वर्तमान समय में हरे चारे की माँग एवं आपूर्ति के इस अन्तर को पाटने, चारा उत्पादन की लागत को कम करने तथा वर्षभर हरे चारे की उपलब्धता बनाये रखने के लिये पारम्परिक चारा फसलों के साथ-साथ बहुवर्षीय हरे चारे की खेती भी करना आवश्यक है। संकर नेपियर घास की खेती इस क्रम में एक अच्छा विकल्प हो सकता है, जिससे अन्य चारा फसलों की अपेक्षा कई गुना हरा चारा मिलता है। साथ ही इसकी खेती से 4-5 वर्षों तक बुवाई पर होने वाले व्यय की भी बचत होती है।
संकर नेपियर घास एक बहुवर्षीय चारा फसल है जिसे हाथी घास या युगांडा घास के नामों से भी जाना जाता है एक बार बोने पर 4-5 वर्ष तक सफलतापूर्वक हरा चारा उत्पादन करती है। यह 40 दिन में 4-5 फुट उँची हो जाती है तथा इस अवस्था पर इसका पूरा तना व पत्तियां हरे रहते हैं जिसके कारण यह रसीली तथा सुपाच्य होती है और पशु इसे बड़े चाव से खाते हैं।
संकर नेपियर घास का रासायनिक संघटन
संकर नेपियर घास का रासायनिक संघटन कुछ इस प्रकार है- शुष्क पदार्थ -16-17 प्रतिशत, क्रूड प्रोटीन - 9.38-14 प्रतिशत, कैल्शियम - 0.88 प्रतिशत, फॉस्फोरस - 0.24 प्रतिशत, आक्जलेट्स - 2.40-2.97 प्रतिशत, पाचकता - 58 प्रतिशत।
भूमि का चयन
इसकी खेती के लिये बलुई दोमट से बलुई मृदायें जिनमें पर्याप्त सिंचाई की व्यवस्था हो अच्छी रहती है। संकर नेपियर घास 5.0 से 8.0 तक पी. एच. को सहन करने की क्षमता रखती है।
खेत की तैयारी
इसके लिये एक गहरी जुताई हैरो या मिट्टी पलट हल से तथा 2-3 जुताई कल्टीवेटर से करके रिज मेकर से 60 सेमी. से 100 सेमी. की दूरी पर मेढ़ बना लेते है । मेढ़ों की ऊँचाई लगभग 25 सेमी. रखते हैं।
उन्नत प्रजातियाँ- सी.ओ. 3, 4, 5
बुवाई का उचित समय
यदि सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था हो, तो इसका रोपण 15 फरवरी से सितम्बर माह के अन्त तक किया जा सकता है अन्यथा बरसात के महीनों में इसका रोपण करें।
बुवाई का तरीका
रोपण विधि - 60 से 100 सेमी. की दूरी पर 25 से. मी. उँची बनी मेढ़ों पर मेढ़ के दोनो तरफ दो तिहाई ऊँचाई पर जिग-जैग रूप से संकर नेपियर घास की जड़ों या तने की कटिंग को 60 सेमीं की दूरी पर लगाकर, आधार पर अच्छी तरह दबा देते हैं. कटिंग को थोड़ा तिरछा करके इस प्रकार लगाते है कि कटे भाग को सीधी धूप से बचाया जा सके। रोपण के तुरन्त बाद खेत में पानी लगा देते है. कटिंग लगाने के लिये 3-4 माह पुराने तनो का चुनाव करना चाहिये। तने की कटिंग इस प्रकार तैयार करते हैं कि उसमें दो से तीन गाठें हों। एक गाँठ को मिट्टी में दबा देते हैं तथा दूसरी गाँठ को ऊपर रखते हैं। पौधों से पौधों की दूरी 60 से.मी. तथा लाइन से लाइन की दूरी 80 से.मी. रखे ।
खाद एवं रासायनिक उर्वरक
खाद एवं उर्वरक प्रबन्धन बहुवर्षीय फसल होने के कारण खेत की तैयारी के समय 250 कु. गोबर की खाद, 75 किग्रा. नत्रजन, 50 किग्रा. फॉस्फोरस तथा 40 किग्रा. पोटाश प्रति हैक्टेअर का प्रयोग करना चाहिये। रोपण के 30 दिन बाद 75 किग्रा. नत्रजन तथा इसके पश्चात् प्रत्येक कटाई के बाद 75 किग्रा. नत्रजन प्रति हैक्टेअर की दर से उपयोग करना चाहिये।
खरपतवार प्रबन्धन
रोपण के 30 दिन के भीतर मेढ़ो पर से निराई गुड़ाई करके घास निकाल देनी चाहिये तथा बीच के स्थान पर कस्सी द्वारा खुदाई करके खरपतवार प्रबन्धन करना चाहिये। इसी समय खाली स्थानों पर नई कटिंग लगाकर गैप फिलिंग भी कर देनी चाहिये ।
सिंचाई प्रबन्धन
पहली सिंचाई रोपण के तुरन्त बाद तथा इसके तीन दिन पश्चात् दूसरी सिंचाई अवश्य करनी चाहिये। इसके पश्चात् मौसम के अनुसार 7-12 दिन पर अथवा आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें।
कटाई
संकर नेपियर घास की पहली कटाई 60-70 दिन पश्चात् तथा इसके बाद फसल की बढ़वार अनुसार 40-45 दिन (4-5 फीट ऊँचाई होने पर) के अन्तराल पर भूमि की सतह से मिलाकर करनी चाहिये।
उत्पादन
वर्षभर में इसकी 6-7 कटाई से 2000-2500 कु./है. तक हरे चारे की उपज प्राप्त होती है।
अन्य उपयोग
पारंपरिक पशु आहार के लिए उपयोग किए जाने के अलावा, यह घास कीट प्रबंधन, मिट्टी की उर्वरता में सुधार, मिट्टी के कटाव से शुष्क भूमि की रक्षा, पेपर पल्प उत्पादन, हस्तकला लेख बनाने और जैव ईंधन के उत्पादन के लिए कई तरह से उपयोग में ली जाती है।