Sunflower Farming: सूरजमुखी एक तिलहन फसल है। देश में सबसे पहले सूरजमुखी की फसल की खेती वर्ष 1969 में उत्तराखंड के पंतनगर में शुरू की गई थी।
किसान भाई, तीनों मौसमों में सूरजमुखी की खेती करने की सलाह दी जाती है और इसकी खेती तीनों मौसमों - खरीब, रबी और जायद में की जाती है। यदि आप अधिक लाभ प्राप्त करना चाहते हैं तो मार्च का महीना सूरजमुखी की खेती करने का सही समय है। मार्च के पहले सप्ताह में किसान अपने खेतों को बुवाई के लिए तैयार कर सकते हैं। कहते है सूरजमुखी की फसल किसान भाइयो के लिए उन्नत फसल और मुनाफा देने वाली फसल कही जाती है। नगदी फसल के नाम से मशहूर ये फसल बाजार में अच्छे भाव मे बिकती है इससे निकले वाला तेल खाद्य पर्दार्थ में प्रयोग में लिया जाता है। बाजारों में इसकी अधिक मांग को देखते हुए किसान इसका उत्पादन करके अधिक लाभ अर्जित है।
उपयुक्त जलवायु
सूरजमुखी की खेती के लिए शुष्क जलवायु होनी चाहिए। तापमान तो इसकी बुवाई 15 डिग्री तापमान पर करनी चाहिए और इसकी भूमि का P.H. मान 5 से 7 के बिच होना चाहिए। इसके बीच के अंकुरण के लिए अधिक तापमान की जरूरत होती है साथ ही इसके पौधे की वृद्धि के लिए सामान्य तापमान रहना चाहिए।
उपयुक्त भूमि
सूरजमुखी की खेती वैसे तो सभी मिट्टी में की जाती है लेकिन अच्छे उत्पादन के लिए किसान उचित जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी इसकी बुवाई के लिए बहुत अच्छी होती है साथ ही फसल में अच्छी वृद्धि के लिए जीवांश कार्बन की मात्रा भूमि में उपयोगी होती है।
सूरजमुखी की उन्नत किस्म
वैसे तो बाजार में इसकी कई किस्म मिलती है, लेकिन अधिक लाभ और अच्छे उत्पादन के लिए किसान भाई को इसकी अच्छी किस्म के बीज की बुवाई करनी चाहिए। आइये जानते है इसकी की कुछ उन्नत किस्में जो दो प्रकार की प्रजाति में पाई जाती है। पहली संकुल प्रजाति और दूसरी संकर प्रजाति होती है।
संकुल प्रजाति की प्रमुख किस्म मार्डन और सूर्या होती है जो लगभग 80 से 90 दिनों में पककर तैयार होती है। मार्डन प्रजाति की किस्म में तेल की मात्रा अच्छी होती है।
संकर प्रजाति की कुछ प्रमुख किस्म एस.एच.-3322, के.वी. एस.एच 1, ऍफ़ एस एच-17 होती है। ये प्रजाति भी लगभग 90 से 95 दिन में पककर तैयार होती है। सूरजमुखी की कुछ अन्य किस्म जो हमें बजार में देखने को मिलती है। ईसी 68414, ईसी 68415, ईसी 69874 और मार्डन सूर्या इन किस्म की बुवाई करना उचित होता है।
इस प्रकार किसान सूरजमुखी की खेती को करके अधिक लाभ प्राप्त कर सकता है सूरजमुखी का तेल रोगियों के रोग के उपचार में भी प्रयोग में लिए जाता है। इसकी फसल से खाद्य तेल का उत्पादन अच्छा होता है जिससे बजार में इसकी मांग बहुत होती है जो किसान को अच्छा मुनाफा प्रदान करती है।