One District One Product- Jaisalmer

Jaisalmer



जैसलमेर भारत के राजस्थान प्रांत का एक शहर है।

जैसलमेर जिले में पोषक जेरोफाइटिक फल कैर, सांगरी को एक जिला एक उत्पाद   योजना के तहत चयनित किया गया है। 

कैर, सांगरी व कुम्मट की सब्जी राजस्थान में शाही सब्जी की प्रतिष्ठा पा चुकी है। कैर नाम की एक कंटीली झाड़ी रेगिस्तानी इलाकों में बहुतायत से पाई जाती है इस पर लगे छोटे-छोटे बेरों के आकर के फल को ही कैर कहते हैं। कैर को आप चेरी ऑफ डेजर्ट भी कह सकते हैं। खेजड़ी के पेड़ पर लगने वाली हरी फलियों को ही सांगरी कहा जाता है। सांगरी को सूखे कैर व कुम्मट के साथ मिलाकर स्वादिष्ट शाही सब्जी तैयार की जाती है। कुम्मटिया भी एक पेड़ होता है, जिसकी फलियों के बीज का सब्जी के लिए उपयोग किया जाता है। पंचकूटा में सूखे कैर और सांगरी, कुम्मट, काचरा, अमचूर, सूखे मेवे डालकर सब्जी बनती है। सूखे कैर और सांगरी की सब्जी ही ताजा रहती है। हरे कैर और सांगरी की सब्जी खराब हो जाती है।

कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और अन्य बड़े शहरों के साथ विदेशों में भी इन सब्जियों की खासी मांग है। कैर सांगरी की सब्जी में डाले जाने वाले काजू, पिस्ता, किसमिस और बादाम आदि के भाव इन सब्जियों से कम हैं। विदेशों से इन सूखी सब्जियों के मंगवाने के आर्डर भी आते हैं और जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, नागौर, पाली सहित अन्य जिलों से हर साल करोड़ों रुपए की कैर, सांगरी, कुम्मट, सहित अन्य सूखी सब्जियां विदेशों में भेजी जाती है।

कैर या करीर या केरिया या कैरिया एक मध्यम या छोटे आकार का पेड़ है। यह पेड़ 5 मीटर से बड़ा प्राय: नहीं पाया जाता है। यह प्राय: सूखे क्षेत्रों में पाया जाता है। यह दक्षिण और मध्य एशिया, अफ्रीका और थार के मरुस्थल में मुख्य रूप से प्राकृतिक रूप में मिलता है। इसमें दो बार फ़ल लगते हैं: मई और अक्टूबर में। इसके हरे फ़लों का प्रयोग सब्जी और आचार बनाने में किया जाता है। इसके सब्जी और आचार अत्यन्त स्वादिष्ट होते हैं। पके लाल रंग के फ़ल खाने के काम आते हैं। हरे फ़ल को सुखाकर उनक उपयोग कढी बनाने में किया जता है। सूखे कैर फ़ल के चूर्ण को नमक के साथ लेने पर तत्काल पेट दर्द में आराम पहुंचाता है।

सांगरी, सूखे और रेगिस्थान जैसी जगहों पर पाई जाती है, इसलिए इसे डेजर्ट बीन के नाम से भी जाना जाता है। खेजड़ी के पेड़ पर उगने वाली ये फली मटर के परिवार से संबंधित है। इसका पेड़ कांटेदार होता है और सूखे के समय भी सालभर फल देता है। सांगरी बीन एक कच्ची फली होती है, जो कच्चे होने पर हरे रंग की और पकने पर गहरे भूरे रंग में बदल जाती है। फली में सूखे , पीले रंग के गूदे के भीतर बीज होते हैं। पकने पर इसे तोड़ा जाता है और फिर सुखाया जाता है और जरूरत पड़ने पर उपयोग करने के लिए संग्रहित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि स्थानीय नाम खेजड़ी राजस्थान के जोधपुर जिले के एक गांव खेजराली के नाम से लिया गया है। सांगरी में जायकेदार स्वाद होता है और इसमें दालचीनी और मोचा जैसे मसालों का अहसास होता है। इसका उपयोग अक्सर अचार, चटनी और करी में किया जाता है।

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