थान भारत है। इसके कच्चे फल सब्जी बनाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। इसके फल की औषधीय विशेषताएं भी हैं, सूखी खांसी और रक्त संचार सुधारने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। टिंडे की खेती उत्तरी भारत में, विशेषकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और आन्ध्रप्रदेश में की जाती है।

Weeding & Irrigation

खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए समय-समय पर आवश्यकतना अनुसार निराई-गुड़ाई करना चाहिए।

सिंचाई
ग्रीष्म कालीन फसल की प्रति सप्ताह सिंचाई करें वर्षा कालीन फसल की सिंचाई वर्षा पर निर्भर रहती है | फूल एवं फलन के समय खेत में उचित नमी जरूरी है। वर्षाकालीन मौसम में जल निकास की उचित व्यवस्था आवश्यक है।

Harvesting & Storage

फसल की कटाई
किस्म के आधार पर बुवाई के 60 दिनों में फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। जब फल पक जाएं और मध्यम आकार के हो जायें तब तुड़ाई कर लें। 4-5 दिनों के फासले पर तुड़ाई करें।

उत्पादन
टिंडे की फसल का उत्पादन बीजों की गुणवत्ता, बुवाई का समय, भूमि की क़िस्म, जलवायु व ताप आदि पर निर्भर होता है, टिंडे की फसल से अनुकूल परिस्थितियों में फसल से प्रति हेक्टेयर 80 से 120 क्विंटल पैदावार मिल जाती है।

भंडारण
फल की तुड़ाई के बाद आवश्यकतानुसार फलों को किसी छायादार स्थान पर 2 से 3 दिन तक किसी टोकरी में रखकर भंडारित कर सकते हैं। इस दौरान फलों पर बीच-बीच में पानी का छिड़काव करना जरूरी होता है।

Crop Disease

Powdery Mildew

Description:
{संक्रमण आमतौर पर गोलाकार, ख़स्ता सफेद धब्बे के रूप में शुरू होता है जो पत्तियों, तनों और कभी-कभी फलों को प्रभावित कर सकता है| यह आमतौर पर पत्तियों के ऊपरी हिस्सों को कवर करता है लेकिन नीचे की तरफ भी बढ़ सकता है।}

Organic Solution:
सल्फर, नीम के तेल, काओलिन या एस्कॉर्बिक एसिड पर आधारित पर्ण स्प्रे गंभीर संक्रमण को रोक सकते हैं।

Chemical solution:
ख़स्ता फफूंदी के लिए अतिसंवेदनशील फसलों की संख्या को देखते हुए, किसी विशेष रासायनिक उपचार की सिफारिश करना कठिन है। गीला करने योग्य सल्फर(sulphur) (3 ग्राम/ली), हेक्साकोनाज़ोल(hexaconazole), माइक्लोबुटानिल (myclobutanil) (सभी 2 मिली/ली) पर आधारित कवकनाशी कुछ फसलों में कवक के विकास को नियंत्रित करते हैं।

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Downy Mildew (कोमल फफूंदी)

Description:
{अक्सर बारिश होने और गर्म तापमान (15-23 डिग्री सेल्सियस) के साथ छायांकित क्षेत्रों में यह बीमारी सबसे आम है। संक्रमित पौधे के मलबे या फफूंद में कवक मिट्टी में या वैकल्पिक मेजबानों पर हावी हो जाता है। अनुकूल परिस्थितियों में हवा और बारिश बीजाणुओं को फैलाती है।}

Organic Solution:
कार्बनिक पूर्व-संक्रमण कवकनाशक संदूषण से बचने में मदद कर सकते हैं जिसमें कॉपर-आधारित कवकनाशी शामिल हैं, जैसे बोर्डो मिश्रण।

Chemical solution:
Dithiocarbamates के परिवार के कवकनाशी का उपयोग किया जा सकता है। फोसिटाइल-एल्यूमीनियम, एजोक्सिस्ट्रोबिन, और फेनिलएमाइड्स (मेटलैक्सिल-एम) संक्रमण के बाद के कवक हैं जिनका उपयोग किया जा सकता है।

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