Sanjay Kumar Singh
22-10-2022 12:36 PMडॉ. एसके सिंह
प्रोफेसर सह मुख्य वैज्ञानिक( प्लांट पैथोलॉजी)
एसोसिएट डायरेक्टर रीसर्च
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय
पूसा , समस्तीपुर बिहार
बैंगन एवं टमाटर में लगने वाला बैक्टीरियल विल्ट रोग एक जीवाणु राल्सटोनिया (स्यूडोमोनास) सोलानेसीरम नामक जीवाणु के कारण होता है। इस जीवाणु के कारण 33 पौधों के फैमिली के 200 से अधिक पौधों की प्रजातियों की एक विस्तृत श्रृंखला इस रोग से प्रभावित होती है। सोलानेसी फैमिली के अन्य पौधे जैसे टमाटर, आलू, बैंगन और तंबाकू अतिसंवेदनशील पौधों में से हैं। जब 86-95 डिग्री फारेनहाइट की गर्मियों में, फल देने वाले पौधे ज्यादा प्रभावित होते हैं। दोपहर के समय जब तापमान अधिकतम होता है उस समय पूरा पौधा या पौधे का कोई हिस्सा मुरझाया हुआ दिखाई देता है, और जब अगले दिन सुबह देखेंगे तो वह स्वस्थ दिखेगा। इस पर अक्सर ध्यान नहीं जाता। इसके तुरंत बाद, पूरा पौधा अचानक मुरझा जाता है और मर जाता है। ऐसे नाटकीय लक्षण तब होते हैं जब मौसम गर्म होता है (86-95 डिग्री फारेनहाइट), और मिट्टी में नमी भरपूर होती है। कम अनुकूल परिस्थितियों में, विल्ट की गति धीमी होती है, और कई जड़ें अक्सर निचले तनों पर बनती हैं। दोनों ही मामलों में, एक भूरे रंग का मलिनकिरण मौजूद रहता है। जड़ें क्षय की अलग-अलग डिग्री प्रदर्शित करेंगी।
रोगज़नक़ रोपण के समय, खेती के माध्यम से या नेमाटोड या कीड़ों द्वारा किए गए घावों के माध्यम से जड़ों में प्रवेश करता है। जड़ उभरने से बने प्राकृतिक घाव भी प्रवेश के बिंदु हैं। बैक्टीरिया संवहनी प्रणाली में बहुगुणित होते है अंततः बैक्टीरिया कोशिकाओं के कारण भोजन एवं पानी का संचालन बुरी तरह से प्रभावित होता हैं।
बैक्टीरियल विल्ट रोग का प्रबंधन कैसे करे?
पौधों के मरने के बाद, सड़ी हुई जड़ों और तनों से जीवाणु मिट्टी में निकल जाते हैं, इसलिए संक्रमित पौधों को तुरंत हटा दें। यह बहते पानी और संक्रमित मिट्टी से आस-पास के क्षेत्रों में फैलता है। मेजबान पौधों की अनुपस्थिति में भी, जीवाणु मिट्टी में लंबे समय तक जीवित रहता है। रोग से ग्रसित खेत में कम से कम 3 वर्षों के लिए टमाटर, मिर्च, बैंगन, आलू, सूरजमुखी इत्यादि को नही लगाए। रोगरोधी प्रजातियों को लगाए। बगीचे के अन्य हिस्सों में प्रसार को कम करने के लिए, जब तक कि संक्रमित क्षेत्र खत्म न हो जाएं और जुताई के बाद यंत्रों को अच्छी तरह से धो लें। बीमारी से बचने का एक वैकल्पिक तरीका है कि कंटेनरों में में बैगन ,टमाटर लगए।
रोपण से पहले सीडलिंग को ब्लाइटॉक्स 50 की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में एवं स्ट्रेप्टोसाइकिलिन की 1 ग्राम मात्रा को प्रति 3 लीटर पानी के घोल में डूबा कर रोपण करना चाहिए एवं रोग के शुरुवाती लक्षणों के दिखाई देते ही इसी घोल से आसपास की मिट्टी को खूब अच्छी तरह से भींगा देना चाहिए 10 दिन के बाद पुनः दुहराए।
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