Basic Info
जैसे की आप जानते है सागवान एक अच्छी क्वालिटी कठोर लकड़ी की प्रजाति है जो ज्यादातर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती है। यह भारत में सबसे मूल्यवान और उच्च कीमत वाली लकड़ी की फसलों में से एक है। यह एक पर्णपाती, बड़ा पेड़ है जो ऊंचाई में 30 से 40 मीटर तक लंबे समय तक बढ़ता है। सागवान की लकड़ी पीले भूरे रंग की होती है और जैसे जैसे पेड़ पुराने होते जाते हैं वैसे वैसे अंधेरा होता जाता है; एक नई कटी हुई लकड़ी से चमड़े की तरह गंध आती है। सागौन का पेड़ एक लंबा सदाबहार पेड़ होता है, जो तंबाकू के पत्ते की तरह बड़े पत्ते का उत्पादन करता है। सागौन के पेड़ या टीक वुड को कई अन्य नामों से पुकारा जाता है जैसे कि बर्मा टीक, रंगून सागौन, शक, सान्वान की लकड़ी, मौलमीन सागौन, टिक्का, अफ्रीकी सागौन (अफ्रोमोसिया), ब्राजील के सागौन (कुमेरू), क्युन, रोजावा, और मैसाक।भारत में सागवान की खेती पहली बार 1842 में लायी गई और चाटू मेनन को भारती टीक की खेती के पिता के तौर पर जाना जाता हैं| यह सबसे महत्तवपूर्ण दृढ़ लकड़ी है और इसका प्रयोग फर्नीचर, प्लाइवुड, कंस्ट्रक्शन के लिए प्रयोग किये जाने वाले बढ़े खम्भे और जहाज निर्माण के लिए किया जाता है।
Seed Specification
बुवाई का समय
बीजों को नर्सरी बैड में बोया जाता है। रोपाई के लिए 12-15 महीने के नए पौधों का प्रयोग करें। टिशू प्रजनन ग्राफ्टिंग, जड़, तने काट कर और micro छोटे प्रजनन द्वारा किया जाता है। रोपाई के लिए पूर्व अंकुरन पौधों का प्रयोग किया जाता है। मॉनसून का मौसम सागवान की रोपाई के लिए सबसे अच्छा मौसम होता है।
दुरी
रोपाई के लिए 2x2 या 2.5x2.5 या 3x3 मीटर की दुरी रखी जाता है। जब अंतर-फसली अपनाई हो, तो 4x4 मीटर या 5.x5 मीटर की दुरी रखें।
बीज की गहराई
सागवान की रोपाई के लिए पूर्व अंकुरित पौधों का प्रयोग करें। 45x45x45 सैं.मी. के गड्ढे बनाएं। प्रत्येक गड्ढे में गली हुई रूड़ी की खाद और मिट्टी डालें।
बुवाई का तरीका
बुवाई पंक्ति में, छींटे द्वारा या पनीरी लगाकर की जा सकती है।
बीज की मात्रा
एक एकड़ में रोपाई के लिए लगभग 1500-1800 clones का प्रयोग करें। तथा एक एकड़ में 400 से 600 पौधे लगा सकते हैं।
बीज का उपचार
सागवान वृक्ष के फल का छिल्का मोटा और सख्त होता है, इसलिए नर्सरी में बुवाई से पहले सागवान के बीजों की अंकुरन प्रतिशतता बढ़ाने के लिए बीजों का पूर्व उपचार किया जाता है। फलों को भिगोने और सुखाने के लिए पूर्व उपचार का पारंपरिक ढंग प्रयोग किया जाता है। इस विधि में बीजों को 12 घंटे के लिए पानी में भिगोया जाता है और फिर 12 घंटे के लिए धूप में सुखाया जाता है। यह प्रक्रिया 10-14 दिनों तक बार बार दोहराई जाती है। बीजों के उपचार के लिए अन्य तेजाबी और गड्ढा वाले पूर्व उपचार के ढंग हैं।
Land Preparation & Soil Health
खाद एवं रासायनिक उर्वरक
पौधों के अच्छे विकास के लिए पौधरोपण के समय गड्ढो में वर्मीकम्पोस्ट या गोबर की खाद डालें। तथा हर साल अगस्त और सितंबर महीने में N:P:K (15:15:15) @50 ग्राम प्रति पौधे में पहले तीन वर्ष डालें।
Crop Spray & fertilizer Specification
जैसे की आप जानते है सागवान एक अच्छी क्वालिटी कठोर लकड़ी की प्रजाति है जो ज्यादातर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती है। यह भारत में सबसे मूल्यवान और उच्च कीमत वाली लकड़ी की फसलों में से एक है। यह एक पर्णपाती, बड़ा पेड़ है जो ऊंचाई में 30 से 40 मीटर तक लंबे समय तक बढ़ता है। सागवान की लकड़ी पीले भूरे रंग की होती है और जैसे जैसे पेड़ पुराने होते जाते हैं वैसे वैसे अंधेरा होता जाता है; एक नई कटी हुई लकड़ी से चमड़े की तरह गंध आती है। सागौन का पेड़ एक लंबा सदाबहार पेड़ होता है, जो तंबाकू के पत्ते की तरह बड़े पत्ते का उत्पादन करता है। सागौन के पेड़ या टीक वुड को कई अन्य नामों से पुकारा जाता है जैसे कि बर्मा टीक, रंगून सागौन, शक, सान्वान की लकड़ी, मौलमीन सागौन, टिक्का, अफ्रीकी सागौन (अफ्रोमोसिया), ब्राजील के सागौन (कुमेरू), क्युन, रोजावा, और मैसाक।भारत में सागवान की खेती पहली बार 1842 में लायी गई और चाटू मेनन को भारती टीक की खेती के पिता के तौर पर जाना जाता हैं| यह सबसे महत्तवपूर्ण दृढ़ लकड़ी है और इसका प्रयोग फर्नीचर, प्लाइवुड, कंस्ट्रक्शन के लिए प्रयोग किये जाने वाले बढ़े खम्भे और जहाज निर्माण के लिए किया जाता है।
Weeding & Irrigation
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार समय-समय पर निराई गुड़ाई करना चाहिए।
सिंचाई
वर्षा के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। सिंचाई गर्मियों के महीने में करें। और आवश्यकतानुसार सिंचाई करने के साथ काफी हद तक पैदावार में सुधार आता है।
Harvesting & Storage
फसल की कटाई
सागौन के पेड़ो के कटाई करने के लिए पौधे को लगाने से 14 वर्ष के बाद का समय सबसे अच्छा होता है। इस समय तक पेड़ अच्छे से तैयार हो जाते है। इस समय तक पेड़ में मौजूद मुख्य तना की लम्बाई 25-30 फीट एवं इसकी मिटाई 35-45 इंच तक होती है। जिसमे आपको 15 cubic फीट तक लकड़ी बन जाती है।