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Siddharthnagar



सिद्धार्थनगर ज़िला भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक ऐतिहासिक जिला है। दिसंबर 29, 1988 को सिद्धार्थनगर जिले की स्थापना हुई थी एवं इसका जिला मुख्यालय नौगढ़ है। इस जिले की सीमाएं नेपाल से जुड़ी हुई हैं। नदी के तट से सिलिका रेत को खनिज के तौर पर इकठ्ठा किया जाता है। इस जिले की भूमि का अधिकांश हिस्सा उपजाऊ है एवं यहां पर चावल, गेहूं, सरसों एवं आलू की फसलों की खेती प्रमुख रूप से की जाती है। यहां पर प्रमुख रूप से काला नमक चावल प्रसिद्ध है।

काला नमक चावल एक प्रकार का सुगंधित और मुलायम चावल है एवं इसके विशेष गुणों के कारण इस चावल की एक अनोखी पहचान है। जिले में विभिन्न जगहों पर इस चावल का उत्पादन किया जाता है। सिद्धार्थनगर में वर्तमान समय में कुल 45 चावल उद्योग की इकाइयां संचालित की जा रही हैं। यहां पर विभिन्न इकाइयों में प्रसंस्कृत होने वाला चावल, उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में एवं राष्ट्रीय स्तर के बाजार में निर्यात किया जाता है। यह इकाइयां विभिन्न कुशल, अर्ध-कुशल एवं अकुशल व्यक्तियों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान कर रहा है।

सिद्धार्थनगर जिले का काला नमक चावल (kala namak chaval) दुनियाभर में मशहूर है। इस चावल की मांग सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी है। जानते हैं, इस चावल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह औषधीय गुणों से भरा हुआ है। मधुमेह यानी डायबिटीज के मरीजों के लिए यह गुणकारी माना जाता है। इसके अलावा यह भगवान बुद्ध का 'महा प्रसाद' भी माना जाता है। इस चावल का इस्तेमाल बौद्ध देशों में प्रसाद के रूप में किया जाता है। 'वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट' के तहत सरकार की ओर से इसकी उपज बढ़ाने के लिए कार्य किए जा रहे हैं।

कलानामक भारत के बेहतरीन गुणवत्ता वाले सुगंधित चावलों में से एक है । इसका नाम काली भूसी (काला = काला; प्रत्यय 'नमक' का अर्थ है नमक) से लिया गया है। यह किस्म बौद्ध काल (600 ईसा पूर्व) से खेती में है । यह पूर्वी उत्तर प्रदेश, भारत के हिमालयी तराई में काफी लोकप्रिय है , और इसे उत्तर प्रदेश के सुगंधित काले मोती के रूप में भी जाना जाता है। इसे संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन की पुस्तक 'स्पेशलिटी राइस ऑफ द वर्ल्ड' में भी चित्रित किया गया था।

जीआई टैग
कलानामक चावल को भारत सरकार द्वारा 2012 में भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग प्रदान किया गया है और एक भौगोलिक क्षेत्र को परिभाषित किया गया है जहां कालानामक चावल का उत्पादन किया जा सकता है। इस परिभाषित क्षेत्र में उगाए जाने वाले कलानामक चावल को केवल कलानामक चावल के रूप में लेबल किया जा सकता है।

कलानामक चावल का भौगोलिक क्षेत्र उत्तर प्रदेश राज्य में 27° 28′ उत्तरी अक्षांश और 82° 45′ से 83° 10′ पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है।

कलानामक चावल के उत्पादन का भौगोलिक क्षेत्र सिद्धार्थनगर जिले के बजरडीह, बाजाहौ, दुबारीपुर, देवरा, मोहनजोत, सियाओ, नियाओ रामवापुर, दोहरिया खुर्द, दोहरिया-बुजुर्ग, नौगढ़ और अलीगराहवा गांव हैं।

कलानामक चावल को भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग प्रदान किया गया है जिसे कलानामक सुगंधित धान उत्पादन और संरक्षण सोसायटी द्वारा भारत सरकार को लागू किया गया था। जीआई टैग एक संकेत है जो एक भौगोलिक क्षेत्र के लिए निश्चित है। इसका उपयोग कृषि, प्राकृतिक और निर्मित वस्तुओं के लिए किया जाता है।

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