चने की फसल में हानिकारक रोग-कीट प्रबंधन

चने की फसल में हानिकारक रोग-कीट प्रबंधन
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Crops Feb 15, 2022
कीट प्रबंधन

दीमक व कटवर्मः रोकथाम के लिए शाम के समय क्यूनॉलफास 1.5 प्रतिशत चूर्ण का 25 किलोग्राम प्रति हेक्टयर की दर से भुरकाव करे।

                  दीमक

                                       कटवर्म


फली छेदक: फूल आने से पहले और पानी लगने के बाद मेलाथियान 5 प्रतिशत अथवा क्यूनालफास 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलोग्राम प्रति हेक्टयर की दर से भुरकाव करें।

                                    फली छेदक
  • फूल आते समय क्यूनालफॉस 25 ईसी एक लीटर प्रति हेक्टेयर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
  • नीम का तेल ऐजेंडिरेक्टीन 700 मिली प्रति हेक्टयर छिड़काव करें।
  • लगभग 50 प्रतिशत फूल आने पर पहला छिड़काव एन.पी.वी.250 एमएल प्रति हेक्टयर की दर से और दूसरा छिडकाव 15 दिन बाद बी.टी. के 1200 ग्राम प्रति हेक्टयर की दर से करें।
रोग प्रबंधन

उकठा: जड़ गलन - उखटा रोगो की रोकथाम के लिये कार्बेण्डाजिम आधा ग्राम अथवा थाईरम ढाई ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीज को उपचारित करें। जहां यह रोग 40 दिन की फसल होने के बाद लगता हो, वहां यह उपचार प्रभावी नहीं है।

                                उकठा: जड़ गलन

सूखा जड़ गलन: रोग के प्रकोप को कार्बेण्डाजिम 1 थायरम 1-2.5 ग्राम प्रति किलो बीज दर से बीजोपचार कर बुवाई करने से कम किया जा सकता है। फसल चक्र अपनायें। 

                               सूखा जड़ गलन

झुलसा:  एस्कोकाइटा ब्लाइट रोग के लक्षण दिखाई देते ही मैन्कोजेब के 0.2 प्रतिशत अथवा कॉपर आक्सीक्लोराइड के 0.3 प्रतिशत अथवा घुलनशील गंन्धक के 0.2 प्रतिशत घोल के 10 दिन अन्तर पर 4 छिड़काव करें।

                                    झुलसा रोग


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