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Kota



खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (Ministry of Food Processing Industries) ने नेफेड (NAFED) के सहयोग से राजस्थान के कोटा जिले के किसानों और सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों के साथ एक वर्कशॉप का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पीएमएफएमई योजना के ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर सूक्ष्म खाद्य उद्यमियों को संवेदनशील बनाना और नेफेड के तहत ओडीओपी आधारित ब्रांड ‘कोरीगोल्ड’ को विशेष रूप से विकसित करना था। कोरीगोल्ड ब्रांड के तहत धनिया पाउडर और धनिया की चटनी उत्पाद बनाने का उद्देश्य है।

वैसे तो धनिया सब्जी का जायका बढ़ाता है तो वहीं चटनियों में इसका स्वाद तीखेपन को दूर करता है। इतना ही नहीं धनिया हम भारतीय के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है।
चाहें सूखा धनिया हो या फिर हरी ताज़ा पतियों वाला धनिया। यदि हम मांसाहारी भोजन की बात करे तो गंध को खुशबू में तब्दील करने का भी काम करता है धनिया। धनिये का प्रयोग तो वैसे मसालों में विशेषकर होता है लेकिन क्या आपको पता है कि धनिये से तेल भी निकलता है, जो विशेष रूप से पेट सम्बंधित रोगों के रूप में निर्मित होने वाली दवाइयों में भी काम में लिया जाता है। 

राजस्थान के कोटा जिले के रामगंजमंडी में स्थित ये मंडी एशिया की नंबर वन धनिया मंडी है। अगर धनिये को इस शहर की लाइफलाइन भी कहा जाएं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। 

रामगंज मंडी (Ramganj Mandi) भारत के राजस्थान राज्य के कोटा ज़िले में स्थित एक नगर है। यहाँ धनिया के बीज की सबसे बड़ी मंडी है, और सही मौसम में रोज़ 6500 टन बीज बिकने के लिए आता है।

कृषि विभाग की प्रमुख सचिव नीलकमल दरबारी ने बताया कि धनिया का सबसे ज्यादा उत्पादन कोटा, बूंदी, बारां एवं झालावाड़ में होता है। यहां अधिक ऑयल कंटेंट वाली धनिये की नई किस्म उत्पन्न करने के भरपूर अवसर उपलब्ध है। धनिया के भंडारण तथा पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट में काफी संभावनाएं हैं। इसी प्रकार से फार्मास्युटिकल्स इंडस्ट्री, जिनमें धनिया इंग्रेडिएंट के रूप में उपयोग में लिया जाता है, के लिए यहां व्यापक अवसर है।

जलवायु की अनुकूलता और प्रचुर पानी की उपलब्धता के चलते हाड़ौती में उत्पादित धनिया ना सिर्फ दक्षिण भारतीय राज्यों बल्कि यूरोप से लेकर गल्फ देशों तक में बाजार बना चुका है, लेकिन खुशबू और स्वाद के मामलों में मसालों के राजा धनिये की महक बरकरार रखने के लिये कोटा संभाग में धनिये के घटते रकबे को बढ़ाने की चुनौती से पार पाना ही होगा. साथ ही धनिया किसान तक उसकी उपज का वाजिब दाम पहुंचाना और स्थानीय प्रोसेसिंग प्लांट्स (Local processing plants) को स्थापित करना प्राथमिकता है।

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