फूड प्वॉइजनिंग हुई तो बिजनेसमैन ने शुरू कर दी खेती, गोमूत्र से बनाते हैं खाद

फूड प्वॉइजनिंग हुई तो बिजनेसमैन ने शुरू कर दी खेती, गोमूत्र से बनाते हैं खाद
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Kisaan Helpline

Scheme Jun 22, 2015
इंदौर. शहर में रहने वाले टूर एंड ट्रेवल्स से जुड़े बिजनेसमैन हेमेंद्र सिंह जादौन को सात साल पहले फूड पॉइजनिंग हुई। डॉक्टर ने बताया दूषित सब्जियां खाने से ऐसा हुआ है। इनके पास उज्जैन रोड पालिया में 20 बीघा जमीन है, जिसमें पहले बागवानी आदि करते थे, लेकिन इस घटना के बाद उन्होंने परिवार के खाने के लिए जैविक तरीके से खुद सब्जियां उगाना शुरू कर दिया। इसके बाद अनाज और फल भी जैविक तरीके से उगाने लगे। ये जैविक उत्पाद वे परिवार के साथ दोस्तों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों को भी देने लगे। इसके बाद दूसरे लोगों से भी डिमांड आने लगी। अब वे करीब शहर के पांच सौ परिवारों तक जैविक उत्पाद पहुंचा रहे हैं।
इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन और एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सदस्य जादौन ने बताया कि बीमारी के बाद जैविक खेती के बारे में ऑनलाइन जानकारी निकाली। चचेरे भाई, जो एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट में पदस्थ हैं, उनसे भी जानकारी ली और फार्म हाउस के आसपास सब्जियों के साथ अनाज, फल और अन्य मौसमी चीजें उगाना शुरू कर दिया। स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और जैविक खेती को बढ़ावा देने का असर यह हुआ कि दो साल पहले टूवर्डस ऑर्गेनिक नाम से ऑफिशियली जैविक उत्पादों की बिक्री शुरू कर दी।
बिजनेस से ज्यादा समय न मिल पाने के कारण फेसबुक पर पेज बनाया, वेबसाइट बनाई और वॉट्सएप पर ग्रुप बनाए। जब भी कोई नया उत्पाद तैयार होता है तो उसे इन सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर डाल देते हैं। यहीं ऑर्डर मिल जाते हैं। ऑर्डर के मुताबिक सप्ताह में दो बार इन जैविक उत्पादों को लोगों के घरों पहुंचाया जाता है।
खाद और कीटनाशक भी खुद करते हैं तैयार
जादौन ने बताया कि वे खुद ही जैविक खाद तैयार करते हैं। इसके लिए खेत पर ही दो टैंक बनाए हैं, जिसमें ऑस्ट्रेलियन प्रजाति के केंचुए डालते हैं, इसमें गोबर और अन्य जैविक कचरा डालकर एक से डेढ़ माह में खाद तैयार करते हैं। इसी का उपयोग सभी फसलों पर करते हैं। वहीं फसलों को कीटों से बचाने के लिए रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग के बजाए नींबोली (नीम का फल), सीताफल की पत्तियां, गोमूत्र सहित खाद बनने के दौरान निकलने वाले वर्मी वाश से तैयार लिक्विड को पौधों पर छिड़कते हैं। इससे फसलों को और ज्यादा पोषक तत्व मिल जाते हैं। वहीं खरपतवार को मिटाने के लिए रसायनों के छिड़काव के बजाए निदाई करते हैं। इन सारे कामों के लिए मजदूर लगा रखे हैं, जिन्हें विशेष ट्रेनिंग दी गई है।
अनाज भी उगाते हैं
जैविक खेती में सब्जियों के साथ अनाज भी उगाते हैं। इसमें गेहूं, चना, मक्का, सोयाबीन, तुवर, मूंग, उड़द, धान आदि। फलों में पपीता, जाम, अनार, आंवला भी उगा रहे।
कीमत ज्यादा, फिर भी पूरी नहीं कर पाते मांग

जादौन ने बताया कि जैविक खेती में उत्पादन कम होता है और खर्च ज्यादा लगता है, इससे जैविक खेती के उत्पाद मंहगे होते हैं। फिर भी उनके ग्राहकों में कई डॉक्टर्स, डाइटीशियन, वकील, शिक्षक सहित व्यापारी जुड़े हैं। उन्हें इतने ऑर्डर मिलते हैं कि पूरा नहीं कर पाते हैं।

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