आलू की खेती: आलू भारत की एक प्रमुख नकदी फसल है। यह सब्जियों का राजा है इसलिए इसका सेवन साल भर किया जाता है। देश के कई राज्यों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। लेकिन, पैदावार तभी अच्छी होगी जब इसकी फसल अच्छी होगी। इसकी फसल के लिए ठंड बहुत खतरनाक मानी जाती है। सर्दी के मौसम में आलू की फसल में कई तरह के रोग देखने को मिलते हैं। जिसके कारण किसान आलू की खेती से ज्यादा मुनाफा नहीं कमा पाते हैं।
देखा जाए तो सर्दियों में आलू की फसल में झुलसा रोग लगने की संभावना काफी अधिक रहती है। एक बार जब यह रोग फसल में लग जाता है तो धीरे-धीरे पूरे खेत की फसल को खराब कर देता है। अगर किसान आलू की फसल में लगने वाले झुलसा रोग का सही समय पर उपचार नहीं करते हैं तो इससे होने वाले नुकसान से उन्हें भारी नुकसान हो सकता है।
ऐसे में आइए इन बीमारियों से बचने के आसान उपायों के बारे में विस्तार से जानते हैं-
देखा जाए तो झुलसा रोग दो प्रकार के होते हैं। अगेती झुलसा और पछेती झुलसा रोग। अगेती झुलसा रोग दिसंबर के आरंभ में होता है। अगेती झुलसा रोग में पत्तियों की सतह पर छोटे-छोटे भूरे धब्बे बन जाते हैं। सबसे पहले संक्रमण निचली पत्तियों पर होता है जहां से रोग ऊपर की ओर बढ़ता है। जिसमें बाद में गोलाकार रेखाएं दिखाई देती हैं। गंभीर अवस्था में धब्बे आपस में जुड़ जाते हैं और पत्तियों को झुलसा देते हैं। इसके प्रभाव से आलू छोटे व कम बनते हैं। जबकि पछेती झुलसा दिसंबर के अंत से जनवरी की शुरुआत तक हो सकता है। इस समय आलू की फसल में पिछेती झुलसा रोग लग सकता है। आलू के लिए पछेती झुलसा रोग अधिक हानिकारक है। इस रोग में पत्तियां किनारों एवं शिराओं से झुलसने लगती हैं। जिससे पूरा पौधा जल जाता है। पौधों पर काले धब्बे दिखाई देते हैं जो बाद में बड़े हो जाते हैं। जिससे कंद भी प्रभावित होता है।
फसलों को पछेती एवं अगेती झुलसा रोग से कैसे बचाएं
फसल को पिछेती झुलसा रोग से बचाने के लिए मैंकोजेब का लगभग 75 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में घोलकर 10 से 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए।
इसके अलावा फसल को अगेती झुलसा रोग से बचाने के लिए जिनेब 75 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण को 2.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में मिलाकर छिड़काव करें। इसके अलावा आप चाहें तो मैंकोजेब 75 प्रतिशत, घुलनशील पाउडर 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव कर सकते हैं।
आलू में झुलसा रोग से बचाव के उपाय
आलू में झुलसा रोग लगने से पहले ही उसे रोका जा सकता है। आलू में इस रोग की रोकथाम के लिए आप नीचे दिए गए कुछ काम कर सकते हैं-
- जिस खेत में झुलसा रोग फैला है। खेत से बीज न लें। क्योंकि यह रोग अधिकतर बीजों के माध्यम से फैलता है।
- जिस खेत में यह रोग फैला हो वहां 2 साल तक दोबारा आलू न लगाएं।
- आलू की बुआई से पहले बीजोपचार आवश्यक है।
- बीज वाले आलू में एम-45 (मैन्कोजेब 75% डब्ल्यूपी) या कवच (क्लोरोथालोनिल 75% डब्ल्यूपी) 500 से 700 ग्राम प्रति एकड़ हर 10 से 15 दिन में समय पर छिड़काव करें। ताकि आलू को इन लोगों से बचाया जा सके।
आलू में झुलसा रोग आने के बाद रोकथाम के तरीके
आलू में झुलसा रोग आने के बाद इसमें आपको सिस्टमैटिक दवाइयां का प्रयोग करना होगा। ये दवाइयां पौधे पर लंबे समय तक असर करती हैं और आपकी फसल को लंबे समय तक इस बीमारी से बचाएंगी। इससे बचाव के लिए आप नीचे दी गई दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं-
- मेटालेक्सिल-एम 4% + मैंकोजेब 64% 700 ग्राम प्रति एकड़ का प्रयोग करें।
- सिमोक्सानिल 8% + मैंकोजेब 64% 700 ग्राम प्रति एकड़ का प्रयोग करें।
- फैमोक्साडोन 16.6% + साइमोक्सानिल 22.1% 200 मि.ली. प्रति एकड़ का प्रयोग करें।