Vikas Singh Sengar
13-12-2022 12:50 PMविकास सिंह सेंगर1, अमित सिंह2, निशा3, प्रियदर्शी मनीष4 और अभिलाष सिंह1
1. असिस्टेंट प्रोफेसर, शिवालिक इंस्टिट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज, देहरादून ।
2. असिस्टेंट प्रोफेसर, महर्षी मारकंडेश्वर (डीम्ड) यूनिवर्सिटी मुलाना हरियाणा
3. कीट विज्ञान , श्री राम जानकी महाविधालय, रामनगर, अमौसूफी, अयोध्या, यू० पी ०।
4. फार्म मैनेजर, शिवालिक इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज, देहरादून ।
खेत की तैयारी:
जुताई: 3 से 4 जुताई आवश्यक होती हैं। या जब मिट्टी अच्छी तरह से भुरभुरी हो जाने तक जुताई करते रहना चाहिए। ये भूमि के प्रकार पर निर्भर करता है।
खाद एवम उर्वरक:
250 से 300 क्विंटल गोबर की खाद, 25 kg नाइट्रोजन, 50 kg फॉस्फोरस व 60 kg पोटाश प्रति हैक्टेयर। प्रथम कटाई के बाद 20 kg नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर की दर से नाइट्रोजन डालने ऊपज बहुत अच्छी होती है।
उन्नत किस्म :
बीज की दर:
25 से 30 kg प्रति हेक्टेयर , बीज से बीज की दूरी 5 से 10 से.मी. रखनी आवश्यक है।
सिंचाई:
ड्रिप सिंचाई पालक के लिए अच्छी मानी जाती है। जहां पर ड्रिप सिंचाई की सुविधा नि है वहां पर 4 से 5 दिन के अंतराल पर गर्मियों में और 10 से 15 दिन के अंतराल पर सर्दियों में सिंचाई कर देना चाहिए। ज्यादा सिंचाई से बचना चाहिए जब खेत में पर्याप्त नमी न हो तभी सिंचाई करना चाहिए
निराई-गुडाई:
बीज बोने के 18 से 20 दिन बाद या पहली सिंचाई के बाद निराई गुड़ाई करना अतिआवस्यक है। और समय समय पर खेत की देखभाल करते रहना चाहिए। अगर ज्यादा खरप्तवार खेत में नजर आए तो निराई गुड़ाई करना अवयस्क है यदि ज्यादा खरपतवार होगे खेत में तो वहां पर कीटो का प्रकोप ज्यादा होता है। इसीलिए समय समय निराई गुड़ाई करते रहना चाहिए।
कटाई :
कटाई का समय किस्म, बुवाई का तरीका एवं जलवायु पर निर्भर करता है। आमतौर पर जब पत्तियां 20 से 25 सेंटीमीटर की हो जाए तो कटाई कर लेना चाहिए या फिर बुवाई के 25 से 28 दिन बाद कटाई कर लेना चाहिए। कटाई करते समय इस बात का ध्यान रखना नितांत आवश्यकता कि कटाई पौधे की जड़ों से 5 /6 सेंटीमीटर छोड़कर करना चाहिए जिससे की अगली कटाई जल्दी हो सके। हमेशा कटाई के बाद उचित मात्रा में नाइट्रोजन डालना भी अतिआवश्यक है। जिससे अगली कटाई और भी जल्दी हो सके। इस प्रकार पालक को एक फसल में 8 से 10 बार काटा जा सकता है। पालक की 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की ऊपज आसानी से ली जा सकती है।
आय एवम व्यय:
व्यय (₹ प्रति हेक्टेयर)
आय:
एक हेक्टेयर में लागत ₹ 37000 से 40500 तक लागत लगती है। तथा एक हेक्टेयर में लगभग 200 से 250 क्विंटल पैदावार होती है। जिसका भाव ₹15 से 20 प्रति किलो, मार्केट में आसानी से मिल जाता है। तो इस प्रकार एक से सकल आय 250000 से 300000 तक हो जाती है तथा शुद्ध लाभ ₹200000 और ₹250000 तक हो जाती है। लेकिन पालक की फसल से आय मार्केट रेट और पूर्ति पर निर्भर करता है। मार्केट में मांग अच्छी है तो किसानों को काफी अच्छा मुनाफा मिल जाता है। अगर किन्हीं कारणों से मार्केट में पूर्ति ज्यादा है और मांग कम तो किसानों की आय पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। इसीलिए किसानों को इस बात का ध्यान रखना होता है कि वो अपनी फसल को ऐसे मार्केट में पूर्ति करे जहां पर फसल को अच्छी कीमत मिल सके और ज्यादा से ज्यादा फायदा हो।
Smart farming and agriculture app for farmers is an innovative platform that connects farmers and rural communities across the country.
© All Copyright 2024 by Kisaan Helpline