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1. मानसून का आगमन हो चुका है। अतः सोयाबीन की बौवनी समयानुसार जल्द से जल्द करें।
2. रोगो की रोकथाम हेतु अनुशंसित फफूंदनाशक, थाइरम कार्बेन्डाजिम 2:1 अनुपात में अथवा थाइरम + कार्बोक्सीन 3 ग्राम / किलोग्राम जैविक फफूंदनाशक ट्राइकोडर्मा 10 ग्राम / किलोग्राम बीज की दर से उपचार करें। तत्पश्चात कीटनाशक थायोमिथाक्सम 30 एफ.एस. (10 मि.ली/कि.ग्रा बीज) या इमिडाक्लोप्रिड 48 एफ़.एस. (1.2 मि.ली. /कि.ग्रा बीज) से बीज को उपचारित कर बौवनी करें।
3. बोवनी के तुरंत बाद एवं सोयाबीन के अंकुरण पूर्व खरपतवारनाशक जैसे डाइक्लोसूलम 26 ग्रा/हे. अथवा सल्फेन्ट्राझोन 750 मि.ली. /हे. अथवा पेंडीमिथलीन 3.25 ली./ हे. की दर से छिड़काव करें।
4. जहा पर सोयाबीन अंकुरित हो चुकी है वह पर नीला भृंग किट के प्रकोप होने की सम्भावना है। अतः प्रकोप होने पर क्विनॉलफ़ांस 1.5 ली./हे. की दर से छिड़काव कर कीट का नियंत्रण करें।
5. विगत वर्ष जिन स्थानों पर सोयाबीन की फसल पर व्हाइट ग्रब (सफ़ेद सुंडी) का प्रकोप हुआ था। वह के किसान विशेष ध्यान दे एवं निम्न कार्य करें-व्हाइट ग्रब के वयस्को को एकत्र कर नष्ट करने के लिए प्रकाश जाल अथवा फीरोमोन ट्रेप का प्रयोग करें। बोवाई से पूर्व इमिडाक्लोप्रिड 48 एफ.एस. (1.25 मि. ली. प्रति किलो बीज) से बीजोपचार अवश्य करें।
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