जानिए गेहूं की निचली पत्तियों के पीला होने का प्रमुख कारण और रोकथाम के उपाय के बारे में

जानिए गेहूं की निचली पत्तियों के पीला होने का प्रमुख कारण और रोकथाम के उपाय के बारे में
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Crops Jan 06, 2023
हमारे देश के कृषि वैज्ञानिक समय-समय पर किसानों की फसल संबंधित समस्याओं को लेकर एडवाइजरी जारी करते रहते है। इसी संबंध में डा. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर के सह निदेशक अनुसंधान एवं विश्वविद्यालय के पादप रोग विभाग के मुख्य वैज्ञानिक प्रोफेसर (डॉ) संजय कुमार सिंह जी का कहना है की अधिक ठंड व पाले की वजह से कई फसलों को नुकसान होने की संभावना है, जबकि अत्यधिक ठंड गेहूं के लिए लाभदायक होगी। दलहन (मूंग, मसूर), आलू, बैगन और टमाटर को पाला से नुकसान होने की संभावना है।इस समय का वातावरण आलू एवं टमाटर की फसल के लिए बहुत घातक है, इस समय पछेती झुलसा रोग के लगने से पूरी फसल के गल जाने की संभावना रहती है। वहीं चना, मसूर फसल पर भी अत्यधिक ठंडक से नुकसान हो सकता है लेकिन गेहूं फसल को ठंडा तापमान की जरूरत होती है। इसलिए इस मौसम से गेहूं को फायदा पहुंचेगा। लेकिन अत्यधिक ठंडक की वजह से गेंहू की नीचे की पत्तियां पीली हो रही है जिससे पूरे प्रदेश के किसान चिंतित है, उन्हें समझ में नहीं आ रहा है की आखिर इसका सही कारण क्या है। सही जबाब नही मिलने की वजह किसान चिंतित है।


गेहूं के इस पीलापन की रोकथाम के लिए सलाह
अत्यधिक ठंडक की वजह से माइक्रोबियल गतिविधि कम हो जाती है, जिसके कारण से नाइट्रोजन का उठाव (Uptake) कम होता है, पौधे नाइट्रोजन को उपलब्ध रूप में नाइट्रेट में बदल देता है। नाइट्रोजन अत्यधिक गतिशील होने के कारण निचली पत्तियों से ऊपरी पत्तियों की ओर चला जाता है, इसलिए निचली पत्तियाँ पीली हो जाती हैं। संतोष की बात यह है की यह कोई बीमारी नहीं है ये पौधे समय के साथ ठीक हो जाएंगे। यदि समस्या गंभीर हो तो 2 प्रतिशत यूरिया (20 ग्राम यूरिया प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें) का छिड़काव करने की सलाह दिया जा सकता है।

पाला से फसलों के बचाव के लिए सलाह
अत्यधिक ठंढक से गेंहू एवम अन्य फसलों को बचाने के लिए हल्की सिंचाई करनी चाहिए, यथासंभव खेतों के किनारे (मेड़) आदि पर धुआं करें। इससे पाला का असर काफी कम पड़ेगा। पौधे का पत्ता यदि झड़ रहे हो या पत्तों पर धब्बा दिखाई दे तो डायथेन एम-45 नामक फफुंदनाशक की 2 ग्राम मात्रा को  प्रति लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करने से पाला का असर कम हो जाता है। इससे फसल को नुकसान होने से बचाया जा सकता है।

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