Tomato Farming : टमाटर की खेती करना चाहते हैं तो किसान भाई रखें इन बातों का ध्यान

Tomato Farming : टमाटर की खेती करना चाहते हैं तो किसान भाई रखें इन बातों का ध्यान
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Kisaan Helpline

Crops Nov 27, 2023
टमाटरवर्गीय सब्जियां देश में खेती की प्रमुख सब्जी फसलें हैं। उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में टमाटर की बसन्त-ग्रीष्म की फसल के लिए पौधशाला में बीज की बुआई कर दें। दिसंबर से जनवरी में तैयार पौध की रोपाई करें। इसके लिए उपयुक्त किस्में/संकर किस्में जैसे-पूसा हाइब्रिड-1, पूसा उपहार, पूसा-120, पूसा शीतल, पूसा सदाबहार प्रमुख हैं।

उपयुक्त भूमि

उचित जल निकास वाली रेतीली दोमट या दोमट मृदा, जिसमें पर्याप्त मात्रा में जीवांश उपलब्ध हो टमाटर की खेती (tamatar ki kheti) के लिए उपयुक्त होती है। इसके लिए जल निकास व्यवस्था का होना आवश्यक है। 

बीज की मात्रा और बुवाई का तरीका

टमाटर की उन्नत किस्मों के लिए 350-400 ग्राम तथा संकर किस्मों के लिए 200-250 ग्राम बीज/हैक्टर खेत की रोपाई के लिए पर्याप्त हैं। सीमित बढ़वार वाली प्रजातियों की रोपाई 60×60 सें.मी. तथा असीमित बढ़वार वाली किस्मों की रोपाई 75-90×60 सें.मी. की दूरी पर बनी पंक्तियों में करें। पौधे से पौधे की दूरी 45 से 60 सें.मी. रखते हुए, शाम के समय करें।

उर्वरक प्रबंधन

रोपाई के एक माह पहले गोबर या कम्पोस्ट की अच्छी सड़ी खाद 20-25 टन प्रति हैक्टर की दर से मृदा में अच्छी तरह मिला लें। टमाटर की उन्नत किस्मों में 40 कि.ग्रा. नाइट्रोजन व संकर असीमित बढ़वार वाली किस्मों के लिए 55-60 कि.ग्रा. नाइट्रोजन की प्रथम टॉप ड्रेसिंग रोपाई के 20-25 दिनों बाद तथा इतनी ही मात्रा की दूसरी टॉप ड्रेसिंग रोपाई के 45-50 दिनों बाद करनी चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण

अन्तः सस्य क्रियाएं अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए हल्की निराई-गुड़ाई करें व पौधों की जड़ों के पास मिट्टी चढ़ा दें। टमाटर की असीमित बढ़वार वाली प्रजातियों में सहारा न प्रदान करने से पौधों की वृद्धि व उपज पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। मिट्टी के संपर्क में आने से विभिन्न रोगों के प्रभाव से फल नष्ट हो जाते हैं।
अच्छी फसल के लिए खरपतवार का नियंत्रण करना अत्यन्त आवश्यक है। खेतों में खरपतवार नियंत्रण करते समय खुर्पी या कुदाल से गुड़ाई कर देने से पौधों की बढ़वार अच्छी होती है। सूखे घास-फूस की पलवार अथवा पुआल (मल्च) पौधों के नीचे बिछाने से बढ़वार के साथ-साथ खरपतवार का नियंत्रण भी हो जाता है।

झुलसा रोग की रोकथाम

टमाटर एवं मिर्च में झुलसा रोग की रोकथाम हेतु स्वस्थ बीजों का प्रयोग करें। फसलचक्र में, गैर सोलनेसी कुल के पौधों का उपयोग करें। फफूंदनाशक रसायन में मैंकोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर, जिनेब 2 ग्राम प्रति लीटर, साइमोक्सानिल + मैंकोजेब 1.5-2 ग्राम या एजोक्सीस्ट्रॉबिन 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ छिड़काव अवश्य करें।

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