पपीता में बोरान की कमी के लक्षण कैसे करे प्रबंधन?

पपीता में बोरान की कमी के लक्षण कैसे करे प्रबंधन?
News Banner Image

Kisaan Helpline

Crops Dec 10, 2022
Papaya Farming: पपीता के फलों की विकृति मुख्यतः बोरान की कमी की वजह से होता है। यह पपीता उत्पादक अधिकांश देशों में पाया जाता है। बलुई मिट्टी में तथा शुष्क मौसम में इस तरह की समस्या ज्यादा होती है।

लक्षण: इस असंक्रामक रोग की शुरूआत फल लगते ही हो जाती है लेकिन इसके लक्षण तब दिखाई देती है जब फल बढ़वार के अन्तिम दौर में होता है। बोरान की कमी फल में बिल्कुल स्थानीय होती है जहाँ पर बोरान की कमी हो जाती है वहाँ ऊत्तक की बढ़वार रूक जाती है जबकि इसके विपरीत अगल-बगल के ऊत्तक में वृद्धि होते रहती है जिसकी वजह से फल विकृत हो जाता है। प्रभावित फल में बीज नहीं बनता है या कम विकसित होता है। बोरान की अत्यधिक कमी की स्थिति में पौधे की वृद्धि प्रभावित होती है तथा पौधों का कद छोटा हो जाता है। अपरिपक्व फल की सतह पर दूध निकलते हुए दिखाई देता है। फल कड़ा हो जाता है, ऐसे फल जल्दी नहीं पकते हैं तथा स्वादहीन होते हैं। बोरॉन की कमी के शुरुआती लक्षणों में से एक परिपक्व पत्तियों में हल्का पीला (क्लोरोसिस) होना, जो भंगुर होते हैं और पत्तियों के नीचे की ओर मुड़ने के लिए उत्तरदायी होते हैं। एक सफेद स्राव "लेटेक्स" मुख्य तने के ऊपरी हिस्से में, पत्ती के डंठल से, और मुख्य नसों और डंठल (पेटीओल्स) के नीचे के दरार से बह सकता है, मृत्यु के बाद बगल से शाखाएं (साइडशूट) निकलती है, जो अंततः मर जाती है।
किसी भी फलदार पौधों में बोरॉन की कमी का सबसे पहला संकेत फूलों का गिरना है। जब फल विकसित होते हैं, तो वे एक सफेद लेटेक्स का स्राव करने की संभावना रखते हैं, बाद में, फल विकृत और ढेलेदार हो जाते हैं। कुबड़ापन (विरूपण) शायद अपूर्ण निषेचन का परिणाम है क्योंकि बीज गुहा में अधिकांश बीज या तो गर्भपात, खराब विकसित या अनुपस्थित होते हैं। यदि लक्षण तब शुरू होते हैं जब फल बहुत छोटे होते हैं, तो अधिकांश पूर्ण आकार तक नहीं बढ़ते है।
 प्रभावित पौधों के पर्णवृंत का विश्लेषण करने पर लगभग 20 पी0पी0एम0 (शुष्क भार के आधार पर) या उससे कम बोरान पाया जाता है जबकि सामान्य दशा में बोरान 25 पी0पी0एम0 या उससे ज्यादा रहना चाहिए।

प्रबन्धन
पपीता की खेती में कार्बनिक खादों का भरपूर उपयोग करना चाहिए। बोरान की कमी का पता लगाने हेतु मृदा का परीक्षण करवाना चाहिए तथा उसके आधार पर बोरान की मात्रा का निर्धारण करना अच्छा रहता है। पन्द्रह दिन के अन्तराल पर दो पर्णीय छिड़काव द्वारा (0.25%) भी बोरान की कमी को दूर किया जा सकता है। 2.5-5 ग्राम बोरेक्स प्रति पौधा (5-10 किग्रा/हेक्टेयर) अन्य उर्वरकों के साथ मिला कर देने से भी इसमें उग्रता में कमी आती है।

डॉ. एसके सिंह
प्रोफेसर सह मुख्य वैज्ञानिक (प्लांट पैथोलॉजी) एवम एसोसिएट डायरेक्टर रीसर्च, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा , समस्तीपुर बिहार

Agriculture Magazines

Pashudhan Praharee (पशुधन प्रहरी)

Fasal Kranti Marathi

Fasal Kranti Gujarati

Fasal Kranti Punjabi

फसल क्रांति हिंदी

Smart farming and agriculture app for farmers is an innovative platform that connects farmers and rural communities across the country.

© All Copyright 2024 by Kisaan Helpline