मटर और टमाटर का उचित भाव नहीं मिलने से किसान परेशान, लागत भी नहीं निकाल पा रहे किसान

मटर और टमाटर का उचित भाव नहीं मिलने से किसान परेशान, लागत भी नहीं निकाल पा रहे किसान
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Kisaan Helpline

Agriculture Dec 27, 2022
मध्य प्रदेश में किसान बड़े पैमाने पर टमाटर और मटर की खेती करते हैं। हालांकि इस साल किसानों को टमाटर की फसल का सही दाम नहीं मिल रहा है। टमाटर की फसल पर किसान अपनी मजदूरी भी नहीं निकाल पा रहे हैं। दरअसल, दिसंबर माह में टमाटर का उत्पादन बढ़ा है। इस वजह से बाजार में इसके रेट में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है।

टमाटर एक रुपये किलो से भी कम में बिक रहा है
किसानों को एक कैरेट टमाटर का भाव का 20 रुपये से 30 रुपये तक ही रेट मिल रहा है। यह एक रुपए प्रति किलो से भी कम है। किसानों को जो मिलता है उससे लागत तो दूर, अब तो टमाटर तोड़ने की मजदूरी भी नहीं निकल रही है। ऐसे में किसान मायूस नजर आ रहे हैं।

मटर का उचित मूल्य नहीं मिलने से किसान परेशान
वर्तमान में जबलपुर में मटर 10 से 15 रुपए किलो बिक रहा है। जिसकी वजह से किसानों की लागत भी निकलना मुश्किल है। आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत जबलपुर जिले के लिए मटर का चयन हुआ था। जिला प्रशासन ने इस योजना का लाभ किसानों को मिले इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। किसानों का कहना है एक जिला एक उत्पाद योजना का किसानों को सीधा लाभ नहीं हो रहा है।

मध्य प्रदेश में हरी मटर की खेती में शामिल किसानों ने अपनी उपज का वाजिब मूल्य न मिलने के विरोध में जबलपुर-भोपाल राष्ट्रीय राजमार्ग पर प्रदर्शन किया। उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार से खुले बाजार में हरी मटर का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करने की मांग भी की। भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता राघवेंद्र पटेल ने रविवार को पीटीआई-भाषा को बताया कि किसानों द्वारा शनिवार को किया गया विरोध-प्रदर्शन महत्वपूर्ण है, क्योंकि मध्य प्रदेश सरकार ने जबलपुर जिले के लिए एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत हरी मटर का चयन किया है।

उन्होंने कहा कि जिले में बड़े पैमाने पर हरी मटर उगाई जाती है और देश के कई अन्य राज्यों में इसकी आपूर्ति भी की जाती है। पटेल ने बताया, किसान चाहते हैं कि राज्य सरकार खुले बाजार में हरी मटर के कारोबार के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करे। उन्होंने कहा कि जिले के किसानों की यह मांग लंबे समय से लंबित है। पटेल ने कहा कि ऐसे मानदंडों के अभाव में यदि खुले बाजार में हरी मटर का भाव कम हो जाता है तो इसका नुकसान वर्तमान में किसानों को उठाना पड़ता है। उन्होंने कहा, स्थानीय मंडियों में वर्तमान में किसानों को हरी मटर के बदले 10 से 20 रुपये प्रति किलोग्राम कीमत मिल रही है, जो बहुत कम है।

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