पानीपत। एक समय था जब पहले कहते थे कि यमुना नदी की रेती न कुछ लेती और न कुछ देती। मगर अब यह कहावत अलग हो गई है कि यमुना नदी की रेती सोना देती है। एक तरफ अब यमुना नदी के अंदर निकलने वाले रेत का भाव बहुत हो गया है।
वही इस यमुना नदी के साथ लगते गांवों में नदी में पानी का जल स्तर अच्छा होने पर नदी की रेतीली भूमि सोना उग रही है। अब बाजार में यमुना नदी तलहटी की लीची छाई हुई है। एक समय था जब बाजार में बिहार, देहरादून, मुजफ्फरपुर की लीची पूरी तरह से फ्रूट बाजार में छाई हुई थी मगर अब यमुना नदी के साथ लगते गांव सनौली खुर्द में लगे बाग की लीची बाजार में छाई हुई है। जिस की अन्य प्रदेशों से पानीपत के बाजार मे बिकने आ रही लीची से अधिक मांग है।
मिठास है अधिक
इस लीची में मिठास तो अधिक है ही वही लीची के अंदर गुठली पतली व गुदा अधिक होने पर रस अधिक निकलता है। यमुना नदी के रेतीली भूमि क्षेत्र की लीची का अन्य प्रदेशों की लीची से बाजार में अधिक भाव पर बिक रही है । इसको आढ़ती भी जोर शोर से ग्राहकों से खरीदवाने का दम भरते है । क्योंकि इस लीची की अन्य लीचियों से कई तरह की विशेषताएं है । इस लीची को देखते ही ग्राहक खरीद लेता है । यमुना तलहटी की लीची का अन्य प्रदेशों की लीची से अधिक भाव पर बिकने का कई कारण है । इसे लीची मे मिठास अधिक है । और छोटी सी गुठली व गुदा अधिक निकलता है ।
80 से 100 रू. प्रति केजी है भाव
बाजार में बाहर से आई लीची थोक में 50-60 रुपए प्रति किलोग्राम के लगभग भाव में बिकती है जबकि यमुना नदी तलहटी की लीची 80-100 रुपए किलो भाव मे आसानी से बिक जाती है और वैसे बाजार में दुकानदार इसे 150 किलोग्राम के भाव से बेच रहे है । लीची बाग के मालिक ओमप्रकाश त्यागी का कहना है कि यमुना नदी क्षेत्र में लगी लीची कम समय में तैयार हो जाती है । जिस पर दूसरे वर्ष के बाद लीची लगनी शुरू हो जाती है । एक एकड़ भूमि में लगाए गए लीची के बाग में करीब 40 के लगभग पेड़ लगाने में बीस हजार रुपए खर्च करने के बाद प्रति वर्ष एक पेड पर दो से ढाई क्विंटल लीची लगती है जिसमें एक पेड से 14 हजार रुपए व एक एकड़ मे चार लाख रुपए की लीची आराम से निकल जाती है। उन्होंने बताया कि इस लीची का अन्य लीचियों से कोई मुकाबला नहीं है । इस बारे ओमप्रकाश त्यागी के बेटे सुधीर त्यागी ने बताया कि इस बाग की लीची का पानीपत की मंडी व आढ़तियों में अलग पहचान है । मंडी मे लीची पहुंचते ही अन्य लीचियों से अधिक भाव में लीची खरीदने वाले आ जाते है । और हाथों हाथ कुछ ही पल में खरीद कर चले जाते है । दूर-दूर से लोग बाग में स्पेशल लीची खाने आते है ।