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डुमरिया/जमशेदपुर. पूर्वी सिंहभूम के डुमरिया मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर पहाड़ की गोद में बसे बारुनिया के ग्रामीण अपने खून पसीने से अपनी तकदीर लिख रहे हैं। इन्हें न तो कोई सरकारी मदद मिली है और न ही किसी एनजीओ से ट्रेनिंग। एक पहल पर चले दर्जनों ग्रामीण और बदल ली अपनी तकदीर। बारुनिया के ग्रामीण नींबू की खेती करके आज लखपति बन गए हैं। लेकिन इसके लिए इन किसानों ने पहाड़ खोदकर एक तरह से सोना उपजाने का काम कर रहे हैं।
स्व. आरके महतो ने की थी शुरुआत
गांव में सबसे पहले स्व. राज किशोर महतो ने लगभग तीस साल पहले नींबू की खेती की शुरुआत की। कंधे पर टीना से पानी ढोकर पौधों को जीवित रखे। कड़ी मेहनत का फल तीन साल बाद मिलना शुरू हो गया। उस समय उन्हें तीन से पांच हजार की कमाई होती थी। अब यह कमाई लाखों में पहुंच गई है।
गांव में चेकडैम भी नसीब नहीं
गांव के हीरामनी महतो के बगीचे में लगभग 500 नींबू के पेड़ लगे हुए हैं। सभी में भरपूर नींबू लटक रहे हैं। इससे पांच से छह लाख की कमाई होगी। यह पेड़ उसके ससुर कार्तिक महतो व पति कामेश्वर महतो ने लगाया है। बारुनिया गांव के किसानों को इसके लिए कोई सरकारी मदद नहीं मिली है। गांव को एक चेकडैम भी नसीब नहीं हुआ।
नीबू के लिए उपयुक्त है जमीन
बारुनिया में किसान नींबू की बेहतरीन खेती कर रहेे हैं। सरकार की ओर से अब तक उन्हें किसी तरह की मदद नहीं दी गई है। किसानों को प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया है। वहां की भूमि नींबू उत्पादन के लिए उपयुक्त है। किसान चाहें तो उन्हें आधुनिक खेती के बारे में जानकारी दी जाएगी।
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