One District One Product- Fazilka

Fazilka


फाज़िल्का ज़िला भारत के पंजाब राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय फाज़िल्का है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण सूक्ष्म इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के इकाईयों को एकत्र कर उन्हें आर्थिक और विपणन की दृष्टि से मजबूत किया जाएगा। 

किन्नू को किया गया चयनित
एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत जिले को खाद्य सामग्री में किन्नू के लिए चयनित किया गया है। जिसकी यूनिट लगाने पर मार्केटिग, पैकेजिग, फाइनेंशियल मदद, ब्रांडिग की मदद इस योजना के अंतर्गत किसानों को मिलेगी।

फाजिल्का जिले में अबोहर के किन्नू की हिदुस्तान ही नहीं बल्कि विदेशों में भी एक अलग पहचान बन चुकी है। इस क्षेत्र का किन्नू भारत के विभिन्न राज्यों आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिमी बंगाल व गुजरात में जाता है। फाजिल्का जिले में लगभग 40 वैक्सिग प्लांट हैं जहां पहले किन्नू साफ कर उस पर वैक्स लगाई जाती है।

किन्नू का इतिहास, पंजाब तथा फाजिल्का क्षेत्र में आमद 
किन्नू संतरे की किंग तथा विलोलीफ किस्मों की हाइब्रिड है जो 1935 में कैलीफोर्निया, अमरीका में विकसित हुआ था। इसका नाम किन्नू संतरे की किंग वैरायटी के प्रथम 3 अक्षरों के.आई.एन. तथा विलोलीफ के अक्षर ओ.डब्ल्यू. को जोड़ कर बना। पंजाब में सबसे पहले इसका पौधा तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों लाए थे। 4 दशक पूर्व फाजिल्का-अबोहर में किन्नू के बाग लगाने की शुरूआत अबोहर से अपना राजनीतिक करियर शुरू करने वाले भारत के पूर्व कृषि मंत्री तथा लोकसभा के स्पीकर रहे कृषि पंडित की उपाधि से विभूषित दिवंगत चौ. बलराम जाखड़ ने की। अबोहर में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय का रिजनल फ्रूट रिसर्च सैंटर तथा बागवानी विभाग ने इस क्षेत्र में इस फल को बढ़ावा देने में अपना योगदान डाला। 

कब व किस प्रकार होती है किन्नू की पैदावार
किन्नू के पौधे लगाने का समय प्राय: जुलाई तथा अगस्त मास का होता है। किन्नू का पौधा लगाने के 3 वर्ष उपरांत फल देना शुरू करता है। शुरू के दौर में पौधों पर फल कम लगने के कारण आय कम होती है जोकि कुछ वर्षों उपरांत बढ़ जाती है। किन्नू के पौधे की आयु प्राय: 30 से 35 वर्ष तक होती है। फल देने वाले पौधों पर मार्च-अप्रैल में फूल लगने के बाद फल लगना शुरू हो जाता है।

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