Brinjal (बैंगन)

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Sunlight

Low

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pH value

5.5 - 6.5

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Temperature

15 -32°C

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Fertilization

NPK @ 25:25:12 Kg/Acre 55 kg/acre urea, SSP 155kg/acre, muriate of potash 20kg/acre

Brinjal (बैंगन)

Basic Info

भारत में विभिन्न प्रकार की सब्जियों को उगाया हैं, जिनमें एक बैंगन हैं। बैंगन भारत में ही पैदा हुआ और आज आलू के बाद दूसरी सबसे अधिक खपत वाली सब्जी है। भारत चीन के बाद दूसरा सबसे अधिक बैंगन उगाने वाला देश है। यह देश में 5.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में उगाया जाता है। हमारे देश के अलावा भी यह अन्य कई देशों की प्रमुख सब्जी की फसल है। बैंगन में विटामिन ए तथा बी के अलावा कैल्शियम, फ़ॉस्फ़रस और लोहे जैसे खनीज भी होते है। बैंगन की खेती पुरे वर्ष की जा सकती है, बैंगन की फसल बाकी फसलों से ज्यादा सख्त होती है। इसके सख्त होने के कारण इसे शुष्क या कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता हैं। भारत देश में बैंगन उगाने वाले मुख्य राज्य मध्यप्रदेश, पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, कर्नाटक, बिहार, महांराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान हैं।

Seed Specification

बुवाई का समय
बैंगन की खेती के लिए बैंगन की बुवाई पुरे वर्ष भर में किसी भी समय की जा सकती हैं।
वर्षाकालीन समय- नर्सरी तैयार करने का समय फरवरी से मार्च और मुख्य खेत में रोपाई का समय मार्च से अप्रेल उचित है।
शरदकालीन समयनर्सरी तैयार करने का समय जून से जुलाई और मुख्य खेत में रोपाई का समय जुलाई से अगस्त उचित है।
बसंतकालीन समय- नर्सरी तैयार करने का समय दिसम्बर और मुख्य खेत में रोपाई का समय दिसम्बर से जनवरी उचित है।

दूरी
लाईन से लाईन की दूरी 60 से 70 सेंटीमीटर और लाईन में पौधे से पौधे की दूरी 60 सेंटीमीटर रखें।

गहराई
नर्सरी में बीज की बुवाई 1 से 1.5 सेन्टीमीटर की गहराई पर करें।

बुवाई का तरीका
बैंगन की खेती के लिए पौधरोपण हेतु बीजों द्वारा नर्सरी तैयार की जाती हैं।

नर्सरी तैयार करने का तरीका
एक हैक्टेयर की पौध तैयार करने के लिये एक मीटर चौडी और तीन मीटर लम्बी करीब 15 से 20 क्यारियों की आवश्यकता होती है। बीज की 1 से 1.5 सेन्टीमीटर की गहराई पर, 3 से 5 सेन्टीमीटर के अन्तर पर कतारों में बुवाई करें और बुवाई के बाद गोबर की बारीक खाद की एक सेन्टीमीटर मोटी परत से ढक दें तथा फव्वारें से सिंचाई करें। 

बीज की मात्रा
एक हैक्टेयर में पौध रोपाई के लिये 500-750 ग्राम बीज और हाइब्रिड बीज की मात्रा 250 ग्राम/हेक्टेयर की आवश्यकता होती है।

बीज का उपचार
नर्सरी में बीज बुवाई से पहले बीजों को थीरम 3 ग्राम या कार्बेनडाज़िम 3 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचार करें।

Land Preparation & Soil Health

खाद एवं रासायनिक उर्वरक
बैंगन की खेती में मिट्टी की जांच के अनुसार खाद और उर्वरक डालनी चाहिए। अगर मिट्टी की जांच नहीं हो पाती है तो खेत तैयार करने समय 20-30 टन/हेक्टेयर  गोबर की सड़ी खाद मिट्टी में मिला देनी चाहिए। इसके बाद प्रति हेक्टेयर में 200 किलो ग्राम यूरिया, 370 किलो ग्राम सुपर फॉस्फेट और 100 किलो ग्राम पोटेशियम सल्फेट का इस्तेमाल करना चाहिए।

Crop Spray & fertilizer Specification

भारत में विभिन्न प्रकार की सब्जियों को उगाया हैं, जिनमें एक बैंगन हैं। बैंगन भारत में ही पैदा हुआ और आज आलू के बाद दूसरी सबसे अधिक खपत वाली सब्जी है। भारत चीन के बाद दूसरा सबसे अधिक बैंगन उगाने वाला देश है। यह देश में 5.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में उगाया जाता है। हमारे देश के अलावा भी यह अन्य कई देशों की प्रमुख सब्जी की फसल है। बैंगन में विटामिन ए तथा बी के अलावा कैल्शियम, फ़ॉस्फ़रस और लोहे जैसे खनीज भी होते है। बैंगन की खेती पुरे वर्ष की जा सकती है, बैंगन की फसल बाकी फसलों से ज्यादा सख्त होती है। इसके सख्त होने के कारण इसे शुष्क या कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता हैं। भारत देश में बैंगन उगाने वाले मुख्य राज्य मध्यप्रदेश, पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, कर्नाटक, बिहार, महांराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान हैं।

Weeding & Irrigation

खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार समय-समय पर निराई-गुड़ाई करना चाहिए।

सिंचाई
बैंगन के पौधों  की अच्छी बढ़वार लिए सिंचाई की अधिक आवश्यकता होती हैं, पौधरोपण के तुरंत बाद सिंचाई करना चाहिए। गर्मी के मौसम में हर 3-4 दिन बाद पानी देना चाहिए और सर्दियों में 12 से 15 के अंतराल में पानी देना चाहिए। कोहरे वाले दिनों में फसल को बचाने के लिए मिट्टी में नमी बनाए रखें और लगातार पानी लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बैंगन की फसल में पानी खड़ा न हो, क्योंकि बैंगन की फसल खड़े पानी को सहन नहीं कर सकती है। उत्तम सिंचाई के लिए ड्रीप सिंचाई पद्धति का प्रयोग करें।

Harvesting & Storage

फसल की कटाई
खेत में बैंगन की पैदावार होने पर फलों की तुड़ाई पकने से पहले करनी चाहिए। तुड़ाई के समय रंग और आकार का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बैंगन का मंडी में अच्छा रेट मिले इसके लिए फल का चिकना और आकर्षक रंग का होना चाहिए।

भंडारण
बैंगन को लंबे समय के लिए भंडारण नहीं किया जा सकता है। बैंगन को आम कमरे के सामान्य तापमान में भी ज्यादा देर नहीं रख सकते हैं क्योंकि ऐसा करने से इसकी नमी खत्म हो जाती है। हालांकि बैंगन को 2 से 3 सप्ताह के लिए 10-11 डिग्री सेल्सियस तापमान और 92 प्रतिशत नमी में रखा जा सकता है। किसान भाई बैंगन को कटाई के बाद इसे सुपर, फैंसी और व्यापारिक आकार के हिसाब से छांट लें और पैकिंग के लिए, बोरियों या टोकरियों का प्रयोग करें।

उत्पादन
बैंगन की खेती में उत्पादन मौसम, विविधता से विविधता और स्थान से स्थान तक भिन्न होती है। तथापि, सामान्य तौर पर बैंगन के स्वस्थ फलों की 250 से 500 क्विंटल/हेक्टेयर प्राप्त की जा सकती हैं।



Crop Disease

Asphid ( असफ़िद)

Description:
{वर्षा कम होने पर इसका संक्रमण अधिक होता है। ये काले रंग के छोटे छोटे कीड़े होते हैं जो पौधों को चूसते और पीला करते हुए चूसते हैं। वे पौधे पर एक चिपचिपा द्रव (हनीड्यू) स्रावित करते हैं, जो एक कवक द्वारा काला हो जाता है।}

Organic Solution:
कोकोसिनेला शिकारियों जैसे कोसीसिल्ला सेज़्प्टम्पुक्टेटा, मेनोचाइल्स सेक्समेकुलता एफिड की आबादी को कम करने में प्रभावी होगा।

Chemical solution:
जैसे ही लक्षण दिखते हैं, इसे rogor @ 300ml / एकड़ या Imidacloprid 17.8% SL @ 80 मिली / एकड़ या मिथाइल डेमेटन 25% EC @ 300 ml / एकड़ के छिड़काव से नियंत्रित किया जा सकता है।

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Powdery Mildew

Description:
{रोग मिट्टी और बीज दोनों जनित है। प्राथमिक प्रसार मिट्टी और बीज के माध्यम से होता है, द्वितीयक प्रसार हवा, बारिश के छींटे के माध्यम से कोनिडिया के फैलाव द्वारा होता है।}

Organic Solution:
सल्फर, नीम के तेल, काओलिन या एस्कॉर्बिक एसिड पर आधारित पर्ण स्प्रे गंभीर संक्रमण को रोक सकते हैं।

Chemical solution:
यदि उपलब्ध हो तो हमेशा जैविक उपचार के साथ निवारक उपायों के साथ एक एकीकृत दृष्टिकोण पर विचार करें। ख़स्ता फफूंदी के लिए अतिसंवेदनशील फसलों की संख्या को देखते हुए, किसी विशेष रासायनिक उपचार की सिफारिश करना कठिन है। गीला करने योग्य सल्फर(sulphur) (3 ग्राम/ली), हेक्साकोनाज़ोल(hexaconazole), माइक्लोबुटानिल (myclobutanil) (सभी 2 मिली/ली) पर आधारित कवकनाशी कुछ फसलों में कवक के विकास को नियंत्रित करते हैं।

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Helicoverpa Caterpillar

Description:
{क्षति हेलिकोवर्पा आर्मिगेरा के कैटरपिलर के कारण होती है, जो कई फसलों में एक आम कीट है। एच. आर्मिगेरा सबसे अधिक में से एक कृषि में विनाशकारी कीट। पतंगे हल्के भूरे रंग के होते हैं, जिनका पंख 3-4 सेंटीमीटर लंबा होता है। वे आम तौर पर पीले से नारंगी या भूरे रंग के होते हैं गहरे रंग के पैटर्न के साथ धब्बेदार फोरविंग्स।}

Organic Solution:
स्पिनोसैड पर आधारित जैव कीटनाशकों का प्रयोग करें, लार्वा को नियंत्रित करने के लिए न्यूक्लियोपॉलीहेड्रोवायरस (एनपीवी), मेटारिज़ियम एनिसोप्लिए, ब्यूवेरिया बेसियाना या बैसिलस थुरिंगिएन्सिस। (spinosad, nucleopolyhedrovirus (NPV), Metarhizium anisopliae, Beauveria bassiana or Bacillus thuringiensis)

Chemical solution:
क्लोरेंट्रानिलिप्रोल, क्लोरोपाइरीफोस पर आधारित उत्पाद, साइपरमेथ्रिन, अल्फा- और ज़ेटा-साइपरमेथ्रिन, एमेमेक्टिन बेंजोएट, एस्फेनवालेरेट, फ्लुबेंडियामाइड, या इंडोक्साकार्ब (chlorantraniliprole, chloropyrifos, cypermethrin, alpha- and zeta-cypermethrin, emamectin benzoate, esfenvalerate, flubendiamide, or indoxacarb ) का उपयोग किया जा सकता है (आमतौर पर @ 2.5 मिली/ली.)

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